Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान हो गया 'मुन्ना भाई MBBS' का जिक्र, जानिए क्या है पूरा मामला
मेडिकल कॉलेज में अतिरिक्त छात्रों के दाखिले की अनुमति रद्द करने से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय के समक्ष बॉलीवुड फिल्म 'मुन्ना भाई एमबीबीएस' जैसी स्थिति सामने आयी.
Supreme Court: मेडिकल कॉलेज (Medical college) में अतिरिक्त छात्रों के दाखिले (Admission) की अनुमति रद्द करने से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) के समक्ष सोमवार को बॉलीवुड फिल्म 'मुन्ना भाई एमबीबीएस' (Bollywood movie 'Munna Bhai MBBS') जैसी स्थिति सामने आयी. एक औचक निरीक्षण के आधार पर अतिरिक्त दाखिले की अनुमति रद्द की गई है, जिसमें कहा गया है कि वार्ड में सभी 'चुस्त-तंदुरुस्त' थे और "बच्चों के वार्ड में किसी मरीज (Patient) की हालत गंभीर नहीं थी."
कॉलेज में नहीं है कोई एक्स-रे मशीन
राष्ट्रीय मेडिकल आयोग (NMC) ने शीर्ष अदालत को बताया कि अतिरिक्त छात्रों के दाखिले की अनुमति इसलिए रद्द कर दी गई, क्योंकि अन्य कमियों के अलावा कॉलेज में कोई ऑपरेशन थियेटर और एक्स-रे मशीन नहीं थी. न्यायमूर्ति डी. वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा, "यह आश्चर्यजनक है. यह मुन्ना भाई फिल्म की तरह है. वार्ड में भर्ती सभी मरीज चुस्त-तंदुरुस्त हैं. बच्चों के वार्ड में किसी मरीज की हालत गंभीर नहीं है. हमें निरीक्षण रिपोर्ट में और क्या-क्या मिला है, यह नहीं बता सकते हैं. हम आश्चर्य में हैं."
बीमारी मकर संक्रांति को नहीं रुक जाती है.
अन्नासाहेब चूड़ामन पाटिल मेमोरियल मेडिकल कॉलेज की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि एनएमसी ने बिना किसी नोटिस के औचक निरीक्षण किया और वह भी सार्वजनिक अवकाश, 'मकर संक्रांति' के दिन, जिस दिन ऐसा करना मना है. पीठ ने सिंघवी को बताया, "बीमारी मकर संक्रांति के दिन रुक नहीं जाती है. आपके मुवक्किल (कॉलेज) ने यह नहीं कहा कि वहां कोई मरीज नहीं था."
एनएमसी और मेडिकल कॉलेज द्वारा दायर याचिकाओं चल रही थी सुनवाई
पीठ बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली एनएमसी और मेडिकल कॉलेज द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में आयोग द्वारा कॉलेज का नये सिरे से निरीक्षण करने और छात्रों को दाखिले की अनुमति देने को कहा था. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अधिवक्ता गौरव शर्मा ने कहा कि कानून के तहत एनएमसी औचक निरीक्षण कर सकता है और उच्च न्यायालय ने जो आदेश दिया उसके अनुसार "इस प्रकार के कॉलेज" में उसकी शुरुआती क्षमता के अनुरूप 100 एमबीबीएस छात्रों के दाखिले की अनुमति मिली है.
नये छात्रों का दाखिला जारी रखने का आदेश
मेहता ने कहा, "वहां कोई ऑपरेशन थियेटर और एक्स-रे मशीन नहीं है. छात्रों को चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि सरकार की सलाह के बाद उन्हें दूसरे कॉलेजों में भेज दिया जाएगा. मुझे सिर्फ एक बात की ओर इंगित करना है, 100 को अनुमति दी गई थी और 50 नये थे. इस आदेश के अनुसार 100 यहां काम करते रह सकते हैं, लेकिन वे नये का दाखिला नहीं कर सकते, ताकि नये बैच को ऐसी हालात का सामना ना करना पड़े. अब अगर आप मान्यता रद्द करते हैं तो उन छात्रों को नुकसान नहीं होगा, क्योंकि सरकार के साथ चर्चा के बाद हम उन्हें दूसरे कॉलेजों में भेज देंगे. लेकिन ऐसे संस्थान में और नये छात्रों का दाखिला जारी नहीं रख सकते हैं."
यह भी पढ़ें-
Madhya Pradesh: जानिए कैसे किसान के बेटे सागर पाटीदार ने Startup शुरू करने के लिए छोड़ी IIT