Delhi: DDA फ्लैट खरीदने की सोच रहे हैं तो हो जाएं सावधान! कहीं आप ना हो जाएं लाखों की ठगी का शिकार
Delhi: DDA फ्लैट की चाहत में कही आपने भी तो नही गवायें अपने लाखों रुपये की रकम. DDA फ्लैट ऑनलाइन बुक करने से पहले पढ़े ये पूरी खबर. गूगल पर DDA की फर्जी वेबसाइट सर्च कर दिल्लीवाले ने करोड़ों रुपए लूटाये
Delhi News: दिल्लीवालों, अगर आप फ्लैट के लिए DDA की साइट खंगाल कर रहे हैं तो जरा सावधान हो जाइए क्योंकि साइबर अपराधियों ने अब आपको ठगने का नया तरीका इजाद कर लिया है. एबीपी लाइव की टीम ने पहले भी अगाह किया था कि गूगल पर दर्जनों DDA की फर्जी वेबसाइट है जिसमें आप सही वेबसाइट को चुनकर ही उसपर अपने फ्लैट के लिए फार्म भरें लेकिन लोगो ने इसे नजरअंदाज किया और सैकड़ों लोग साइबर ठगी के शिकार हो गये। सैकड़ों साइबर ठगी के शिकार हुए लोगो में से एक शख्स ने अपनी शिकायत दिल्ली पुलिस में की जिसके बाद हुए जाँच में बड़ा ही चौकाने वाला मामला सामने आया जिसे सुन आपके भी होश उड़ जायेंगे।
हजारों लोगों को बनाया ठगी का शिकार
DDA की फर्जी वेबसाइट पर अपने रकम गवाये दिल्ली एक शख्स ने दिल्ली पुलिस को अपने साइबर ठगी होने की शिकायत दर्ज करवाई का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां बिहार के दो छात्रों ने डीडीए की एक फर्जी वेबसाइट बनाकर फ्लैट बेचने के नाम पर लोगों से करोड़ों रुपए ऐंठ ल
रोहिणी जिला पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनकी पहचान नालंदा के रहने वाले राजा पटेल और सोनू कुमार के तौर पर हुई. पुलिस ने इनके पास से 15 मोबाइल, 13 डेबिट कार्ड, 45 सिमकार्ड, एक लैपटॉप, चार लाख रुपए और एक डोंगल बरामद किया है. आरोपियों ने DDA फ्लैट के नाम पर हजार से ज्यादा लोगों के साथ धोखाधड़ी की वारदात को अंजाम दिया है.
ऐसे हुआ मामले का खुलासा
रोहिणी के एडिशनल डीसीपी पंकज कुमार ने बताया कि 23 मार्च को विशाल अग्रवाल ने एनसीआरपी पोर्टल पर शिकायत दी, जिसमें बताया वह गूगल पर डीडीए फ्लैट के बारे में सर्च कर रहा था. इस दौरान उन्हें डीडीए वेबसाइट का एक लिंक मिला. जब उन्होंने वह लिंक खोला तो जिसमें लिखा था- 'फ्लैट की बुकिंग के लिए पहले आओ और पहले पाओ'. इसके बाद विशाल ने वेबसाइट पर दिए एक बैंक अकाउंट में 1 लाख रुपए डाल दिए और इसके बाद निजी दस्तावेज भी वेबसाइट पर अपलोड कर दिए. अगले दिन उनके पास कॉल आया और उन्हें चार लाख रुपए और जमा करने के लिए कहा गया. ऐसा नहीं करने पर एप्लीकेशन रिजेक्ट करने की बात कही गई. जिस पर उन्हें ठगी का एहसास हुआ.
आरोपियों की धरपकड़ के लिए बिहार में की गई छापेमारी
पीड़ित की शिकायत पर एसीपी ऑपरेशन ईश्वर सिंह की टीम ने टैक्निकल सर्विलांस की मदद से इस गैंग के बारे में जानकारी जुटाई और बिहार में छापेमारी कर सोनू कुमार को दबोच लिया. पकड़े जाने के बाद आरोपी ने पुलिस को बताया कि वह जालसाजों को सिमकार्ड, बैंक अकाउंट देकर धोखाधड़ी में उनकी मदद करता है. उसके गांव के तीन चार लोग भी यही काम करते हैं. उसने अब तक सौ से ज्यादा अकाउंट और सिमकार्ड, साइबर जालसाजों को उपलब्ध करवाए हैं.
तिलक नगर से दबोचा मास्टरमाइंड
आरोपी सोनू से हुई पूछताछ के आधार पर पुलिस ने तिलक नगर एरिया से इस गिरोह के मास्टरमाइंड राजा पटेल को भी दबोच लिया. इसके पास से बरामद लैपटॉप में बीस से ज्यादा फर्जी वेबसाइटों का पता चला. आरोपी राजा पटेल ने बताया उसने यूट्यूब पर इन वेबसाइट को बनाने का तरीका सीखा था. लैपटॉप में मिले डाटा से पता चलता कि ये लोग डीडीए फ्लैट आवंटन के नाम पर एक हजार से ज्यादा लोगों से रकम ऐंठ चुके हैं. अब तक साठ से ज्यादा शिकायतें एनसीआरपी पोर्टल के जरिए पुलिस ट्रेस कर चुकी है.
आरोपी राजा पटेल बारहवीं कक्षा तक पढ़ा है. वहीं सोनू कुमार मगध विश्वविद्यालय से फिजीक्स में बीएससी ऑनर्स कर चुका है. वह पटना में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था, लेकिन पिता की मौत होने के बाद वह कुछ युवकों के संपर्क में आकर धोखाधड़ी करने लगा. फिलहाल पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर आगे की जांच कर रही है.
ऐसे बच सकते हैं जालसाजों से
साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल ने बताया कि इस तरह की धोखाधड़ी से बचने के लिए अधिक सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि ठग असली वेबसाइट के नाम में हेराफेरी कर लोगों को झांसा देने में कामयाब हो जाते हैं. इसलिए वेबसाइट के नाम में हेरफेर पर नजर रखें. साइबर अपराधियों से बचने के लिए जरूरी है कि डिजिटल सावधानी का पर पूरा ध्यान देंने के साथ सिक्योरिटी फीचर्स का भी ख्याल रखा जाए. लिंक, डोमेन नेम या ईमेल एड्रेस में स्पेलिंग की गलतियों पर जरूर ध्यान दें.
सायबर क्रिमिनल आम तौर पर उस तरह का ईमेल यूज करते हैं जो नामी कंपनियों का हो, बस वे मामूली सा हेर-फेर कर देते हैं, जिससे कि वह वास्तविक लगे. जैसे इस मामले में डीडीए की फर्जी वेबसाइट www.ddaflat.org.in बनाई गई थी जबकि असली वेबसाइट https://dda.gov.in/ है. किसी भी ऐसे लिंक पर क्लिक करने से पहले सोचें. अगर इसमें आपको कुछ भी संदिग्ध लगे तो उस पर क्लिक ना करें. साथ ही आप साइबर सेल को भी जरूर सूचित करें.
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