(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Union Budget 2023 Reaction: दिल्ली के व्यापारियों ने बजट को बताया 'मीठी चाशनी में डूबा करेला', कही दी ये बात
Budget 2023: अर्थशास्त्री, किरीट पारिख के अनुसार, ये बजट मिला-जुला बजट है. हालांकि उन्होंने भी कहा कि सरकार ने महंगाई-बेरोजगारी जैसे अहम मुद्दे को लेकर कोई घोषणा नहीं कि है.
Budget 2023 Reaction: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने लोकसभा (Lok Sabha) में बुधवार देश का बजट (Budget) पेश किया. बजट से पहले लोगों ने सरकार से काफी उम्मीदें लगा रखीं थी, लेकिन बजट के बाद आम आदमी के हाथ निराशा ही लगी, क्योंकि इस बजट में उनके लिए कुछ भी खास नहीं था. जहां अर्थशास्त्रियों ने इसे मिक्स बजट बताया. वहीं मध्यमवर्गीय परिवार, किसानों और टैक्सी चलाने वालों से लेकर बड़े-छोटे व्यापारियों ने इसे मीठी चाशनी में डूबा करेला बताते हुए बजट में उनके लिए कुछ भी नहीं होने के बात कही.
बात दें कि वित्त मंत्री ने पेश किए गए बजट में टैक्स स्लैब में बदलाब कर लोगों को थोड़ी राहत जरूर दी है, लेकिन महंगाई पर नियंत्रण के लिए उनकी तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया है. पहले जहां ढाई लाख रुपये तक कि इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगता था, अब उसे बढ़ा कर 3 लाख रुपये कर दिया गया है. 3 से 6 लाख की सालाना इनकम पर 5 फीसदी, 6 से 9 लाख पर 10 फीसदी, 9 से 12 लाख पर 15 फीसदी, 12 से 15 लाख पर 20 फीसदी और 15 लाख से ऊपर की सालाना इनकम पर 30 फीसदी टैक्स लगेगा. हालांकि लोगों को उम्मीद थी कि सरकार 5 लाख तक कि इनकम को टैक्स फ्री कर सकती है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. हालांकि सरकार की नई टैक्स पॉलिसी के तहत सरकार नौकरी करने वाले लोगों को 7 लाख रुपये तक कि इनकम पर अब कोई टैक्स नहीं भरना होगा.
आम आदमी की जिंदगी घर चलाने में ही जाती है बीत
वहीं सरकार ने निवेश को तो बढ़ावा दिया है, लेकिन रोजगार को लेकर सरकार ने कोई घोषणा नहीं कि है, जिससे युवा वर्ग में खासी निराशा है. वित्तमंत्री ने इस बजट को पेश करते हुए कहा कि भारत जल्दी ही 5 ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनेगा. लेकिन ये बड़ी बातें आम लोगों के लिए कोई मायने नहीं रखतीं. क्योंकि आम आदमी की जिंदगी पैसे कमाने और घर चलाने में ही बीत जाती है. बजट में घोषणा की गई कि इलेक्ट्रिक वाहन, ऑटोमोबाइल, खिलौने और देसी मोबाइल सस्ते होंगे. लेकिन आज आटे, तेल और गैस सहित रसोई के लिए हर दिन की जरूरत में शामिल चीजों की आसमान छूती कीमतों को कम करने का प्रयास नहीं किया गया. वहीं, चिमनी, कुछ मोबाइल फोन और कैमरे के लेंस, सिगरेट सोना, चांदी, प्लैटिनम महंगा होगा, जबकि हीरे को सस्ता किया गया. वो हीरा जिसे चुनिंदा लोग और एक खास वर्ग ही पहनता है.
