DU में सहायक प्रोफेसर के स्थायी पदों पर हो रही गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति, शुरू हुआ विरोध
Delhi: फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन को पत्र लिखकर स्थायी व एडहॉक पदों पर होने वाली शिक्षकों की नियुक्तियों को गेस्ट टीचर्स में तब्दील न करने की मांग की गई है.
![DU में सहायक प्रोफेसर के स्थायी पदों पर हो रही गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति, शुरू हुआ विरोध The teachers of Delhi University raised their voice against the appointment of guest teachers DU में सहायक प्रोफेसर के स्थायी पदों पर हो रही गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति, शुरू हुआ विरोध](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/11/07/3f1c4219c796f1f4cf5860e55e03005b1667829316147371_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Delhi News: दिल्ली विश्वविद्यालय के कई कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर के स्थायी और एडहॉक (अनौपचारिक) पदों पर गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति हो रही है. अब शिक्षकों का एक बड़ा समूह इन नियुक्तियों के खिलाफ सामने आ रहा है. फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) के कुलपति प्रो. योगेश कुमार सिंह को शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर एक पत्र लिखा है.
इस पत्र के जरिए मांग की गई है कि स्थायी व एडहॉक (Adhoc) पदों पर होने वाली शिक्षकों की नियुक्तियों को कॉलेज प्रिंसिपलों द्वारा गेस्ट टीचर्स में तब्दील न किया जाए. फिलहाल कॉलेज स्थाई नियुक्ति के बदले गेस्ट टीचर (Guest Teacher) की नियुक्ति कर रहे हैं. प्रोफेसर सुमन का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने एडहॉक पदों को गेस्ट टीचर्स में तब्दील करने संबंधी कोई सर्कुलर जारी नहीं किया है.
एडहॉक व स्थाई पदों के लिए जारी हो सर्कुलर
फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि जुलाई 2022 के बाद कॉलेजों में ओबीसी सेकेंड ट्रांच (दूसरी किस्त ) के पदों का रोस्टर रजिस्टर बनाकर पदों को भरा जाना है. इसके अतिरिक्त जहां शिक्षक सेवानिवृत्त हुए हैं उन पदों को भी एडहॉक के स्थान पर गेस्ट टीचर्स में तब्दील किया जा रहा है. इस नीति की फोरम ने कड़े शब्दों में निंदा की है और कुलपति से मांग की है कि वे प्रिंसिपलों को एडहॉक व स्थायी पदों को भरने संबंधी सर्कुलर जारी करें.
गेस्ट टीचरों की नहीं होती कोई जवाबदेही
दिल्ली विश्वविद्यालय की एकेडमिक काउंसिल के सदस्य रह चुके डॉ.सुमन ने बताया है कि विभिन्न कॉलेजों ने अपने यहां एडहॉक के स्थान पर गेस्ट टीचर्स रखने के विज्ञापन निकाले, जबकि उन कॉलेजों में एडहॉक पदों पर नियुक्ति की जा सकती है. उनका कहना है कि इन एडहॉक पदों पर एससी, एसटी, ओबीसी व ईडब्ल्यूएस कोटे के अभ्यर्थियों की सीटें बनती हैं. हालांकि कॉलेज इन गेस्ट टीचर्स में आरक्षित वर्गों को प्रतिनिधित्व दे रहे हैं, मगर वे इन वर्गों की स्थायी सीटों को समाप्त कर उसे गेस्ट टीचर्स में बदलकर यूजीसी व डीओपीटी के नियमों की सरेआम अवहेलना कर रहे हैं. उनका यह भी कहना है कि गेस्ट टीचर्स की छात्रों के प्रति कोई जवाबदेही नहीं है. वह आएगा और कक्षा लेकर चला जायेगा. साथ ही स्थायी नियुक्ति के समय उसके अनुभव को कॉलेज कोई महत्व नहीं देता.
कालेजों में 50-60 फीसदी आरक्षित वर्गों के पद खाली
डॉ. सुमन ने बताया है कि धीरे-धीरे एडहॉक पदों को समाप्त कर उन्हें गेस्ट टीचर्स में तब्दील किया जा रहा है. इससे आरक्षण नीति समाप्त हो जाएगी. यदि स्थायी या एडहॉक पद निकाले जाएंगे तो रोस्टर और आरक्षण लागू करना पड़ेगा. डॉ.सुमन ने बताया है कि अधिकांश कॉलेजों में 50 से 60 फीसदी पद आरक्षित वर्गों के खाली पड़े हैं जिसे कॉलेजों द्वारा भरा जाना है.
स्थायी नियुक्ति में जानबूझकर हो रही देरी
डॉ. सुमन ने कहा कि मौजूदा एडहॉक 5000 शिक्षकों के समायोजन करने के लिए एक बार विशेष प्रावधान लाकर विश्वविद्यालय विभागों और कॉलेजों में नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू करना जरूरी है. मौजूदा एडहॉक टीचर्स के समायोजन की मांग एक न्यायोचित मांग है क्योंकि स्थायी आधार पर पदों को भरने के लिए जानबूझकर देरी 2010 के बाद से डीयू प्रशासन की ओर से की गई थी.
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