Delhi News: राष्ट्रीय राजधानी में कारोबारियों ने पहले से पैक की गई और लेबल वाली खाद्य वस्तुओं पर कर लगाने के जीएसटी परिषद के फैसले को जन-विरोधी करार दिया है. उद्योग मंडल चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) के अध्यक्ष ब्रजेश गोयल ने कहा कि आजादी के बाद यह पहली बार है जब दाल, चावल, आटा, अनाज, दही और लस्सी समेत अन्य सामान जो पहले कर मुक्त होते थे उन पर टैक्स लगाया गया है. जीएसटी परिषद ने कर को युक्तिसंगत बनाने के लिए छूट खत्म करने संबंधी राज्यों के मंत्री समूह की अधिकांश सिफारिशें पिछले महीने स्वीकार कर ली थीं.
कारोबारियों की महापंचायत
दिल्ली अनाज व्यापारी संघ के अध्यक्ष नरेश कुमार गुप्ता ने कहा, "हम इस फैसले के खिलाफ हैं और इसे वापस लेने की मांग करते हैं. यह आम जनता और कारोबारियों के हित में नहीं है. यह कदम जन-विरोधी है." सरकार के इस कदम के खिलाफ शनिवार को दिल्ली की थोक और खुदरा अनाज मंडियां बंद रहीं. सीटीआई ने इसके खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए कारोबारियों की महापंचायत बुलाई है.
18 जुलाई से 5 प्रतिशत जीएसटी लागू
बता दें कि जीएसटी काउंसिल की सिफारिश पर केन्द्र सरकार की ओर से 18 जुलाई से गैर ब्राण्डेड खाद्यान्न आटा, दाल, चावल, गुड़, गेहूं, बाजरा, ज्वार पर 5 प्रतिशत जीएसटी लागू होगी. वहीं व्यापारियों का कहना है कि सरकार के इस निर्णय से अब सभी अनब्रांडेड अनाज जीएसटी के दायरे में आ गए हैं. सरकार के इस निर्णय से रोजमर्रा की चीजें महंगी हो जाएंगी और महंगाई बढ़ जाएगी.