महिला की आत्महत्या के मामले में Supreme Court ने सास और ननद को अग्रिम जमानत देने से किया इनकार, कही बड़ी बात
Delhi News: नवविवाहिता की आत्महत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सास और ननद को अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि नियमित जमानत के लिए अर्जी दी जा सकती है.
Supreme Court Refuse to Grant Anticipatory Bail in Suicide Case: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने आत्महत्या (Suicide) कर चुकी एक नवविवाहिता की सास और ननद को अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) देने से सोमवार को इनकार करते हुए कहा कि उन दोनों को उसे बचाना चाहिए था ना कि उसे प्रताड़ित करना चाहिए था. महिला ने आत्महत्या करने से पहले ये शिकायत की थी कि उसके पति (Husband) के विवाहेत्तर संबंध हैं. शीर्ष न्यायालय ने कहा कि शादी (Marriage) के 2 महीने बाद महिला की मौत हो गई और ये आरोप हैं कि उसकी सास तथा ननद उसे प्रताड़ित किया करती थी.
बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को दी थी चुनौती
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की अवकाशकालीन पीठ ने दोनों महिलाओं (महिला की सास और ननद) की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश जारी किया. याचिका के जरिए दोनों ने बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें मामले में गिरफ्तारी से संरक्षण का अनुरोध करने वाली उनकी अर्जियां खारिज कर दी गईं थी.
'आरोप हैं, आप क्यों कह रहे हैं कि आरोप नहीं हैं'
शीर्ष न्यायालय में सुनवाई के दौरान, जब दोनों महिलाओं की ओर से पेश हुए वकील ने दलील दी कि उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं है, तब पीठ ने कहा, ''आरोप हैं, आप क्यों कह रहे हैं कि आरोप नहीं हैं?'' पीठ ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि, ''आरोप है कि सास और ननद मुझे (महिला को) परेशान कर रही थी और जब ये आरोप लगाए गए कि मेरे (महिला के) पति के विवाहेत्तर संबंध हैं, तो आपको उसे प्रताड़ित करने के बजाय उसकी रक्षा करनी चाहिए थी. नवविवाहिता कहां जाती.''
अग्रिम जमानत का आधार नहीं
वकील ने शीर्ष न्यायालय से कहा कि इस बारे में सीधे तौर पर आरोप नहीं है कि इन दो महिलाओं ने उसे (नवविवाहिता को) आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया. पीठ ने कहा कि, ''माफ कीजिएगा, आप आत्मसपर्मण करें और (नियमित) जमानत के लिए अर्जी दें.'' न्यायालय ने कहा कि, ''उस महिला के बारे में सोचिए जिसकी शादी के 2 महीने के अंदर मौत हो गई.'' शीर्ष न्यायालय ने कहा कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के आलोक में अग्रिम जमानत का कोई आधार नहीं बनता है. पीठ ने कहा कि, ''याचिकाकर्ता आज से एक सप्ताह की अवधि में आत्मसमर्पण करें, वो नियमित जमानत के लिए अर्जी दे सकती हैं.''
कीटनाशक खाकर की थी आत्महत्या
गौरतलब है कि, नवविवाहिता ने पिछले महीने कीटनाशक खाकर आत्महत्या कर ली और उसके पिता ने घटना के अगले दिन पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में कहा गया था कि महिला की इस साल फरवरी में शादी हुई थी और उसका पति जम्मू में पदस्थ था. शिकायत के मुताबिक, महिला ने अपने पति के विवाहेत्तर संबंधों के बारे में अपने पिता से शिकायत की थी और उसने आरोप लगाया था कि इस कारण उसके पति के रिश्तेदार उसे प्रताड़ित करते थे.
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