विदेश में शिक्षा पाना चाहते हैं और इसके लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू कर दी है तो कुछ बातों का ध्यान रखें ताकि आपका एप्लीकेशन स्वीकार हो और किसी तरह की समस्या न आए. वीजा और पासपोर्ट जैसी जरूरी चीजों के अलावा भी कुछ दस्तावेज ऐसे होते हैं जिनका ध्यान रखना जरूरी होता है. विदेश में शिक्षा पाने के लिए जब एप्लीकेशन भेजें तो ये डॉक्यूमेंट्स जरूर तैयार कर लें ताकि आपको कोई परेशानी न हो. जानते हैं विस्तार से.
ठीक से लिखें एसओपी –
विदेश में शिक्षा पाने के लिए आवेदन करते समय कैंडिडेट को स्टेटमेंट ऑफ पर्पज अथवा एसओपी (SOP) देना होता है. इसी के आधार पर संस्थान इस बात का इवैल्यूएशन करता है कि आप वहां एडमिशन लेने के काबिल है या नहीं. अपने एप्लीकेशन के साथ एक अच्छा एसओपी लिखना एडमिशन लेने के लिए बहुत जरूरी होता है. इसे देखकर ही कॉलेज ये तय करता है कि आपके उनके यहां प्रवेश पा सकने के सही कारण बता पा रहे हैं या नहीं.
रिकमेंडेशन लेटर -
विदेश में एडमिशन पाने के लिए जिस दूसरे डॉक्यूमेंट की जरूरत होती है उसे कहते हैं लेटर ऑफ रिकमेंडेशन. इसके द्वारा आपके प्रोफेशनल और एकेडमिक बिहेवियर और आपके अचीवमेंट के बारे में आपके इंप्लॉयर्स और टीचर द्वारा बताया जाता है. सामान्यत: कैंडिडेट को दो लेटर ऑफ रिकमेंडेशन चाहिए होते हैं पर यह कोर्स के अनुसार अलग भी हो सकता है. आपके सीनियर द्वारा आपके बारे में दिए गए लेटर के आधार पर सेलेक्शन कमेटी आपका आंकलन करती है और इस इंफॉर्मेशन को वेरीफाई भी करती है.
वहां की भाषा के ज्ञान का सर्टिफिकेट -
किसी भी देश में पढ़ाई करने के लिए जरूरी होता है कि कैंडिडेट को वहां की भाषा का अच्छे से ज्ञान हो. आप जिस भी देश के जिस भी कॉलेज में एडमिशन के लिए अप्लाई करते हैं आपको कुछ ऐसे डाक्यूमेंट्स पेश करने होंगे जिससे यह साबित हो कि आपको उस देश की भाषा अच्छे से आती है ताकि आपकी पढ़ाई में किसी प्रकार की रुकावट नहीं आएगी. यूनिवर्सिटीज द्वारा इसके लिए एक मिनिमम स्कोर सेट किया जाता है, जब आप इसे पास कर लेते हैं तभी आपका एडमिशन होता है.
ये किसी भी कॉलेज में एडमिशन लेने के सामान्य नियम हैं जिनमें कॉलेज और कोर्स के अनुसार बदलाव संभव है. अपने कोर्स में एडमिशन के लिए आवेदन करते समय विस्तार से और अलग से जानकारी जरूर प्राप्त करें उसके बाद ही आवेदन करें.
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