SC on Delhi Air Pollution: दिल्ली वायु प्रदूषण मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की बात मानते हुए आगामी 24 नवंबर तक के लिए कोई आदेश नहीं दिया है. लेकिन कोर्ट ने इस दौरान कुछ बड़ी बातें कही हैं. 



  • कोर्ट ने सबसे पहले किसानों द्वारा पराली जलाए जाने वाले मुद्दे पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि यहां 7 स्टार सुविधा में बैठे लोग किसानों पर जिम्मा डालना चाहते हैं. क्या उन्हें पता है कि औसत किसान की जमीन का आकार क्या है? क्या वह खर्च उठा सकते हैं. साथ ही कोर्ट ने कहा कि पंजाब सरकार यह कह रही है कि उसने पराली जलाने वाले किसानों के खेत मे पानी छिड़क कर उसे बुझा दिया. लेकिन किसानों की मदद कौन करेगा? उन्हें गेहूं बोने को खेत तैयार करने के लिए सिर्फ 15-20 दिन का समय मिलता है.

  • वहीं कोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आप कह रहे हैं कि NCR में पड़ने वाले 4 जिलों में वर्क फ्रॉम होम का आदेश दिया गया है. क्या आप दावा कर सकते हैं कि अब वहां गाड़ियां नहीं चल रहीं? आपने लोगों को उनकी मर्जी से काम करने की छूट दे रखी है.

  • मामले में एक और बात करते हुए कोर्ट ने कहा कि फिलहाल कोई आदेश जारी करने का मतलब यह नहीं है कि कोर्ट मामले पर गंभीर नहीं है. केंद्र और राज्यों के ठोस कदम उठाने की हमें उम्मीद है.

  • दिल्ली सरकार को भी लपेटे में लेते हुए कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार ने सड़क सफाई की कितनी मशीनें खरीदी हैं? अगर 15 मशीन खरीद भी ली गई तो क्या उनसे 1000 किमी सड़क साफ हो जाएगी.


वहीं केन्द्र सरकार के लिए पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने अपने दफ्तरों को बंद करने से मना कर दिया. मेहता ने कहा कि अगर दिल्ली के चलते केंद्र के दफ्तर बंद किये गए तो यहां सीमित फायदा होगा, लेकिन पूरे देश का अधिक नुकसान होगा. इस पर जजों ने कहा कि वह दफ्तर बंद करने को नहीं कह रहे, लेकिन सरकारी कॉलोनियों में बस उपलब्ध करवाई जानी चाहिए. इससे एक साथ 50-60 कर्मचारी और अधिकारी यात्रा कर सकेंगे.


अब फिलहाल कोर्ट ने सुनवाई 24 नवंबर तक के लिए टाल दी है.


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