MCD Latest News: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति का अधिकार पर फैसला सुना दिया है. कोर्ट के फैसले के मुताबिक एल्डरमैन की नियुक्ति का अधिकार उपराज्यपाल के पास ही रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि सरकार की सहायता और सलाह के बिना एमसीडी में एल्डरमैन नियुक्त करने का अधिकार एलजी का है. इस पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया आई है.


कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा, "जब सुप्रीम कोर्ट ने कानून देखा तो उसने स्पष्ट कर दिया कि एल्डरमैन नियुक्त करने का अधिकार उपराज्यपाल के पास है. आम आदमी पार्टी हमेशा कहती है कि उपराज्यपाल ने उनके अधिकारों का अतिक्रमण किया है. इसका मतलब है कि या तो आपने कानून नहीं देखा या आपने एल्डरमैन के लिए नाम भेजते समय जानबूझकर कानून तोड़ा. यह साबित हो गया कि आप झूठे हैं, आपको कानून की समझ नहीं है और आप कानूनी व्यवस्था के साथ राजनीतिक खेल खेलते हैं.


संदीप दीक्षित ने आरोप लगाया कि सच्चाई, ईमानदारी और नैतिकता के आधार पर चुनी गई आम आदमी पार्टी ने बिना झूठ बोले कोई काम नहीं किया. उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है.


कांग्रेस नेता जितेंद्र कोचर ने कोर्ट के फैसले का किया स्वागत


इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दिल्ली कांग्रेस के नेता जितेंद्र कोचर ने एल्डरमैन की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है.


वहीं दिल्ली बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया कि उपराज्यपाल को एमसीडी में एल्डरमैन नामित करने का अधिकार है. बीजेपी की ओर से कहा गया कि उपराज्यपाल के हर काम पर सवाल उठाना आम आदमी पार्टी की आदत बन गई है.


दिल्ली सरकार की ओर से दायर की गई याचिका


गौरतलब है कि पिछले साल मई में कोर्ट ने दिल्ली सरकार की ओर से दायर एक याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. याचिका में गजट नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत एलजी ने मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर नहीं, बल्कि अपने विवेक से एमसीडी में 10 मनोनीत सदस्यों की नियुक्ति की थी.


फैसला सुनाते हुए जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि संसद की ओर से बनाए गए दिल्ली नगर निगम अधिनियम के तहत एलजी को अपने विवेक से काम करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अधिनियम की धारा 3(3)(बी) (जैसा कि समय-समय पर संशोधित किया गया है) स्पष्ट रूप से उपराज्यपाल को निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति का अधिकार देती है. प्रयोग की जाने वाली शक्ति उपराज्यपाल की वैधानिक शक्ति है, न कि राज्य की कार्यकारी शक्ति. इस वजह से दिल्ली के एलजी अपने विवेक के मुताबिक कार्य कर सकते हैं.


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