Delhi News: दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में ट्रेकियोस्टोमी ट्यूब से 10 साल से अधिक समय तक सांस लेने वाले 13 वर्षीय लड़के की सर्जरी हुई. इस 13 साल के बच्चे को डॉक्टरों ने वापस आवाज भी लौटा थी, श्रीकांत को बचपन में सिर में चोट लग गई थी और इसके बाद उन्हें लंबे समय तक वेंटिलेटर पर रखना पड़ा था. लंबे समय तक वेंटिलेशन पर रखने की वजह से उसकी सांस लेने की नली रुक गई थी, इसके बाद डॉक्टरों ने एक ट्रेकियोस्टोमी की जिसमें गर्दन में एक छेद करके सांस लेने की एक ट्यूब डाली गई.


हालांकि इस बच्चे के विंडपाइप के एक हिस्से के नहीं होने के कारण उसे सामान्य रुप से सांस लेने में काफी परेशानी होती थी. इसके साथ ही बच्चे की आवाज भी नहीं निकली थी क्योंकि इसके पास सांस लेने के लिए कोई एयरवे नहीं था. इस वजह से इसकी आवाज भी वापस नहीं आ रही थी, लेकिन डॉक्टरों ने अब इस बच्चे के एयरवे और वॉयस रेस्टोरेशन सर्जरी कर दी. इसके बाद बच्चा अब स्वस्थ्य है और उसकी आवाज वापस आ गई. 


इस ऑपरेशन के बाद ईएनटी विभाग की वरिष्ठ सलाहकार ने कहा कि मैंने अपने 15 सालों के कार्यकाल में ऐसा केस नहीं देखा था. जब मैंने पहली बार रोगी को देखा, तो मुझे लगा कि यह एक बहुत ही जटिल एयरवे  और वॉयस बॉक्स सर्जरी होने जा रही है. फिर अस्पताल ने इस ऑपरेशन के लिए थोरैसिक सर्जरी, ईएनटी, पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर और एनेस्थीसिया विभागों के डॉक्टरों का एक पैनल बनाया.


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लेरिंजियल ड्रॉप प्रक्रिया से हुआ ऑपरेशन


डॉ मुंजाल ने कहा वॉयस बॉक्स के पास 4 सेमी विंडपाइप पूरी तरह से गायब थी और वह बिल्कुल काम करने योग्य नहीं थी. इसलिए हमारी पहली चुनौती एयरवे के ऊपरी और निचले हिस्से को पास लाकर इस अंतर को कम करना था. वॉयस बॉक्स को उसकी सामान्य स्थिति से नीचे लाने के लिए लेरिंजियल ड्रॉप प्रक्रिया की गई थी. डॉक्टर ने कहा उसे कम दबाव वाले ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया था ताकि उसे कोई दर्दनाक हवा का रिसाव न हो. 


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