Child Marriage Free India Campaign: नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी के नेतृत्‍व में शुरू किए गए बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत दिल्‍ली के 109 स्‍थानों पर बाल विवाह के खिलाफ महिलाओं व बच्‍चों ने कैंडिल मार्च निकाला और दीये जलाए. इस दौरान लोगों को जागरूक करने के लिए कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन ने विभिन्‍न सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए किए. जिसमें बसंत विहार, कुसुमपुर पहाड़ी व चाणक्‍यपुरी के संजय कैंप स्थित स्‍लम बस्‍ती समेत 109 स्‍थानों पर लोगों को जागरूक किया गया.


इस दौरान महिलाओं व बच्‍चों ने कैंडिल मार्च निकालकर और दीये जलाकर बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता का संदेश दिया. वहीं बच्‍चों ने नुक्‍कड़ नाटक के जरिए भी बाल विवाह के दुष्‍परिणामों के प्रति जागरूक किया. इसके साथ ही लोगों को बाल विवाह रोकने की शपथ भी दिलाई. देशव्‍यापी “बाल विवाह मुक्त भारत” अभियान के तहत 26  राज्‍यों में 500 जिलों के 10 हजार गांवों में 70,547  महिलाओं व बच्‍चों के नेतृत्‍व में दीप प्रज्‍जवलन मार्च का आयोजन किया गया.


देशभर में करीब दो करोड़ से ज्‍यादा लोग अभियान में शामिल हुए. इस कार्यक्रम में नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी द्वारा स्‍थापित कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन(केएससीएफ) ने चार बच्‍चों को ट्रैफिकर्स के चंगुल से बचाने वाले ऑटो चालक ब्रहमदत्‍त को सम्‍मानित भी किया. ट्रैफिकर उसके ऑटो में चार बच्‍चों को ले जा रहा था. इसकी भनक लगते ही ब्रहमदत्‍त ऑटो को पुलिस थाने में ले गया और इस तरह चार बच्‍चे बच गए, वहीं पुलिस ने ट्रैफिकर को गिरफ्तार कर लिया. इसके लिए केएससीएफ ने ब्रहमदत्‍त को ऑटो की कीमत का चेक देकर सम्‍मानित किया.


इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता एचएस फुल्‍का, कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन की सीईओ व पूर्व आईएएस रजनी सेखरी सिबल, उत्‍तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह, हरियाणा के पूर्व गृह सचिव समीर माथुर, ‘प्रयास’ संस्‍था के संस्‍थापक अमोद कंठ और ‘बाल विकास धारा’ के संस्‍थापक देवंद्र बराल समेत कई गणमान्‍य लोगों ने हिस्‍सा लिया.


इस ऐतिहासिक “बाल विवाह मुक्त भारत” अभियान का नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी ने राजस्‍थान से रविवार की शाम दीप जलाकर कर शुभारंभ किया. “बाल विवाह मुक्त भारत” अभियान की खास बात यह थी कि सड़कों पर उतर कर नेतृत्व करने वाली महिलाओं में ऐसी महिलाओं की संख्‍या ज्‍यादा थी जो कभी खुद बाल विवाह के दंश का शिकार हो चुकी थीं. कई जगह नेतृत्व उन बेटियों ने किया, जिन्होंने समाज और परिवार से विद्रोह कर न केवल अपना बाल विवाह रुकवाया, बल्कि अपनी जैसी कई अन्य लड़कियों को भी बाल विवाह का शिकार होने से बचाया. इस दौरान सभी ने एक स्‍वर में बाल विवाह को रोकने के लिए कानूनों का सख्ती से पालन करने और 18 साल की उम्र तक सभी बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने की बात कही. बाल विवाह जैसी वैश्विक बुराई को खत्‍म करने के लिए कई स्‍तर पर एकजुट प्रयास करने होंगे. 


बाल विवाह पीड़ितों की दुर्दशा पर रौशनी डालते हुए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्‍यार्थी ने कहा, बाल विवाह मानव अधिकारों और गरिमा का हनन है, जिसे दुर्भाग्य से सामाजिक स्वीकृति प्राप्त है. यह सामाजिक बुराई हमारे बच्चों, खासकर हमारी बेटियों के खिलाफ, अंतहीन अपराधों को जन्म देती है. कुछ सप्ताह पहले मैंने “बाल विवाह मुक्त भारत” बनाने का आह्वान किया था. इसने सदियों पुराने दमनकारी सामाजिक रिवाज से घुटन महसूस कर रही 70,000 महिलाओं में वह आग पैदा कर दी कि वे इसे चुनौती देने के लिए सड़कों पर उतर आई हैं. मैं लड़कियों की शादी की उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 करने के भारत सरकार के प्रस्ताव का समर्थन करता हूं. मैं सभी धर्मगुरुओं का आह्वान करता हूं कि वे इस अपराध के खिलाफ बोलें और यह सुनिश्चित करें कि जो लोग शादियां कराते हैं, यहां तक कि गांव के स्तर पर भी वे बच्चों के खिलाफ इस अपराध को न होने दें.


कैलाश सत्‍यार्थी ने कहा कि शादियों में सजावट करने वाले, मैरेज हॉल मालिकों, बैंड-बाजा वालों, कैटरिंग वालों और दूसरे सभी लोगों से अनुरोध करता हूं कि वे इन शादियों में अपनी सेवाएं देकर, इस आपराधिक कृत्य के सहभागी न बनें. आप में से जो लोग अपने गांवों में बाल विवाह रोक रहे हैं उनको मैं भरोसा दिलाना चाहता हूं कि आप खुद को अकेला न समझें. इस लड़ाई में मैं आपके साथ खड़ा हूं. आपके भाई के रूप में, मैं आपकी हर संभव सहायता और समर्थन करूंगा. मैं इस लड़ाई में आपका साथ नहीं छोड़ने वाला.


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