Delhi News: दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफार पोस्टिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा 11 मई को दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला आने के 8 दिन बाद केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश लाकर उसके प्रभाव को पलट दिया था. केंद्र का अध्यादेश लागू होने के बाद से जहां सीएम केजरीवाल बीजेपी शासित केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमलावर बनी हुई है तो दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल इस मुद्दे को लेकर देश की तमाम विपक्षी दलों को लामबंद करने में जुट गए हैं. ताकि राज्यसभा में केंद्र सरकार और बीजेपी को अध्यादेश को संसद के दोनों सदनों में पारित होने से रोका जा सके. इस मुहिम में सीएम केजरीवाल को काफी हद तक सफलता भी मिलती दिख रही है, क्योंकि कई विपक्षी दल खुल कर केजरीवाल के समर्थन में आगे आ रहे हैं.
केंद्र के अध्यादेश के मामले में केजरीवाल को समर्थन देने के मुद्दे पर प्रदेश कांग्रेस के नेताओं में अब तक एक मत नहीं हो पाया है. सोमवार को राष्ट्रीय आलाकमान के साथ हुई बैठक में कुछ नेताओं ने दिल्ली सरकार को ज्यादा शक्ति मिलने की वकालत तो की, लेकिन अधिकतर ने विरोध में अपना मत जाहिर किया. सभी ने अंतिम फैसला आलाकमान पर छोड़ दिया. वहीं आलाकमान ने भी अभी अपने पत्ते नहीं खोले. सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में कांग्रेस के पास समर्थन करने के सिवाय दूसरा विकल्प नहीं है.
बड़े नेता अध्यादेश के मुद्दे पर समर्थन के खिलाफ
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली सरकार को सर्विस की शक्ति दिए जाने के बाद बीजेपी सरकार ने अध्यादेश लाकर उसे पलट दिया है. उसके बाद आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पूरे देश में बीजेपी के खिलाफ अपने पक्ष में समर्थन जुटाने में लगे हैं. प्रदेश कांग्रेस के नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन हों या वर्तमान अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार लगातार अध्यादेश के मुद्दे पर समर्थन को खारिज कर रहे थे. इसी को लेकर सोमवार को आलाकमान ने दिल्ली के प्रमुख नेताओं की राय जानने के लिए बैठक बुलाई. इस बैठक में राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, वरिष्ठ नेता राहुल गांधी, दिल्ली प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन, जेपी अग्रवाल, अरविंदर सिंह लवली, सुभाष चोपड़ा, वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष चौ. अनिल कुमार के अलावा हारुन युसूफ और योगेंद्र यादव शामिल हुए.
फैसला आलाकमान पर छोड़ा
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि जिस प्रकार अजय माकन लगातार विरोध कर रहे थे, उन्होंने बैठक में अध्यादेश पर समर्थन देने की बात कही. हालांकि इस दौरान अरविंदर सिंह लवली और सुभाष चोपड़ा ने इतना जरूर कहा कि अतीत में कांग्रेस भी ज्यादा शक्ति मिलने की मांग करती रही है, लेकिन इन दोनों ने भी अंतिम फैसला आलाकमान पर छोड़ दिया है. बैठक में अधिकांश ने केजरीवाल को समर्थन नहीं देने की ही बात कही, लेकिन साथ में अंतिम फैसला आलाकमान पर छोड़ते हुए कहा कि उनका जो फैसला होगा वह मंजूर होगा.
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