Delhi News: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए समान आचार संहिता पर कानून बनाने के संकेत दिए थे. उसके बाद से देशभर में सियासी घमासान मचा है. कपिल सिब्ब्ल ने दो दिन पहले इस बहस को थॉटलेस करार दिया था. आज उन्होंने एक ट्विट कर संभवत: बीजेपी समान नागरिक संहिता और पर्सनल लॉ के लिए एक साथ काम कर रही है. यानी बीजेपी एक ही समय में दो के साथ मिलकर काम कर रही है, जबकि हमें एक ही समय में कई साझेदारों के साथ रहने वाले राजनीतिक दल के लिए समान नागरिक संहिता की आवश्यकता है.
राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने यूसीसी पर बातचीत के क्रम में टाइम्स नाउ से कहा था कि पहले यह तय करन की जरूरत है कि आप किस चीज का यूनिफॉर्म करना चाहते हैं. क्या मोदी सरकार परंपराओं को यूनिफॉर्म करना चाहती है? संविधान के अनुच्छेद 23 के मुताबिक सामाजिक परंपराएं ही कानून हैं. ऐसे में केद्र सरकार को यह बताना चाहिए कि क्या सिर्फ हिंदुओं पर लागू होने वाला एचयूएफ हटा दिया जाएगा? उन्होंने गोवा मॉडल यूसीसी का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार क्या करेगी? गोवा में 30 साल की उम्र तक बच्चा न होने पर दूसरी शादी करने की छूट है. तो क्या देशभर में ऐसा ही होगा. मुझे तो नहीं लगता ऐसा होगा. इसलिए मोदी सरकार को पहले यह तय करने की जरूरत है कि वो क्या समान करने की कोशिश कर रही है?
केंद्र पहले ड्राफ्ट तो सबके सामने लाए
अभी तक यही तय नहीं है कि आखिर हम लोग बहस किस परिप्रेक्ष्य में कर रहे हैं. यदि केंद्र सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड को ‘लिंग समानता’ के लिए ला रही है, तो मैं इसका समर्थन करूंगा. ऐसी स्थिति में भी केंद्र को यूसीसी लाने से पहले सभी स्टेक होल्डर से इस मसले पर चर्चा करने की जरूरत है. चर्चा सिर्फ सियासी दलों से नहीं बल्कि विशेष समुदायों के नेताओं से भी बात होनी चाहिए. इतना ही नहीं, सरकार को धार्मिक और गैर धार्मिक संगठनों को भी इस बहस में शामिल करने की जरूरत है. इसके अलावा कपिल सिब्बल का केंद्र से सवाल यह भी है कि अभी तक सरकार इस संबंध में कोई बात क्यों नहीं की? पहले सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्त सबके सामने रखे. अभी सरकार की मंशा क्या है यही किसी को पता नहीं है. उन्होंने केंद्र को निशाने पर लेते हुए कहा कि यह सब लोकसभा चुनाव 2024 में ध्रुवीकरण के मकसद से हो रहा है.