पिता किराना दुकानदार, अब बेटा खेलेगा वर्ल्डकप, जानिए किसने की थी भविष्यवाणी?
Siddharth Yadav: किराने की दुकान चलाने वाले श्रवण कुमार यादव की ज़िद थी बेटे को देश के लिए खिलाना है. उनके लगन का नतीजा है कि आज आईसीसी अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्ड कप 2022 में बेटे को भी जगह मिली है.
Siddharth Yadav: अक्सर हम अपने घरों में बड़े बुजुर्गों से सुनते आए हैं कि सपने वही देखो जिसे तुम पूरा कर सको. इसलिए ज्यादा बड़े सपने मत देखो. लेकिन अगर आपके इरादों में दम हो और सपने को पूरा करने की ज़िद, तो आप सपने जरूर देखें. ये कहना है उस पिता का, जिसने 16 साल से कठिन परिश्रम किया, रोज़ एक जंग लड़ी है अपने बेटे के सपने को साकार करने के लिए. खुद किराने की दुकान चलाने वाले श्रवण कुमार यादव की ज़िद थी कि बेटे को देश के लिए खिलाना है. अब चाहे उसके लिए कितनी भी मेहनत क्यों न करनी पड़े. यही वजह थी कि पिता अपने बेटे को 3 साल की उम्र से क्रिकेट की प्रैक्टिस करवा रहे हैं. उनके इस लगन का नतीजा है कि आज आईसीसी अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्ड कप 2022 (ICC Under-19 Cricket World Cup 2022) में बेटे सिद्धार्थ यादव (Siddharth Yadav) को भी जगह मिली है. अंडर-19 वर्ल्ड कप का आयोजन 14 जनवरी से वेस्टइंडीज में होगा. मुकाबले के लिए भारत ने 17 सदस्यीय टीम का एलान कर दिया है. सिद्धार्थ के पिता परिवार संग गाज़ियाबाद में लंबे समय से रहते हैं.
मूल रूप से सुल्तानपुर के रहनेवाले पिता कोटगांव में एक किराने की दुकान चलाते हैं. अंडर- 19 में जगह बनाने का जिक्र करते हुए सिद्धार्थ के पिता जरा भावुक हो गए और एबीपी न्यूज से कहा कि यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की है. छोटे शहर में रहने की वजह से काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा. आसपास के लोगों के ताने भी सुनने पड़े. कई बार जब अपने बेटे को एकेडमी लेकर जाया करते तो लोग कहा भी करते कि तुम कैसे सपने देख रहे हो. बचपन के किस्से का जिक्र करते हुए उनके पिता श्रवण यादव ने बताया कि एक बार अपने बेटे को रणजी खिलाने लेकर गए थे.
तब किसी खिलाड़ी ने बेटे को देख कर उगता सूरज कहा था है और भविष्यवाणी की थी कि बच्चा एक दिन देश के लिए क्रिकेट खेलेगा. भविष्यवाणी पर पिता को बड़ी हंसी आई थी और आज उन्होंने कहा कि उनका बेटा वर्ल्ड कप खेलने जा रहा है तो उन्हें ये सपने जैसा लग रहा है. सिद्धार्थ के परिवार में मां, पिता और एक छोटी बहन है. सिद्धार्थ की मां गृहणी हैं, छोटी बहन अभी ग्रेजुएशन फर्स्ट ईयर की पढ़ाई कर रही है. एबीपी न्यूज से सिद्धार्थ की बहन कृतिका ने भाई को इमोशनल इंसान बताया. सिद्धार्थ जब भी अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाता है तो सबसे पहले बहन को फोन पर बताता है.
मां ने कहा की सिद्धार्थ का लगाव सबसे ज्यादा पिता के साथ है. सिद्धार्थ की मां सुधा यादव के मुताबिक मध्यमवर्गीय परिवार होने के कारण बेटे को क्रिकेट खिलाने का सपना देखना काफी संघर्ष भरा रहा. बीते 16 वर्षों में उनका कोई निजी जीवन नहीं रहा है. उन्होंने और उनके पति ने मिलकर सिर्फ और सिर्फ सिद्धार्थ पर ध्यान दिया कि कैसे बेटा देश के लिए खेल पाए. एबीपी न्यूज ने जब सिद्धार्थ की मां से पूछा कि देश के तमाम माता-पिताओं को क्या संदेश देना चाहती हैं जो खेलने के नाम पर अक्सर बच्चों को फटकार देते हैं. जवाब में मां ने कहा कि लोगों को बच्चों को प्रोत्साहित करना चाहिए.
सुबह-सुबह ठंड में स्टेडियम ले जाने पर दादा हो गए थे नाराज
बचपन की कहानी का जिक्र करते हुए सिद्धार्थ की मां ने बताया कि बेटे की उम्र महज 4 साल थी और ठंड के दिन थे. उनके पिता स्कूटर पर बिठाकर सिद्धार्थ को स्टेडियम दिखाने ले गए थे. इस बात पर उनके दादा जी नाराज हो गए कि आखिर ऐसी भी क्या ज़िद जिसकी वजह से बच्चे को सुबह-सुबह इतनी ठंड में स्टेडियम दिखाने ले गए. उनकी दादी की भी शिकायत रहा करती थी कि सिद्धार्थ को पढ़ने पर ध्यान देना चाहिए. सिद्धार्थ के पिता को भी देश के लिए खेलने का शौक था. पिता खुद जिमनास्टिक करते थे और इच्छा थी देश के लिए खेलने की. लेकिन उन्होंने बेटे को क्रिकेटर बनाने की ठान ली और रोज दिन में दुकान बंद कर सिद्धार्थ को 2:00 बजे से 5:00 बजे तक स्टेडियम में क्रिकेट खिलाने ले जाया करते थे.
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