New Education Policy: भारत में अब तक सभी यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएशन का पाठ्यक्रम 3 साल का हुआ करता था, लेकिन शिक्षा व्यवस्था को लेकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में दिए गए सुझावों में इसे 4 साल का करने की सलाह दी गयी थी. जिससे भारत में पढ़ाई करने वाले छात्र भी वैश्विक स्तर पर चलाये जा रहे पाठ्यक्रमों की बराबरी कर सकें और उन्हें अपना भविष्य बनाने के ज्यादा और बेहतरीन मौके मिल पाएं. इसी क्रम में अब से 4 साल में ग्रेजुएशन की डिग्री प्रदान की जाएगी, जिसकी घोषणा यूजीसी सोमवार को करने जा रही है. जिसमें यूजीसी 4 वर्षीय ग्रेजुएशन के लिए सभी नियम और निर्देश साझा करेगी.


अब 4 साल में मिलेगी डिग्री


दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. वेदव्रत तिवारी ने बताया कि यूजीसी ने आधिकारिक रूप से अभी तक इसकी घोषणा नहीं की है. इसके बावजूद 2022 से शुरू हुए सत्र में 4 साल के पाठ्यक्रम में ही छात्रों का एडमिशन लिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि पश्चिमी देशों में ग्रेजुएशन के सभी पाठ्यक्रम 4 साल के होते हैं. इसी को देखते हुए 2020 में शिक्षा नीति में भारत में भी 4 साल के पाठ्यक्रम को लागू करने की सिफारिश की गई थी, जिसे अब लागू किया जा रहा है.


उन्होंने बताया कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के माध्यम से सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट का आयोजन किया गया था. इसमें 67 यूनिवर्सिटी ने हिस्सा लिया था और इसी के माध्यम से छात्रों का एडमिशन लिया गया. इससे छात्रों को काफी फायदा मिलेगा और फिर आगे उन्हें मास्टर्स डिग्री लेने में भी काफी आसानी होगी.


चौथे साल में मिलेगा रिसर्च का भी विकल्प


इन कोर्सेज में क्रेडिट सिस्टम लागू होगा, जिसके तहत 160 क्रेडिट तक स्कोर करने वालों को ऑनर्स की डिग्री दी जाएगी. वैसे छात्र जो नियमित 03 साल की पढ़ाई को पूरी करते हैं, उन्हें चौथे साल में रिसर्च सब्जेक्ट भी चुनने का मौका दिया जाएगा, जिसके बाद उन्हें ऑनर्स विथ रिसर्च की डिग्री दी जाएगी. इस बीच अगर कोई छात्र पूरे 4 साल के कोर्स को कम्प्लीट नहीं करते हैं, तो उन्हें ग्रेजुएशन की डिग्री नहीं मिलेगी. बल्कि उन्होंने जितनी पढ़ाई की है, उसके आधार पर जैसे एक साल में सेटिफिकेट कोर्स, 2 साल में डिप्लोमा कोर्स और 3 साल में प्रोग्राम कोर्स का सर्टिफिकेट उपलब्ध करवाया जाएगा.


डिग्री के साथ कर सकेंगे स्किल डेवलपमेंट


उन्होंने आगे बताया कि इस पाठ्यक्रम को नए सिरे से निर्धारित किया गया है, जिससे स्टूडेंट्स को काफी एक्पोजर मिलेगा. इसमें आधुनिक औद्योगिक, रोजगार, कौशल विकास और तकनीकी शिक्षा जैसी विशेषताओं को समाहित किया गया है. जिससे ये फायदा होगा कि अगर कोई ग्रेजुएशन कर रहा है, तो वो सामान्य डिग्री ना लेकर उस विषय में अपनी विशेषताओं को निखार कर उसमें विशेषज्ञता हासिल कर सके. जैसे हिंदी या अंग्रेजी विषय से ग्रेजुएशन कर रहा है, तो उसके साथ वो पत्रकारिता, या कंटेंट राइटर जैसे गुणों को निखार कर उनमें अपना भविष्य बना सकते हैं. इस तरह की कई अन्य नई विशेषताओं का समन्वय इस नई पाठ्यक्रम में किया गया है, जो आने वाले समय मे छात्रों को भविष्य निर्माण में काफी मददगार साबित होगी.


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