Chhawla Gangrape: SC के फैसले पर बोले पीड़िता के पिता- जो अपराधियों के साथ होना था, वो हमारे साथ हुआ
2012 में दिसंबर के महीने में निर्भया गैंगरेप मामले में 8 साल बाद 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी. जिसके बाद उम्मीद जगी थी कि अब हमें भी न्याय मिलेगा. लेकिन आज हम जंग हार गए
Delhi News: बेटी तो चली गई अब वो वापस नहीं आ सकती, लेकिन आज तक बस हम इस बात का इंतजार कर रहे थे कि आखिर एक दिन हमें न्याय मिलेगा, उन दरिंदों को फांसी की सजा होगी जिन्होने मेरी बेटी के साथ हैवानियत की, इसी आस में हम जी रहे थे. लेकिन आज वो आस भी टूट गई है.ये कहना है दिल्ली के छावला गैंगरेप पीडि़ता की मां का...जो बीते 11 सालों से अपनी बेटी की आत्मा को शांति मिलने का इंतजार कर रही थी.
'सुप्रीम कोर्ट ने तीनों आरोपियों को कर दिया बरी'
सोमवार को दिल्ली छावला गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया, जिसने इस मामले में पीड़ित माता-पिता की वो आखिरी उम्मीद ही खत्म कर दी, इस फैसले पर पीड़िता के माता-पिता को विश्वास ही नहीं हो रहा है. जिसके लिए वो जी रहे थे और सालों से इस बात का इतंजार कर रहे थे कि एक दिन उन्हें न्याय मिलेगा. लेकिन सोमवार को उच्चतम न्यायालय ने अपना फैसला सुनाते हुए इस मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट और निचली अदालत के उस फैसले को पूरी तरीके से पलट दिया. जिसमें इस गैंगरेप मामले में आरोपी रवि,विनोद और राहुल को फांसी की सजा सुनाई थी.
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"जो अपराधियों के साथ जो होना था,वह हमारे साथ हुआ"
सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला आने के बाद गैंगरेप पीड़िता के मां-बाप बिल्कुल टूट गए हैं.उन्हें बिल्कुल यकीन नहीं हो रहा कि जिन लोगों ने उनकी बेटी के साथ हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थी, वो अब जेल से बाहर होंगे. एबीपी न्यूज से बात करते हुए पीड़िता के पिता ने कहा कि अब कोई उम्मीद ही नहीं बची हैं. पिछले 11 सालों से अदालतों के चक्कर काट रहे थे. सिर्फ इस उम्मीद में की एक दिन आएगा जब सुप्रीम कोर्ट हमारे हक में फैसला सुनाएगा. लेकिन आज कानून से भरोसा उठ गया है.पीडि़ता की मां का कहना है कि "मैं एक उम्मीद के साथ जी रही थी…लेकिन मेरे जीने की इच्छा खत्म हो गई है..मुझे लगता था कि मेरी बेटी को इंसाफ मिलेगा..पिता का कहना है कि जो अपराधियों के साथ जो होना था,वह हमारे साथ हुआ है.
"आज एक बार फिर अपनी बेटी को खो दिया"
पीड़िता के पिता ने बताया इस मामले में निचली अदालत और हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए तीनों आरोपियों को साल 2014 में ही फांसी की सजा सुना दी थी. लेकिन हाई कोर्ट के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया था. जहां पर हमले 8 साल तक फैसला आने का इंतजार किया.8 साल तक सुप्रीम कोर्ट में फैसला लटका रहा, लेकिन हमें उम्मीद थी कि एक दिन सभी आरोपियों को फांसी की सजा जरुर होगी. लेकिन सोमवार को जब तीनों आरोपियों को बरी कर दिया गया. तो मानों कलेजे पर खंजर चल गया है. ऐसा लग रहा है जैसे आज फिर से अपनी बेटी को खो दिया.
इस फैसले से रेपिस्ट का हौसला बढ़ेगा- स्वाति मालीवाल
वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल का कहना है कि साल 2012 में 19 साल की लड़की का दिल्ली में गैंगरेप और मर्डर हुआ, इस भयानक केस के दोषियों को हाई कोर्ट ने सज़ाय मौत दी, पर सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया। ये वो केस है. जिसमें लड़की की आंखो में तेज़ाब और प्राइवेट पार्ट में शराब की बोतल डाली गई थी. क्या इससे रेपिस्ट का हौसला नहीं बढ़ेगा?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ आवाज उठाएं- योगिता भयाना
इसके साथ ही "पीपल अगेंस्ट इन इंडिया" नाम से अभियान चला रही एक्टिविस्ट योगिता भयाना का कहना है कि दिल्ली छावला गैंगरेप केस में सुप्रीम कोर्ट ने फाँसी की सजा को बदलकर पीड़िता के क़ातिलो को बाइज़्ज़त बरी कर दिया है.जिस तरह गैंगरेप के बाद उसकी आँखों और कानों में तेजाब डाला, पेचकस से आँखें फोड़ दी, गुप्तांग में शराब की बोतल घुसां दी ! साल 2012 में निर्भया मामला हुआ था तो पूरा देश सड़कों पर था,निसंकोच क़ानून के क़िताब में बदलाव कर दिया गया है. लेकिन छावला की बेटी के मामले को लेकर कोई आक्रोश नहीं,कोई शोर नहीं,देश की सबसे बड़ी अदालत को इस जघन्यतम अपराध के अपराधी को बेनिफिट ऑफ डाउट देने में कोई संकोच नहीं हुआ.अगर आज आप चुप रहे तो इसका मतलब की आप भी बलात्कार का समर्थन करते है. समय आ गया है इस ग़लत फैसले के खिलाफ आप भी आवाज उठाए.
बता दें कि साल 2012 में 9 फरवरी की रात पश्चिमी दिल्ली के द्वारका, फेस-2, कुतुब विहार की रहने वाली 19 साल की एक लड़की जब घर लौट रही थी, तब पड़ोस में रहने वाले 3 लड़कों ने उसे कीडनैप कर लिया.तीनों आरोपी पीड़िता को एक लाल रंग की इंडिका गांड़ी में अगवा कर हरियाणा ले गए थे. जहां उसके साथ 3 दिनों तक बलात्कार किया. और फिर बेहद की दर्दनाक हालत में सरसों के एक खेत में फेंककर चले गए.
पीडि़ता का शव जब पुलिस को मिला था तो उसके चेहरे पर तेजाब डाला हुआ था.उसके शरीर पर गहरे घांव के निशान थे. गर्म लोहे और सिगरेट से शरीर पर निशान बने हुए थे. यहां तक की पीडि़ता के प्राइवेट पार्ट में शराब की बोतल मिली थी. पीडि़ता के माता-पिता ने कहना है कि 2012 में दिसंबर के महीने में हुए निर्भया गैंगरेप मामले में 8 साल बाद साल 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी. जिसके बाद उम्मीद जगी थी कि अब हमें भी न्याय मिलेगा. लेकिन आज हम जंग हार गए.... !!