देश की राजधानी दिल्ली में सीवर में फंसने से कई सफाई कर्मचारियों की मौत हो जाती है. इन्हीं मौतों को लेकर टीओई ने एक रिपोर्ट जारी की है, इसके अनुसार दिल्ली में पिछले पांच साल के मुकाबले साल 2022 में सीवर में मरने वालों की सबसे अधिक मौत हुई हैं. दिल्ली फायर सर्विस (डीएफएस) के आंकड़ों के अनुसार साल 2022 में 4 अप्रैल तक सीवर में सात लोगों की मौत हुई है. जो कि पिछले पांच सालों की तुलना में सबसे अधिक है.
सीवर में हुई मौतों के आंकड़ों की बात करें तो साल 2018 में 6 लोगों की मौत हुई थी और 3 घायल हुए थे. इसके साथ ही साल 2019 में 2 की मौत, साल 2020 में 3 की मौत 6 घायल, साल 2021 में 2 की मौत एक घायल और साल 2022 में 4 अप्रैल तक 7 की मौत और तीन घायल हुए हैं.
इन मौतों को लेकर दमकल अधिकारियों का कहना है कि सीवर में फंसे मजदूरों के निकालते समय बचाव अभियान में सबसे बड़ी चुनौती जहरीली गैसें हैं, जिससे सीवर के अंदर लंबे समय तक रहना मुश्किल हो जाता है. डीएफएस के निदेशक अतुल गर्ग ने कहा अधिकतर सीवर का मुंह इतना छोटा होता है कि हमारा आधा समय उसे खोदने में निकल जाता है. क्योंकि इतने छोटे से रास्ते से अंदर नहीं जा सकते हैं.अतुल गर्ग ने कहा कि अगर कोई कोई भी व्यक्ति एक मिनट से अधिक समय तक अंदर फंसा रहा तो वह जहरीली गैसों के कारण जीवित नहीं निकल पाएगा.
दिल्ली: सीवर में उतरे तीन मजदूर समेत 4 लोगों की मौत, देर रात तक चला रेस्क्यू ऑपरेशन
अतुल गर्ग ने कहा कि सीवर से होने वाली मौतों को 100 प्रतिशत रोका जा सकता है. क्योंकि सभी मौतें लापरवाही के कारण हुई हैं, बंद सीवर में जाना मौत के जाल में जाने जैसा होता है. अगर सावधानी बरती जाए तो मौत नहीं होगी और इसके लिए एजेंसियों को भी सीवर के अंदर ऑक्सीजन के स्तर की जांच करनी चाहिए.