Tehkhand Plant: दिल्ली नगर निगम ने तेहखंड में बनाया वेस्ट टू एनर्जी प्लांट, कूड़े से बनाई जाएगी बिजली और खाद
Delhi News: दिल्ली नगर निगम का तेहखंड में बना वेस्ट टू एनर्जी प्लांट बनकर तैयार होने वाला है. इस प्लांट में कूड़े से बिजली और खाद बनाकर तैयार होगा.
Tehkhand Waste to Energy Plant: देश की राजधानी दिल्ली में रोजाना हजारों टन कूड़ा निकलता है. घरों से लेकर, बाजारो, दुकानों, फैक्ट्रियों, ऑफिस आदि जगहों से कूड़ा इकट्ठा होकर दिल्ली के 3 बड़े लैंडफिल में जाता है. इन वेस्ट प्लांट में कूड़े को प्रोसेस किया जाता है जिससे कि इसका सही निपटारा हो सके. दिल्ली के 3 बड़े लैंडफील साइड ओखला, गाजीपुर और भलस्वा लैंडफिल साइट है.जिनमें इन पूरी दिल्ली के अलग-अलग इलाकों से कूड़ा इकट्ठा किया जाता है. जहां से कूड़े को प्रोसेस से किया जाता है.
आज के समय में इन लैंडफिल साइट पर इतना कूड़ा इकट्ठा हो गया है कि अब यह लैंडफिल साइट कूड़े का पहाड़ बन चुकी है, लैंडफिल साइट पर काफी मात्रा में रोजाना कूड़ा पहुंचता है. जितना कूड़ा रोजाना पहुंचता है वह एक ही दिन में प्रोसेस नहीं हो पाता. इसी कारण यह लैंडफिल साइट आज कूड़े का पहाड़ बन चुकी है. लैंडफिल साइट पर इकट्ठे हो रहे कूड़े को कम करने के लिए दिल्ली नगर निगम की तरफ से भी कई प्रयास किए जा रहे हैं, उसमें से एक उपाय दक्षिणी दिल्ली स्थित ओखला में मौजूद लैंडफिल साइट के पास एमसीडी द्वारा एक नया वेस्ट टू एनर्जी प्लांट बनाया जा रहा है. जिससे कि ओखला लैंडफिल साइट पर आने वाले कूड़े को एनर्जी प्लांट पर प्रोसेस किया जा सकेगा. जिससे कि ओखला लैंडफिल साइट पर कूड़े का बोझ कुछ कम हो और इस कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई भी कम हो सके.
प्लांट में 25 मेगावाट बिजली भी उत्पन्न होगी
यह वेस्ट टू एनर्जी प्लांट ओखला के पास तेहखंड गांव में बन रहा है, जहां पर कूड़े से बिजली बनाई जाएगी. इसके साथ ही कूड़े से खाद बनाने का काम भी किया जाएगा. एमसीडी का कहना है कि इसमें रोजाना 2 हजार मैट्रिक टन तक पूरा ट्रीट किया जा सकेगा. इसके साथ ही 25 मेगावाट बिजली भी उत्पन्न की जा सकेगी. एमसीडी के मुताबिक इस परियोजना की कुल लागत 375 करोड रुपए बताई जा रही है. यह लैंडफिल साइट 15 एकड़ में डिवेलप की जा रही है. जिसमें कूड़े के अवशेषों के डिस्पोजल के लिए ट्रीटमेंट प्लांट के साथ-साथ इंजीनियरिंग लैंडफिल साइट को भी बनाया जा रहा है. ओखला लैंडफिल साइट पर साउथ, वेस्ट, सेंट्रल और नजफगढ़ जोन से रोजाना लगभग 4 हजार टन कूड़ा इकट्ठा होता है. यह कूड़ा कमर्शियल और इंडस्ट्रियल एरिया से जुड़ा होता है. जिसे ओखला फेस टू एनर्जी प्लांट में ही प्रोसेस किया जाता है लेकिन रोजाना यह पूरा कूड़ा एक ही दिन में प्रोसेस नहीं हो पाता.
तेखंड प्लांट पर रोजाना 2000 मैट्रिक टन कूड़ा होगा प्रोसेस
इसके कारण से यह लैंडफिल साइट पर इकट्ठा होता रहता है लेकिन एमसीडी का कहना है कि तेहखंड गांव में बन रहे नए वेस्ट टू एनर्जी प्लांट पर रोजाना 2000 मैट्रिक टन तक कूड़ा प्रोसेस किया जा सकेगा. बाकी आधा कूड़ा ओखला लैंडफिल साइट पर प्रोसेस होगा. क्योंकि ओखला लैंडफिल साइट पर रोजाना इकट्ठे होने वाले कूड़े में से आधा कूड़ा ही प्रोसेस हो पाता है. ऐसे में दोनों लैंडफिल साइट पर पूरा कूड़ा ट्रीट हो सकेगा. जिससे कि कूड़ा लैंडफिल साइट पर नहीं बचेगा और कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई को भी कम किया जा सकेगा.
कूड़े को ट्रीट करने के लिए लगेंगे 2 बॉयलर
एमसीडी का कहना है कि ओखला लैंडफिल साइट पर इकट्ठा होने वाला कूड़ा जोकि बैक लॉक में होते होते कूड़े का पहाड़ बन गया है. इसी कारण से ओखला लैंडफिल साइट के पास ही तेहखंड गांव में नया वेस्ट टू एनर्जी प्लांट तैयार किया गया है. जिसमें कूड़े को ट्रीट करने के लिए 2 बॉयलर लगाए गए हैं पहला बॉयलर अगस्त महीने में शुरू होना था, लेकिन इसमें अभी समय लग रहा है. वहीं दूसरा बॉयलर सितंबर से शुरू होना है. लेकिन अभी इस वेस्ट टू एनर्जी प्लांट को शुरू नहीं किया गया है अधिकारियों का कहना है कि एक 2 महीने की देरी से इसे शुरू कर दिया जाएगा.
जिससे कि ओखला लैंडफिल साइट पर आने वाले कूड़े को रोजाना ही ट्रीट कर खत्म किया जा सकेगा. अधिकारियों का कहना है कि ओखला लैंडफिल साइट पर रोजाना लगभग 4000 में मीट्रिक टन कूड़ा इकट्ठा होता है. जिससे प्रोसेस करने के लिए 2 नए प्लांट होंगे जिससे कि एक ही दिन में 4000 मीट्रिक टन तक कूड़ा प्रोसेस किया जा सकेगा और कूड़ा बैक लॉक में नहीं बचेगा जिससे कि कूड़े का पहाड़ नहीं बनेगा.