टैक्सी चलाने वाले भी हुए निराश
इस बजट को लेकर हमने सड़क पर टैक्सी चलाने वालों, किसानों और व्यापारियों से लेकर अर्थशास्त्रियों तक से बात की. जिन्होंने इस बजट को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया दी. बात करें, दिल्ली टैक्सी टूरिस्ट ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन की तो उन्होंने इस बजट को पूरी तरह से नकारते हुए कहा कि उनके लिए इस बजट में कुछ भी नहीं है, और ना ही सरकार ने उनके लिए कुछ सोचा. उनका कहना है कि डीजल-पेट्रोल के रेट को जीएसटी में लाने की उम्मीद उन्हें थी, लेकिन एक बार फिर से इसे जीएसटी में शामिल नहीं किया गया. उनके टैक्सी को बीएस 6 के ना होने और इलेक्ट्रिक वेहिकल को बढ़ावा देने के नाम पर बार बार बंद कर दिया जाता है. जिससे उन्हें काफी नुकसान हो रहा है, इलेक्ट्रिकल वेहिकल और बीएस 6 की गाड़ियां काफी महंगी हैं. कोरोना के बाद से बढ़ी महंगाई के कारण टूरिस्ट भी ज्यादा नहीं आ रहे हैं. जिस कारण उनके काम पर काफी प्रभाव पड़ा है. अगर डीजल-पेट्रोल के रेट कम होते तो इससे पर्यटन को निश्चित ही बढ़ावा मिलता और उनका काम अच्छा चलता.
किसानों ने कहा कुछ नहीं है उनके लिए बजट में
वहीं भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति के राष्ट्रीय अध्यक्ष, मास्टर श्यौराज सिंह भाटी का कहना है कि, आज के वजट में देश के किसान को पालतू पशुओं की बेहतर चिकित्सा व्यवस्था, आवरा पशुओं, खाद,बीज, पानी, और नहर के पानी की व्यवस्था, किसानों कर्ज मुक्त कैसे किया जाए, खेती की लागत मूल्य को कैसे घटाएं, फसलों के वाजिब दाम, देहात में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की व्यवस्था में कुछ भी नहीं किया गया. इसलिए किसानों को आज के वजट से निराशा हुई है.
दुकानदारों को थी जीएसटी में कमी की उम्मीद
जबकि सरोजनी नगर मिनी मार्केट के प्रेसिडेंट अशोक रंधावा ने इस बजट में आम लोगों और व्यापारियों के लिए कुछ भी नहीं होने की बात कही. उन्होंने कहा कि व्यापारियों को उम्मीद थी कि सरकार जीएसटी में कुछ कमी करेगी, लेकिन ऐसा कुछ भी सरकार की तरफ से नहीं किया गया. महंगाई, बेरोजगारी को लेकर सरकार ने कुछ भी नहीं किया. हीरे जैसी चीजों को सस्ती करने की घोषणा कर दी, लेकिन लोगों की कमाई कैसे बढ़े, लोगों के पैसे कैसे बचें, इसके लिए कोई ठोस कदम सरकार ने नहीं उठाया. रंधावा ने इस बजट को मीठी चाशनी में डूबा हुआ करेला बताया.
भविष्य का बजट
वहीं अर्थशास्त्री, किरीट पारिख के अनुसार, ये बजट मिला-जुला बजट है. हालांकि उन्होंने भी कहा कि सरकार ने महंगाई-बेरोजगारी जैसे अहम मुद्दे को लेकर कोई घोषणा नहीं कि है, लेकिन टैक्स में छूट दे कर आम जनता को राहत देने की कोशिश की गई है. वहीं निवेश को बढ़ावा देकर अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर भी पैदा करने की कोशिश है. हालांकि उन्होंने मनरेगा के बजट में कटौती को लेकर वित्तमंत्री के विजन पर सवाल उठाया है, लेकिन साथ ही ये भी कहा कि रूरल एरिया डेवलपमेंट, गरीबों के लिए मुफ्त अन्न योजना सहित कई योजनाओं की घोषणा की गई है. जिससे आम लोगों को काफी फायदा होगा. इस बजट में रक्षा बजट को भी बढ़ाया गया है, जो देश की सैन्य शक्ति को मजबूत करेगा. उन्होंने इसे चुनाव से पहले वाली रेवड़ी-जलेबी वाली बजट ना बता कर भारत को सशक्त करने वाला भविष्य का बजट बताया.
आसाराम जेल में, तो अब कौन संभाल रहा है 10 हजार करोड़ का आश्रम समराज्य?