Delhi News: राजधानी दिल्ली और एनसीआर में कोरोना के मामलों में एक बार फिर वृद्धि देखी जा रही है, ऐसे में अभिभावकों को अपने बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर चिंता सता रही है, अभिभावकों को डर है कि कहीं उनका बच्चा कोरोना की चपेट में न आए. इस बीच स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने माता-पिता से बच्चों को स्कूल भेजने की चिंताओं को खारिज करने का आह्वान किया है.


भारत के शीर्ष जैव चिकित्सा वैज्ञानिकों में से एक डॉ. गगनदीप कांग ने कहा, 'मुझे लगता है कि अगर आपको कोविड संक्रमण होना है तो इसके होने का सबसे अच्छा समय वह है जब आप एक स्वस्थ बच्चे हों। मूल रूप से, जो बच्चे संक्रमित होते हैं उनमें अधिकांश में लक्षण प्रकट नहीं होते हैं... हाल के सीरो सर्वेक्षणों से संकेत मिलता है कि 80 प्रतिशत बच्चे पहले ही संक्रमित हो चुके हैं। हमें संक्रमण से सुरक्षा की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।' उन्होंने आगे कहा, 'जैसे-जैसे वायरस विकसित होता है, यह उन तरीकों को भी खोज लेता है जो इसे हमें बार-बार संक्रमित करने की अनुमति देते हैं ...बच्चों के मामले में यह विशेष रूप से सत्य है.'


हालांकि उन्होंने 12 साल से कम उम्र के अन्य बीमारियों से संक्रित बच्चों के तत्काल टीटाकरण की बात पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि माता-पिता को संक्रमणों की संख्या नहीं बल्कि इस बात पर गौर करने की जरूरत है कि कितने बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है. और हम जानते हैं कि यह संख्या बेहद कम है. वर्तमान डेटा के आधार पर उन्होंने कहा कि फिलहाल स्कूलों को बंद करने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि अतिरिक्त जानकारी के अभाव में यह कहना गलत होगा कि कोरोना का XE वेरिएंट संक्रमण बढ़ते मामलों के लिए जिम्मेदार है.


उन्होंने कहा ओमिक्रॉन के बारे में हम जो जानते हैं, उनके अनुसार, यह ऐसा वायरस है जो निचले श्‍वसन तंत्र की तुलना में ऊपरी श्‍वसन तंत्र को प्रभावित करता है, ऐसे में जो लक्षण नजर आते हैं वे ऊपर श्‍वसन तंत्र में संक्रमण, बुखार और बेचैनी के होंगे. हालांकि आपको पहले की तरह गंभीर संक्रमण नहीं होगा कि आपको अस्पताल जाना पड़े. कांग ने कहा 'मुझे लगता है कि लक्षणों पर ध्‍यान देने और इसके आधार पर हमसे यह बताने की उम्‍मीद करना कि यह कौन सा वेरिएंट है, उचित नहीं होगा. आपको वास्‍तव में क्‍लीनिकल डेमाग्राफिक इन्‍फार्मेशन के साथ ही सीक्‍वेंस डेटा की जरूरत है जो बता सके कि यह कौन सा वेरिएंट है.'


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