Delhi NCD News: दिल्ली नगर निगम में एल्डररमैन की नियुक्ति को लेकर दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सरकार के बीच खींचतान पांच अगस्त को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद समाप्त हो गया. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली सरकार को बड़ा झटका देते हुए एलजी द्वारा विवेक पर एल्डरमैन के मनोनयन को संशोधित डीएमसी एक्ट के तहत सही करार दिया है. इस निर्णय से एमसीडी स्टैंडिंग कमेटी का रास्ता साफ हो गया है.
आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर सम्मानपूर्वक असहमति जताई है, जबकि बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का स्वागत किया है. बीजेपी ने अब निगम की सत्ता पर काबिज आप सरकार से जल्द स्थायी समिति के चुनाव कराने की मांग की है.
निगम सचिव तैयार करेंगे मसौदा
दरअसल, एमसीडी स्थायी समिति में कुल 18 सदस्य होते हैं. इन 18 सदस्यों में से 12 सदस्य वार्ड समितियों के चुनाव से चयनित होते हैं. जबकि छह सदस्यों का चुनाव सदन में होता है. अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद निगम सचिव सभी 12 जोन की वार्ड समितियों का चुनाव कराने के लिए एक मसौदा तैयार करेंगे. इन समितियों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और स्थायी समिति के एक सदस्य चुने जाएंगे.
फरवरी 2023 में स्थायी समिति की सदस्य चुनी गई कमलजीत सहरावत के सांसद बनने के बाद उनकी जगह पर एक सदस्य का चयन करने के लिए चुनाव होगा. उसके बाद स्थायी समिति के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव होगा.
मेयर से लेनी होगी चुनाव कराने की मंजूरी
पूर्वोत्तर और पूर्वी दिल्ली नगर निगम के प्रेस और सूचना निदेशक योगेंद्र सिंह मान ने बताया कि सभी के चुनाव सिविक सेंटर में होंगे. निगम सचिव सभी 12 जोन की वार्ड समिति के चुनाव, स्थायी समिति के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव की तिथियों से संबंधित एक मसौदा तैयार करेंगे. इसमें सदस्यों के नामांकन समेत चुनाव की तिथियों की जानकारी दी जाएगी. सचिव इस मसौदे को मेयर से स्वीकृत कराएंगे. मेयर से मंजूरी के बाद वार्ड समिति, स्थायी समिति को लेकर अधिसूचना जारी की जाएगी.
स्टैंडिंग कमेटी न होने से अटकी पड़ी हैं कई योजनाएं
एमसीडी के नियमानुसार वार्ड समितियों और स्थायी समिति के गठन के बाद बाद पांच करोड़ रुपये से अधिक के फंड के लिए तैयार परियोजनाओं को स्थायी समिति से स्वीकृति मिलेगी. 50 करोड़ या अधिक फंड से जुड़ी परियोजनाओं पर निगम के नियमों के अनुसार स्थायी समिति ही फैसला ले सकती है. अब तक इस समिति का गठन न होने के कारण नए अस्पताल, नई इंजीनियरिंग लैंडफिल साइटों के निर्माण जैसी कई बड़ी परियोजनाओं पर अटकी पड़ी हैं. बड़ी परियोजनाओं की डीपीआर तैयार करने में भी स्थायी समिति की स्वीकृति की भी आवश्यकता होती है, लेकिन स्थायी समिति के गठन के बाद अब इन सभी पर फैसला लिया जा सकेगा.
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