दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा सेंट स्टीफंस कॉलेज के निर्देश को नकारने के बाद अब मामला काफी बढ़ता दिख रहा है. सेंट स्टीफंस कॉलेज ने डीयू को पत्र लिखकर अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है. इसके साथ ही सेंट स्टीफंस कॉलेज ने गुरुवार को दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रों को स्नातक पाठ्यक्रमों में एडमिशन के लिए सभी उम्मीदवारों के इंटरव्यू आयोजित करने के कॉलेज के अनुरोध को स्वीकार करने का अनुरोध किया.
सेंट स्टीफंस कॉलेज के प्रिंसिपल जॉन वर्गीज ने कहा कि कॉलेज भारत के संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों और विशेषाधिकारों से समझौता किए बिना विश्वविद्यालय द्वारा तय किए गए सीयूईटी का पालन करने का इरादा रखता है. इसके साथ ही प्रिंसिपल ने सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के 1992 के एक फैसले का भी हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि एक ईसाई अल्पसंख्यक संस्थान के रूप में सेंट स्टीफंस की अपनी प्रवेश प्रक्रियाएं हैं जो देश के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित हैं और भारत के संविधान द्वारा गारंटीकृत हैं.
वर्गीज ने कहा कि विश्वविद्यालय ने 1992 के फैसले पर ध्यान नहीं दिया जो कॉलेज और डीयू के बीच आया था. क्योंकि कॉलेज ने जिस प्रक्रिया का पालन किया है और जिसे विश्वविद्यालय ने पिछले चार दशकों या उससे अधिक समय से मंजूरी दी है, उसे अचानक भूल जाना वास्तव में अजीब है. वर्गीज ने कहा कि कॉलेज में आवेदन करने वाले सभी उम्मीदवारों को बिना किसी भेदभाव के समान प्रवेश प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा.
बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने सेंट स्टीफंस कॉलेज को नोटिस जारी करके कहा था कि वह कॉलेज द्वारा केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (CUET) के दिशानिर्देशों के उल्लंघन में किए गए सभी प्रवेशों को रद्द कर देगा. क्योंकि कॉलेज ने एक प्रॉस्पेक्टस जारी किया था जिसमें कहा गया था कि यह छात्रों को स्नातक पाठ्यक्रमों में एडमिशन देगा. जिसमें घोषित 85:15 (CUET स्कोर व इंटरव्यू का वेटेज फॉर्मूला है. इस प्रॉस्पेक्टस में कॉलेज की तरफ से कहा गया है कि वह CUET को पात्रता मानदंड के रूप में अपनाएगा जिसमें CUET स्कोर को 85% और व्यक्तिगत इंटरव्यू को 15% वेटेज दिया जाएगा.