Delhi News: देश की राजधानी दिल्ली से सटे गुरुग्राम (Gurugram) जिले के पॉश इलाका डीएलएफ फेज वन के एक रेस्तरां का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल (Viral Video) हो रहा है. यह वीडियो एक सिख युवक को कृपाण (Kripan) के साथ रेस्तरां में प्रवेश करने से जुड़ा है. वीडियो में साफ सुना जा सकता है कि एक सिख व्यक्ति को कृपाण के साथ रेस्तरां में प्रवेश करने से रोका जा रहा है. इस मामले ने कुछ देर में सिख धर्म के अपमान का रूप ले लिया. अब यह विवाद केंद्र सरकार तक पहुंच गया है. अकाली दल नेता सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal ) ने इस मामले में कार्रवाई की मांग की है. फिलहाल, सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो की एबीपी न्यूज पुष्टि नहीं करता है.
कृपाण के साथ रेस्तरां में प्रवेश करने वाला युवक यह कहते सुना जा रहा है कि कृपाण तलवार नहीं है. इसके साथ हम कहीं भी आ जा सकते हैं. यह सुप्रीम कोर्ट की रुलिंग भी है. रेस्तरां में मौके पर मौजूद कुछ लोग सिख युवक का समर्थन भी करते हैं. कुछ लोगों का साथ मिलने पर सिख युवक रेस्तरां में प्रवेश तो कर जाता है, लेकिन उसका आरोप है कि उसे अंदर प्रवेश के बावजूद रेस्तरां की ओर से मुझे भोजन नहीं दिया गया और वो बिना भोजन के वहां से वापस आ गया.
सुखबीर बादल ने की घटना की निंदा
अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने इस घटना को लेकर कहा है कि कृपाण पहनने के कारण एक गुरसिख को गुरुग्राम के एक रेस्टोरेंट में प्रवेश से वंचित किए जाने और परेशान करने वाली खबरें सिख धर्म के आस्था के प्रतीकों के बारे में समाज को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता की ओर इशारा करती हैं. ऐसे कृत्य निंदनीय हैं और अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना पैदा करते हैं. उन्होंने पीआईबी होम अफेयर्स से अपील की है कि वो यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करें कि ऐसे कृत्य दोबारा न हों.
ये है पूरा मामला
हरतीरथ सिंह अहलूवालिया ने अपने बैक टू बैक ट्वीट में लिखा है कि बीती रात हमेशा की तरह गुरुग्राम के डीएलएफ फेज 1 के पास जलसा द लद्दाखी किचन समें मोमोज खाने गया था. वहां पर मुझे, घोर अपमान का सामना करना पड़ा. रेस्टोरेंट ने केवल कृपाण के कारण मुझे प्रवेश करने से रोक दिया. यह 21वीं सदी में गुरुग्राम जैसे शहर के लिहाज से आश्चर्यजनक भी है. कैसे कुछ लोग और कुछ स्थानों पर अभी भी भेदभाव जारी है. भारतीय संविधान और हवाई उड़ान नियमों के मुताबिक सिख को अपने पास कृपाण रखने का अधिकार है. इसके बावजूद जलसा ने रेस्टोरेंट के अंदर प्रवेश देने से रोका. मौके पर मौजूद लोग जिन्हें कृपाण के नियमों को जानकारी थी उन्होंने मेरा समर्थन किया, लेकिन अंदर जाने के बाद भी मुझे भोजन से वंचित कर दिया गया. ऐसे संस्थानों को चाहिए कि वो समय के साथ चलें. हम लोग विविधतापूर्ण समाज में रहते हैं. ऐसे में धार्मिक आधार पर भेदभाव का कोई स्थान नहीं है.
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