भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने दिल्ली हाई कोर्ट में जवाब देते हुए कहा कि आधार एक्ट के तहत प्राधिकरण द्वारा इकट्ठा की गई बायोमेट्रिक जानकारी किसी भी कारण से किसी के साथ साझा नहीं की जाएगी. इसके साथ ही यूआईडीएआई ने कहा कि बायोमेट्रिक जानकारी फोरेंसिक उद्देश्यों के लिए इकट्ठा नहीं की जाती है. दिल्ली हाई कोर्ट को बताते हुए यूआईडीएआई ने कहा कि वह अपराध की घटना पर मौजूद निशान और तस्वीरों का मिलान करने के लिए आधार की जानकारी किसी भी जांच एजेंसियों के साथ शेयर नहीं कर सकता है.
यूआईडीएआई ने कहा कि आधार अधिनियम, 2016 का उद्देश्य केवल पहचान प्रमाण के उद्देश्य से लोगों को एक विशिष्ट पहचान और डिजिटल प्लेटफॉर्म के साथ सशक्त बनाना है. यूआईडीएआई ने दिल्ली हाईकोर्ट में दायर अपने हलफनामे में कहा कि आधार अधिनियम की धारा 2(J) में बायोमेट्रिक की मूल जानकारी के बारे में बताया गया है. इसका मतलब साफ है कि फिंगरप्रिंट, आईरिस स्कैन या किसी व्यक्ति की अन्य जैविक जानकारी किसी भी कारण से कोर बायोमेट्रिक्स को शेयर करना या उपयोग करना कानूनी रुप से मना है. आधार अधिनियम के तहत आधार संख्या और प्रमाणीकरण की अनुमति नहीं है. इस कारण ऐसे कोर बायोमेट्रिक्स शेयर करना या उपयोग करना पूरी तरीके से बैन है.
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इसके अलावा यूआईडीएआई ने कोर्ट में जानकारी देते हुए कहा कि आधार अधिनियम 2016 के नियम और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार आधार धारक के बिना ऐसी जानकारी नहीं दी की जा सकती है. वहीं इस मामले को लेकर हाईकोर्ट 18 मई को सुनवाई करेगा.