Supreme Court News: लालकिले पर हमले के दोषी पाकिस्तानी आतंकी को नहीं मिली सुप्रीम कोर्ट से राहत, होकर रहेगी फांसी
Lal Qila Attack: दिल्ली के लाल किले पर साल 2002 में आतंकी हमला हुआ था. इस हमले में सेना के दो जवानों समेत तीन लोगों की मौत हुई थी. सेना की जवाबी कार्रवाई में दोनों हमलावर भी मारे गए थे.
Delhi News: सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने दिसंबर 2000 में दिल्ली में लाल किले (Red Fort) पर हुए हमले के दोषी लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) के आतंकवादी मोहम्मद आरिफ ऊर्फ अशफाक को फांसी की सजा बरकरार रखी है. सुप्रीम कोर्ट ने अशफाक की फांसी की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है.आरिफ को सुप्रीम कोर्ट ने एक लंबी सुनवाई के बाद इस मामले में 10 अगस्त 2011 को फांसी की सजा सुनाई थी. इसके बाद उसने ओपन कोर्ट में पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई की मांग की थी.
क्या है पूरा मामला
आशफाक पर 22 दिसंबर 2000 की रात लालकिला में बने सेना की बैरक पर हुए हमले में शामिल होने का आरोप था. इस हमले में सेना के दो जवानों समेत तीन लोगों की मौत हो गई थी. सेना की जवाबी कार्रवाई में लालकिला में घुसपैठ करने वाले दो आतंकवादी भी मारे गए थे. इस मामले में सुनवाई करते हुए एक निचली अदालत ने 31 अक्तूबर 2005 को अशफाक को फांसी की सजा सुनाई थी.
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इस मामले में अब तक 11 दोषियों को सजा हो चुकी है. जांच में यह बात सामने आई थी कि आतंकवादियों को इस हमले को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान से दस लाख रुपए मिले थे. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उसे दोषी पाया था. सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने जुलाई 2019 को पाकिस्तानी नागरिक आरिफ उस पुनर्विचार याचिका को सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया था. यह ऐसा पहला मामला था, जिसमें किसी दोषी की पुनर्विचार याचिका और क्यूरेटिव याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हुआ हो.
अशफाक की याचिका पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में अशफाक की फांसी की सजा को बरकरार रखते हुए पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी. देश की शीर्ष अदालत ने 2014 में उसकी क्यूरेटिव याचिका भी खारिज कर दी. उसके बाद अशफाक ने यह रिव्यू याचिका दायर की थी, उसे भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है.