Delhi News: एलजी विनय कुमार सक्सेना (VK Saxena) द्वारा बिना मंत्रियों की सलाह के MCD में पार्षदों को मनोनीत किए जाने के फैसले के खिलाफ आम आदमी पार्टी की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)p में याचिका दाखिल की थी. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 5 अगस्त को फैसला सुनाएगा. इस मामले में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा, जेबी परदीवाला ने पिछले साल 17 मई को सुनवाई के बाद आदेश को सुरक्षित रख लिया था.
इस मामले में फैसले जस्टिस पी एस नरसिम्हा करेंगे. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल इस मामले में कहा था कि एमसीडी के पार्षद मनोनीत करने की शक्ति उपराज्यपाल के पास होने का मतलब है कि वह नगर निगम को अस्थिर कर सकते हैं. बता दें कि एमसीडी में 250 निर्वाचित और 10 मनोनीत सदस्य होते हैं.
मनोनीत करने के पीछे दी गई थी यह दलील
पिछले साल जब पार्षदों को मनोनीत किया गया था तब एलजी ऑफिस की ओऱ से कहा गया था कि डीएमसी एक्ट के तहत प्राप्त शक्तियों के तहत दिल्ली के प्रशासक यानी उपराज्यपाल को 10 लोगों को नगर निगम में मनोनीत करने का अधिकार है. इसमें कहा गया था कि उपराज्यपाल को कानूनी और संवैधानिक प्रावधानों के तहत पार्षदों की नियुक्ति का पूरा अधिकार है.
सीएम केजरीवाल ने एलजी को दिया था यह जवाब
इसके बाद दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और एलजी एक-दूसरे के आमने-सामने आ गए थे. जिसके बाद सीएम अरविंद केजरीवाल की ओऱ से यह दावा किया गया था कि एमसीडी में सदस्यों का मनोनयन दिल्ली सरकार द्वारा किया जाता है लेकिन एलजी ने बिना सरकार से सलाह लिए सदस्यों को नामित कर दिया है. उनका कहना था कि संविधान के तहत मनोनयन का अधिकार सरकार के पास है. उन्होंने कहा था कि कई दशकों से दिल्ली एमसीडी में सदस्यों को सरकार की मनोनीत करती आई है.
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