सुप्रीम कोर्ट ने जहांगीरपुरी डिमॉलिशन केस में सुनवाई के दौरान कहा कि फिलहाल जहांगीरपुरी में बुलडोजर नहीं चलेगा और नहीं इलाके में तोड़फोड़ होगी. वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर नॉर्थ एमसीडी के मेयर इकबाल सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा और सुप्रीम कोर्ट के अंतिम आदेश के बाद ही आगे कुछ भी किया जाएगा. इस मामले की सुनवाई के समय सुप्रीम कोर्ट ने कहा इस पर विचार किया जाएगा और केस की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी और तब तक यथास्थिति बरकरार रहेगी. इसके साथ ही कोर्ट ने नोटिस जारी कर अथॉरिटी से जवाब मांगा है.
इस मामले की सुनवाई के समय कोर्ट ने कहा कि टेबल चेयर हटाने के लिए बुलडोजर चलाया आपने और क्या बुलडोजर चलाने से पहले नोटिस जारी हुए. इसके साथ ही याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कोर्ट में कहा कि यह मुद्दा सिर्फ जहांगीरपुरी का नहीं है. ये देश भर के सामाजिक ताने-बाने के खिलाफ चलाया जा रहा है. समाज के खास तबके को निशाना बनाकर अतिक्रमण के नाम पर तोड़फोड़ की जा रही है. इसके साथ ही दवे ने कहा कि किसी के घर को नोटिस के बिना नहीं हटा सकेत हैं, ये जंगल का कानून है और हम इस के खिलाफ हैं.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एल नागेश्वर राव और बीआर गवई की बेंच ने विध्वंस अभियान के खिलाफ याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने कहा कि यह मामला संवैधानिक और राष्ट्रीय महत्व के प्रश्न से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि यह मामला जहांगीरपुरी तक सीमित नहीं है, अगर इसकी अनुमति दी गई तो कानून का राज नहीं बचेगा.
दवे ने कहा कि दिल्ली में लाखों लोगों के साथ 731 अनधिकृत कॉलोनियां हैं और आप एक कॉलोनी इसलिए चुनते हैं क्योंकि आप 1 समुदाय को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं.इस मामले पर सुनवाई के दौरान दुष्यंत दवे ने कहा कि पुलिस और नागरिक प्राधिकरण को संविधान का पालन करना होगा. वह संविधान के प्रति जिम्मेदार हैं. वह बीजेपी के नेता कि किसी चिट्ठी के प्रति उत्तरदायी नहीं हैं.
वहीं मामले में जमीयत की ओर से पेश हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि अतिक्रमण एक गंभीर मुद्दा है लेकिन मुद्दा यह है कि मुसलमानों को अतिक्रमण से जोड़ा जा रहा है. उन्होंने कहा कि ऐसे मामले दूसरे राज्यों में भी हो रहे हैं.