Story Of Swati Maliwal: दिल्ली महिला आयोग (Delhi Commission For Women) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं. दिल्ली ही नहीं बल्कि देश-विदेश में आज अपने काम की वजह से उनकी एक अलग पहचान है. स्वाति मालीवाल कैसे इंजीनियर से दिल्ली महिला आयोग के अध्यक्ष पद तक पहुंची और बचपन से लेकर आज वो जिस मुकाम पर हैं, वहां तक पहुंचने में जिन परिस्थितियों से गुजरीं और जितना संघर्ष उन्होंने किया, वह अपने-आप में एक मिसाल है. अपनी उपलब्धि से उन्होंने साबित किया है कि बचपन में डरी-सहमी सी रहने वाली लड़की अगर ठान ले तो वो कितनी सशक्त बन सकती हैं.


इसी को लेकर एबीपी लाइव ने 7 सालों से दिल्ली महिला आयोग के पद पर काबिज स्वाति मालीवाल से खास बातचीत की. इसमें उन्होंने अपने जीवन के संघर्ष, उनकी सोच और अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि उनका बचपन शराबी पिता के घरेलू हिंसा की पीड़ा को झेलते हुए बीता है. वो और उनकी बहन ने अपनी मां और अपने साथ अक्सर होने वाली पिटाई और डर के माहौल में बिताया. उन्होंने बताया कि पिता कब उनकी पिटाई कर दें, ये पता नहीं होता था, इसलिए कई बार वो पिता के आने के पहले बिस्तर के नीचे छुप जाया करतीं थी.


जॉब छोड़ कर अन्ना आंदोलन से जुड़ी थीं स्वाति मालीवाल


स्वाति मालीवाल ने बताया कि वहीं छुप कर दोनों बहनें घरेलू हिंसा को खत्म करने और इसके खिलाफ लड़ने के बारे में बातें किया करतीं थीं. बस यहीं से महिलाओं के लिए आवाज उठाने की नींव उनके दिमाग में पड़ी. चूंकि पढ़ाई में अच्छी थी, तो डर के साये में रहने के बाद भी दिल लगा कर पढ़ाई की, जिससे जीवन मे सही मुकाम पर पहुंच सकें. इंजिनीयरिंग की पढ़ाई के बाद जॉब किया, लेकिन बाद में समाज के लिए कुछ अच्छा करने की चाह में जॉब छोड़ कर अन्ना आंदोलन से जुड़ीं और अन्ना हजारे, अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण के साथ किरण बेदी के साथ कोर कमिटी में रह कर उसे लीड भी किया. 


इसके बाद दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष बनीं और पिछले 7 सालों से इस जिम्मेदारी को निभाती आ रही हैं. इस दौरान महिलाओं से जुड़े अपराधों के अनगिनत मामलों को उन्होंने देखा और उसे लेकर कार्रवाई की, लेकिन जब उनसे निर्भया कांड के बाद से अब तक में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर आये बदलाव के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि निर्भया कांड से कंझावला केस तक पिछले एक दशक में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कोई बदलाव नहीं आया है. स्थिति आज भी वैसी ही बनी हुई है या फिर और भी ज्यादा बदतर होती जा रही है.


उन्होंने कहा कि निर्भया कांड के बाद इन 10 सालों में तीन साल की बच्ची से लेकर 90 साल की बुजुर्ग महिला तक के साथ दिल्ली में बलात्कार हुए और इन मामलों में आरोपियों की निर्दयता भी देखने को मिली. लगातार महिलाओं से जुड़े अपराध सामने आ रहे हैं, कहीं एसिड अटैक तो कहीं रेप, कभी कोई श्रद्धा इसकी शिकार होती है, तो कभी कोई अंजली. ये तब तक नहीं बदलेगा, जब तक सिस्टम सही से काम नहीं करेगा और अपराधियों में डर पैदा नहीं होगा.


छावला गैंग रेप को लेकर पुलिस पर लगाया लापरवाही का आरोप


सिस्टम की लापरवाही का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि छावला में एक 19 साल की लड़की के साथ दरिंदगी की गई. गैंगरेप के बाद उसकी आंखों में एसिड डाल दिया गया. प्राइवेट पार्ट्स में शराब की बॉटल डाल दी गई, जिससे तड़प-तड़प कर पीड़िता की मौत हो गई, लेकिन 10 साल के बाद उसे इंसाफ मिलने के बदले आरोपियों को यह कह कर कोर्ट ने छोड़ दिया कि रेप तो हुआ, लेकिन पुलिस की जांच की रिपोर्ट सही नहीं है. ट्रायल कोर्ट ने भी अपना काम सही से नहीं किया. कई ग्लिच का हवाला दे कर आरोपियों को रिहा कर दिया गया और फिर उन्होंने जेल से निकलते ही एक ऑटो ड्राइवर की हत्या कर दी. इस हत्या की जिम्मेवार कौन है?


दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि पुलिस ने जांच सही से नहीं किया था, तो पीड़िता के परिजन इसका खामियाजा क्यों भुगत रहे हैं? पुलिस पर क्यों नहीं कार्रवाई की गई? अगर पुलिस ने अपना काम सही से किया होता तो गैंग रेप के आरोपी आज खुलेआम बाहर घूमने के बदले सलाखों के पीछे होते और ये हत्या भी नहीं होती, इसलिए सिस्टम को अपना काम जिम्मेदारी और सही तरीके से करने की जरूरत है, जिससे ऐसे अपराध करने वाले अपराधियों के मन मे खौफ पैदा हो.


स्वाति मालीवाल बोलीं- हर तीन घंटे में दर्ज होती है रेप की एक रिपोर्ट 


महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को लेकर स्वाति मालीवाल ने कहा कि ऐसा नहीं है कि सिर्फ दिल्ली में ही अपराध हो रहे हैं. देश भर में ऐसी वारदात हर दिन सामने आ रही है. आज पूरे भारत में हर तीन घंटे में बलात्कार रिपोर्ट होता है. वो भी जो सामने आ रहे हैं. कई मामले तो ऐसे होते हैं, जो डर, रिपोर्ट करने में परेशानी, यहां-वहां की भाग-दौड़, विक्टिम शेमिंग और दबाव की वजह से सामने नहीं आ पाती है.


उन्होंने कहा कि निर्भया कांड ने पूरे देश को हिला कर रख लिया था, बावजूद इसके कुछ लोग निर्भया पर ही उंगली उठा रहे थे. उनके बारे में ही सवाल कर रहे थे कि क्या जरूरत थी इतनी रात को बाहर घूमने की, क्यों बस से गई, ऑटो से क्यों नहीं गई, लड़का कौन था? ऐसे कई सवाल हैं जो आज भी पीड़िता से पूछा जाता है. उन्होंने कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि पहले कुछ आदमी एक लड़की का रेप करते हैं, फिर सवालों की झड़ी लगा कर पूरा सिस्टम उसका रेप करता है.


एक हाई लेवल कमेटी गठित करने का दिया सुझाव


स्वाती मालिवाल ने कहा कि दिल्ली में होने वाले रेप की घटनाओं की वजह से दिल्ली रेप कैपिटल बन गई है. इस बदनुमा धब्बे को हटाने के लिए कुछ कड़े और सख्त कदम उठाने की जरूरत है. उन्होंने गृहमंत्री, एलजी, दिल्ली के मुख्यमंत्री, पुलिस कमिश्नर और दिल्ली महिला आयोग की एक हाई लेवल कमेटी गठित करने की जरूरत बताई, जो महीने में दो मीटिंग कर इस समस्या और समाधान को लेकर चर्चा कर रणनीति बनाएंगे.


उन्होंने पुलिस संसाधनों को भी बढ़ाए जाने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि हर दिन 500 से ज्यादा महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध उनके सामने आते हैं, जिन पर त्वरित कार्रवाई की जरूरत होती है, लेकिन पुलिस बल की कमी की वजह से न तो त्वरित कार्रवाई हो पाती है और न सही तरीके से जांच हो पाती है. ऐसे में पुलिस बलों की संख्या बढ़ाई जाने के साथ उनकी जिम्मेदारी भी तय करने की जरूरत है, साथ ही कोर्ट की संख्या भी बढ़ाई जाए, जिससे मामले लंबित न हों. अगर ऐसा होता है, तो महिलाओं को इंसाफ भी समय से मिल सकेगा और उनके खिलाफ अपराधों के मामलों में भी कमी आएगी.


महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी?


दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष ने पुलिस को मजबूत करने के साथ उन्होंने कुछ और बिंदुओं पर भी गौर करने की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि डार्क स्पॉट वाले इलाकों को रोशन किया जाए, सुनसान जगहों पर पुलिस बलों की तैनाती हो, जिससे किसी के साथ अनहोनी की संभावना न रहे. अपना उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि एम्स के पास सुनसान बस स्टॉप के पास रात के वक्त जब वो सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने निकली थी, तो उनके साथ भी छेड़छाड़ हुई थी.


इससे ये पता चलता है कि दिल्ली महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है, खास तौर पर रात में दिल्ली में बाहर होना, काफी खतरनाक हो सकता है. उन्होंने इस तरह के अपराधो में कमी के लिए स्टेट गवर्नमेंट और सेंट्रल गवर्नमेंट को मिल कर काम करने की जरूरत पर जोर दिया, क्योंकि अक्सर दिल्ली से संबंधित मामलों में इन दोनों बॉडी के बीच खींचतान शुरू हो जाती है, जो नहीं होना चाहिए.


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