Delhi Latest News: दिल्ली में ​​विश्व हिंदू परिषद ने दशहरा पर्व के मौके पर भव्य शोभा यात्रा का अयोजन किया. इसमें वीएचपी से जुड़े दो हजार कार्यकर्ता शामिल हुए. यह यात्रा दिल्ली के करीब 10 किलोमीटर क्षेत्र में आयोजित की गई. एबीपी न्यूज ने लाजपत नगर से शुरू हुई शोभा यात्रा को ग्रेटर कैलाश तक कवर किया. 


VHP के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने एबीपी न्यूज ने बातचीत में कहा कि विजय दशमी हिंदू समाज के सौहार्द का प्रतीक है. हम समरसता का संदेश दे रहे हैं कि हिंदू एक है और संगठित है. 


'छूआछूत की कमियों को दूर करना होगा'


क्या विश्व हिंदू परिषद ने RSS प्रमुख के हिंदुओं को दिए गए संदेश के चलते इस शोभा यात्रा का आयोजन किया है? इस सवाल के जवाब में वीएचपी प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा, "मोहन भागवत हमारे मार्गदर्शक हैं. यह यात्रा पहले से तय थी. हिंदू समाज की कमियां कैसे दूर हो, यह सोचने की जरूरत है. छुआछूत का दंश हिंदू समाज झेल रहा है, जिससे हम लोगों को एक साथ मिलकर लड़ना होगा." 


RSS प्रमुख के संदेश का दिखा असर 


इससे पहले 6 अक्टूबर को RSS प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू समाज को खास संदेश दिया था. भागवत ने कहा था कि "अगर सुरक्षित रहना है तो भाषा जाति और प्रांत के मतभेदों और विवादों को खत्म कर हिंदुओं को एकजुट होना होगा. देश के नागरिकों में आचरण का अनुशासन, राज्य के प्रति कर्तव्य और लक्ष्य-उन्मुख होने का गुण को अपने व्यक्तित्व का अभिन्न हिस्सा बनाना होगा. 


इन इलाकों से गुजरी शोभा यात्रा 


विश्व हिंदू परिषद की शोभा यात्रा कोटला मुबारकपुर, डिफेंस कॉलोनी, लाजपत नगर, नेहरू नगर, आश्रम, महारानी बाघ, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, श्रीनिवासपुरी, ईस्ट ऑफ कैलाश से होते हुए ग्रेटर कैलाश तक पहुंची. विश्व हिंदू परिषद की विशाल शोभा यात्रा में प्रभु राम से लेकर बाबा साहेब आंबेडकर, गुरु नानक देव, भगवान वाल्मिकी और गौतम बुद्ध के रथ शामिल थे. यही वजह है कि वीएचपी की शोभा यात्रा कुछ अलग थी. 


वीएचपी की शोभा यात्रा अलग कैसे?


दरअसल, ​वीएचपी की शोभा यात्रा इस बार हिंदू के अलग-अलग वर्गों और सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग एक साथ नजर आए. इसका मकसद हिंदू के विभाजित वर्गों को संगठित करना था. यही वजह है कि इस बार यात्रा का नाम  समरसता यात्रा दिया गया.


आम तौर पर शोभा यात्रा में भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण होते हैं, जिनके साथ हनुमान भी नजर आते हैं, लेकिन इस बार सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु नानक देव भी विराजमान नजर आए. इसके अलावा, वंचित समाज को जोड़ने और एकत्रित करने के लिए वाल्मिकी, भगवान बुद्ध और अंबेडकर भी नजर आए. 


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