Delhi News: दिल्ली के रामलीला मैदान में दलित, ओबीसी, मॉइनोरिटीज एवं आदिवासी (डोमा) परिसंघ के तत्वावधान में रविवार को रैली का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में हजारों की संख्या में दलित, ओबीसी, मॉइनोरिटीज एवं आदिवासी समुदाय के लोग शामिल हुए और अपने अधिकारों की मांग की. रैली में कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी शिरकत की और लोगों को संबोधित किया. 


डोमा परिसंघ के राष्ट्रीय चेयरमैन डॉ. उदित राज ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि जाति जनगणना कराना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि दलित, ओबीसी एवं आदिवासियों की संख्या देश में 85 प्रतिशत है और ये आपस में एक-दूसरे के अधिकारों का हनन नहीं करते. जातिवादी एवं मानुवादी ताकतें दलित, ओबीसी एवं आदिवासियों को आपस में लड़ाती रहती हैं.


उन्होंने कहा कि क्या मण्डल का विरोध मुसलमानों ने किया, क्या मुसलमानों ने मण्डल के विरोध में कोई रथ यात्रा निकाली? क्या मुसलमान जाति जनगणना का विरोध कर रहे हैं. प्रतिदिन 6 दलित महिलाओं का रेप होता है, क्या मुसलमान करते हैं? 2018 से लैटरल एंट्री के माध्यम से आईएएस की भर्ती हो रही है, लेकिन उसमें दलित, ओबीसी का आरक्षण नहीं था. क्या इस अधिकार की कटौती मुसलमानों ने किया? 


आरक्षण सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाने की मांग 
उदित राज ने आगे कहा कि भारत सरकार के 48 विश्वविद्यालय हैं, जिसमें शायद ही दलित, ओबीसी एवं आदिवासी का कोई कुलपति हो. क्या इसमें भी मुसलमानों का हाथ है? केंद्र सरकार में लाखों पद खाली पड़ें हैं, इन्हें न भरकर आरक्षण खत्म किया जा रहा है. इसलिए दलित, ओबीसी, मॉइनोरिटी एवं आदिवासी एक हों और संविधान तथा आरक्षण बचाएं, जाति जनगणना के लिए संघर्ष करें, ईवीएम के स्थान पर बैलट पेपर से चुनाव हो, आरक्षण की सीमा 50% से बढ़ाई जाए.


‘जाति जनगणना कराकर रहेंगे’
ओबीसी नेता हनुमंत राव ने कहा कि जाति जनगणना कराकर रहेंगे. डोमा के साथ पूरे देश में जाति जनगणना के लिए अभियान चलाएंगें. उन्होंने ओबीसी समाज से आवाहन किया कि उनका साथ छोड़ो जो जाति जनगणना के विरोध में हैं. आगे उन्होंने कहा कि मैं अविभाजित आंध्र प्रदेश सरकार का तीन बार मंत्री रहा हूं और तीन बार संसद सदस्य, अपने अनुभवों से मैं कहना चाहता हूं कि सिविल सोसाइटी को भी संघर्ष करना पड़ेगा. जब लाभ सिविल सोसाइटी का होना है, तो उसे अपने अधिकार के लिए आंदोलन करना पड़ेगा.


वक्फ बिल का विरोध
डोमा परिसंघ के राष्ट्रीय महासचिव एड. शाहिद अली ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि वक्फ की जानकारी जितना मैं रखता हूं देश में शायद ही कोई हो. उन्होंने कहा कि वक्फ प्रोफेट मोहम्मद के समय से ही चल आ रहा है और अंग्रेजों ने भारत में 1931 में वक्फ की संपत्तियों का सर्वे कराया था. उन्होंने कहा कि यह कहना की वक्फ किसी सरकार या व्यक्ति की देन है, गलत है, वक्फ बिल वापिस होना चाहिए.


आदिवासियों के अधिकारों की मांग
देश के जाने-माने नेता रामलू नायक (पूर्व एमएलसी) ने कहा कि आदिवासियों को वनवासी कहा जाता है. उन्होंने कहा कि आरएसएस, एकल विद्यालय के माध्यम से आदिवासियों के दिलों-दिमाग में मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरती रहती है, जबकि मुस्लिम कभी भी आदिवासियों के आरक्षण का विरोध नहीं करते. उन्होंने कहा कि हम संकल्प लेते हैं कि अब दलित, ओबीसी और मुस्लिम मिलकर संविधान बचाने के लिए कार्य करेंगें.


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