Delhi LG-CM के बीच तकरार जारी, 13 जनवरी के बाद नहीं हुई कोई बैठक, कब होगी मुलाकात!
Delhi Politics: एलजी विनय सक्सेना और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच दिल्ली सरकार के कामकाज को लेकर कई मुद्दों पर तकरार में कमी आने के अभी कोई संकेत नहीं मिले हैं.
LG vs CM: दिल्ली में सरकारी कामकाज के संचालन के मुद्दों पर उपराज्यपाल विनय सक्सेना (LG Vinai Saxena) और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) के बीच जारी गतिरोध को लेकर निर्धारित साप्ताहिक बैठक बीते शुक्रवार को भी नहीं हुई. उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि सीएम शाम चार बजे होने वाली बैठक के लिए राजनिवास नहीं आए. इस संबंध में उनके कार्यालय द्वारा कोई कारण भी नहीं बताया गया. मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने पुष्टि की है कि दोनों के बीच बैठक नहीं हुई, लेकिन उन्होंने इसके पीछे की वजह नहीं बताई. बता दें कि मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के बीच आखिरी बैठक 13 जनवरी को हुई थी.
दरअसल, दिल्ली के टीचर्स को प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए फिनलैंड भेजने समेत कई अन्य विषयों को लेकर दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार और उपराज्यपाल के बीच गतिरोध बना हुआ है. दिल्ली की अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) सरकार और उपराज्यपाल विनय सक्सेना (Vinai Saxena) के बीच अलग-अलग मामलों को लेकर मतभेद है. इस बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एलजी विनय सक्सेना के साथ लगभग एक घंटे तक बैठक की. दिल्ली के सीएम और उपराज्यपाल के बीच यह बैठक एलजी सचिवालय में हुई. इसके बाद सीएम केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा था कि दिल्ली के काम में एलजी का हस्तक्षेप बढ़ता जा रहा है. दिल्ली के काम नहीं हो पा रहे हैं.
सिसोदिया उठा चुके हैं एलजी की मंशा पर सवाल
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उपराज्यपाल के फैसले को शर्मनाक बताते हुए उन पर जोरदार हमला बोला था. उन्होंने कहा था कि एलजी अब केजरीवाल सरकार के फ्लैगशिप प्रोग्राम पर रोक लगा रहे हैं. इसके तहत सरकारी शिक्षकों की विदेशों में ट्रेनिंग कराई जाती है. यह हाल उस समय है जब दिल्ली सरकार के स्कूलों का बोर्ड रिजल्ट 99.6 प्रतिशत तक आ रहा है. इसे और शानदार बनाने में मदद करने की जगह एलजी द्वारा सरकारी कामकाज में बाधा डालना सही नहीं है. एलजी साहब से पूछना चाहता हूं कि इन ट्रेनिंग का लागत लाभ विश्लेषण कैसे किया जाता है? क्या दिल्ली सरकार के स्कूलों में आया बदलाव, शिक्षा का शानदार माहौल, बोर्ड परीक्षाओं का रिजल्ट, सरकारी स्कूलों पर अभिभावकों का बढ़ता भरोसा इन ट्रेनिंग का नतीजा नहीं है? अगर है तो टीचर्स को ट्रेनिंग के लिए विदेश भेजने से रोकने के पीछे उनका मकसद क्या है?