Gangs In Delhi: पंजाब  (Punjab) के मशहूर सिंगर सिद्धू मूसेवाला (Siddhu Moosewala) की हत्या के बाद पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के गैंग्स को लेकर काफी चर्चा हो रही है. पंजाब पुलिस ने आशंका जताई की लॉरेन्स बिश्नोई गैंग ने ये हत्या की है. अब कई राज्यों में एक्टिव लॉरेन्स बिश्नोई गैंग, टिल्लू गैंग और गोगी गैंग खबरों में बने हैं. इन गैंग्स की तह में जाने पर पता चलता है कि इनकी शुरुआत उग्र छात्र राजनीति से शुरू हुई और देखते ही देखते इनके क्राइम की लंबी चौड़ी फेहरिस्त तैयार हो गई. अब इसी क्राइम के तार सिद्धू मूसेवाला की हत्या से भी जुड़े बताए जा रहे हैं.


खिलाड़ी बनना चाहता था बिश्नोई, लेकिन एक जीते कैंडिडेट का पैर तोड़कर की क्राइम की शुरुआत


यह कहानी 2008 में शुरू होती है, जब हरियाणा के एक पूर्व पुलिस कांस्टेबल के बेटे लॉरेंस बिश्नोई, एक भावी एथलीट, राज्य ओपन एथलेटिक चैंपियनशिप में 1500 मीटर दौड़ की तैयारी कर रहा था. चंडीगढ़ के डीएवी स्कूल में पढ़ने वाला बिश्नोई, पंजाब विश्वविद्यालय में कानून का छात्र था, लेकिन उसका सपना एथलेटिक्स में राज्य का प्रतिनिधित्व करने का था. जिस मैदान पर बिश्नोई प्रैक्टिस करता था, वहीं खालसा कॉलेज का एक छात्र संपत नेहरा आता था. धीरे-धीरे दोनों घनिष्ठ मित्र बन गए और यह एक दोस्ती इन सभी वर्षों तक चली. उनके नाम पंजाब विश्वविद्यालय के दस्तावेजों, पुलिस मामलों की फाइलों, यहां तक ​​कि जेल रिकॉर्ड में एक साथ दर्ज हैं. दिल्ली और पंजाब पुलिस का कहना है कि संपत नेहरा गैंगस्टर बिश्नोई का डिप्टी है.


अब अचानक इसी साल बिश्नोई सबकुछ छोड़कर छात्र राजनीति में घुस जाता है और पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्र संगठन चुनाव के एक उम्मीदवार को मारने-पीटने के जुर्म में उसे जेल हो जाती है. बाद में 2-3 महीने बाद जेल से छूटने पर जब वह फिर से कैंपस आता है तो जमकर उत्पात मचाता है. उसके नाम कई मामले दर्ज होते हैं. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद वह 2010 में छात्र संघ के चुनाव में खुद उतरता है और यहीं उसकी पहचान गोल्डी ब्रार नाम के जूनियर से होती है, जो अब बिश्नोई गैंग को कनाडा से चलाता है. वहीं 2010 में बिश्नोई चुनाव हार जाता है और उसके बाद तीनों दोस्त, बिश्नोई, ब्रार और नेहरा साथ मिलकर जीते हुए उम्मीदवार का पैर तोड़ देते हैं. यह तीनों का साथ में मिलकर किया गया पहला क्राइम था.


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दिल्ली में ऐसे बने दो गैंग


वहीं इसी समय दिल्ली में दो और लोग चर्चा में थे. यहां जितेंदर गोगी, जो एक अच्छा वालीबॉल खिलाड़ी भी था, दिल्ली के अपराधियों के साथ रहने लगा था. 2008 से 2013 तक वह कई अपराध कर चुका था और इसी बीच उसके बचपन के दोस्त सुनील मान उर्फ टिल्लू के बीच श्रद्धानंद कॉलेज में दुश्मनी शुरू हो गई. दोनों ने कॉलेज इलेक्शन में अपने-अपने उम्मीदवारों का साथ दिया. बाद में दोनों ने अपनी अलग-अलग गैंग बनाई और दिल्ली के क्राइम नेटवर्क को संभालने लगे. ये दोस्ती ऐसी खतरनाक दुश्मनी में बदली की दोनों गैंग से अबतक दो दर्जन गैंगस्टर मारे जा चुके हैं और अंत में बीते साल गोगी को खुद टिल्लू गैंग के लोगों में रोहिणी कोर्ट रूम में गोली मारकर हत्या कर दी.


इस बीच बिश्नोई दिल्ली के लिए रास्ता तलाश रहा था, उसे इसमें संदीप काला नाम के गैंगस्टर ने मदद की, जो गोगी गैंग का आदमी था, ने बिश्नोई को गोगी से मिलवाया, जिसके बाद गोगी और बिश्नोई दोनों अपनी गैंग को मिलाकर काम करने लगे. बाद में बीते साल गोगी की हत्या के बाद कमान बिश्नोई के पास आई. पुलिस को संदेह है कि इस मिले हुए गैंग ने मूसेवाला की हत्या की.


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