Delhi News: दिल्ली में प्रेमी जोड़ों को अब स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी करने में परिवार के हस्ताक्षेप से राहत मिलेगी. दिल्ली सरकार ने वैवाहिक मामलों के अधिकारियों को एक नोटिस जारी करके जोड़ों के माता-पिता और उनके निवास स्थान पर नोटिस जारी न करने का आदेश दिया है और इसका पालन न करने वाले अधिकारीयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.


इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक यह मामला अगस्त में एक सब-डिवीज़नल मजिस्ट्रेट के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायलय में दायर एक अवमानना के मामले से उजागर हुआ. इस मामले में सम्बन्धित अधिकारी ने अंतरधार्मिक विवाह करने जा रहे जोड़े के माता-पिता को नोटिस जारी कर दिया था. अधिकारीयों के नोटिस जारी करने के बाद, लड़की के घर वालों ने उसको अगवा कर लिया था. हालाँकि बाद में उसके प्रेमी के ज़रिये कोर्ट में हेबीयस कॉर्प्स केस दायर करने के बाद परिवार ने लड़की को छोड़ दिया. 


दिल्ली के राजस्व विभाग द्वार दिल्ली के सभी अधिकारीयों को जारी सूचना आदेश में जिनमें डिप्टी कमिश्नर, सभी एडीएम, सभी एसडीएम और तहसीलदारों को दिल्ली सरकार ने कहा कि वैवाहिक मामलों के अधिकारी और रजिस्ट्रार कानून के मुताबिक आधिकारिक बोर्ड पर इसकी सूचना दें.


वैवाहिक मामलों के अधिकारी के ज़रिये एक जोड़े के निवास स्थान पर नोटिस भेजने को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने 2009 के अपने एक आदेश में कहा था, स्पेशल मैरिज एक्ट भारतियों को किसी भी नागरिक से शादी करने के लिए सक्षम बनाने के उद्देश्य के साथ किया गया था. चाहे वह किसी भी धर्म, जाति से हो या कोई आम नागरिक जो शादी की इच्छा रखता हो. दिल्ली सरकार ने अवमानना के इस केस को नजीर मानते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले को अधिकारीयों को बगेर किसी लागलपेट के पालन करने का निर्देश दिया.


सरकार ने अपने सर्कुलर में आदेश का पालन न करने पर संबंधित अधिकारीयों के खिलाफ कानून के मुताबिक सख्त कार्रवाई करने की बात कही है. दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने अगस्त के आदेश में कहा कि ऐसे नोटिस जो किसी की योजनाओं या किसी के जीवन या शरीर को नुक्सान पहुंचा सकते हैं उन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने आदेश दिया था. अधिवक्ता उत्कर्ष सिंह द्वार साउथवेस्ट के एसडीएम के खिलाफ दायर अवमानना के केस मामले में भी दिल्ली हाई कोर्ट के 2009 के फैसले का हवाला दिया गया था.


दिल्ली में पिछले साल दो अलग-अलग धर्मों से संबंध रखने वाले एक जोड़े ने शादी के लिए रजिस्ट्रेशन किया था. अधिकारी ने कोर्ट के 2009 के आदेशों का उल्लंघन करते हुए उनके परिवारों को नोटिस जारी कर दिया. नोटिस मिलते ही लड़की के भाई और पिता ने लड़की को अगवा कर लिया. जिसके बाद लड़की के दोस्त जो अब उसके पति हैं ने हेबीयस कार्पस का केस दायर किया. लड़की ने कोर्ट में माता-पिता के घर जाने से इंकार कर दिया. जिसके बाद अदालत ने जोड़ों को पुलिस सुरक्षा प्रदान की और मई 2020 उन्होंने शादी की. इसी केस से जोड़ते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने अक्टूबर 2020 में केंद्र और दिल्ली सरकार को एक नोटिस जारी किया, जिसमें कोर्ट ने स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के तहत शादी के लिए रजिस्ट्रेशन के समय तीस दिन के समय देकर पब्लिक नोटिस जारी करने को लेकर सवाल पूछा था. जिसके जवाब में केंद्र सरकार ने फरवरी 2021 में इसको ख़ारिज करने की मांग करते हुए कहा इसके सभी पक्षों के हितों के सुरक्षा मुहैया करना है, इस नोटिस को जारी करने के तीस दिन के अन्दर अगर किसी ने आपत्ति दर्ज करायी तो जांच जारी रहने तक संबंधित अधिकारी उन्हें शादी का प्रमाण पत्र जारी नहीं करता है. 


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