India is The Most Populated Country: संयुक्त राष्ट्र (UN) की ओर से भारत की जनसंख्या (Indian Population) को चीन (China) से ज्यादा बताने के बाद देश में एक बार फिर सियासत गरमाने लगी है. मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री और बीजेपी (BJP) के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) ने इसकी आड़ में एक बार फिर भारत के मुसलमानों (Indian Muslims) को निशाना बनाया है. 


गिरिराज सिंह ने कहा है कि भारत की जनसंख्या पर मोदी सरकार कोई नया कदम उठाएंगी, तो ये टुकड़े-टुकड़े गैंग ओवैसी जैसे लोगों विरोध करेंगे
. यदि हमारे यहां जनसंख्या पर कानून नहीं बना तो बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी. उन्होंने कहा कि मुझे कहने में कोई हिचक नहीं है कि देश के सिखों ने, देश के बौद्धों ने, जैनियों ने जनसंख्या कानून को अपने धर्म में जरूरी माना है, लेकिन एक समाज है, जो मानने को तैयार नहीं है. 


विरोध करने वाले को बताया जिन्ना का डीएनए वाला


 गिरिराज ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने आईना दिखाया है. इसके साथ ही उन्होंने जनसंख्या पर शिवराज के बयान की तारीफ की. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने बहुत अच्छी बात की है. इसके बाद उन्होंने कहा कि इसमें जो जिन्ना वाला डीएनए है, वो इस पर और चिल्लाएंगे. इसके साथ ही उन्होंने मुस्लिम समाज पर बेबुनियाद आरोप लगाते हुए कहा कि यह समाज सिर्फ धर्म का नशा पिला रहा है. मैं कहता हूं उनके एक हाथ में धर्म दो, एक हाथ में कंप्यूटर दो. क्या मुस्लिमों के बच्चे को चांद पर जाने का अधिकार नहीं है, लेकिन धर्म के नशे से मुस्लिम बच्चों के विकास पर असर पड़ रहा है.


यह कहा है संयुक्त राष्ट्र ने


दरअसल, संयुक्त राष्ट्र की ओर से बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन से आगे निकल गया है. समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग ने संयुक्त राष्ट्र के विश्व जनसंख्या डैशबोर्ड के हवाले से बताया कि भारत की जनसंख्या 1.428 बिलियन से अधिक है, जो चीन की 1.425 बिलियन लोगों की तुलना में थोड़ा अधिक है.


ये है मुस्लिमों की जनसंख्या वृद्धि की सच्चाई


देश की जनसंख्या वृद्धि दर पर भले ही मुसलमानों को निशाना बनाया जाता हो, लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल ही अलग है. अमेरिकन प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक 1990 की शुरुआत में भारतीय महिलाओं की प्रजनन दर औसतन 3.4 थी, जो साल 2015 में 2.2 हो गई. इसी अवधि में मुस्लिम औरतों की प्रजनन दर में और ज्यादा गिरावट देखी गई, जो 1990 के 4.4 से घटकर 2.6 हो गई है. यानी बिना किसी कानून के ही मुस्लिमों की बच्चा पैदा करने की दर में भारी गिरावट आई है और गिरावट की यह दर हिन्दुओं की जनसंख्या की वृद्धि दर से ज्यादा है.