Explained: दिल्ली (Delhi) में एमसीडी (MCD) का कार्यकाल अपने आखिरी पड़ाव पर है. अगर पिछले चुनाव की परंपरा कायम रहती तो अब तक चुनाव की तारीख का एलान हो चुका होता, लेकिन दिल्ली चुनाव आयोग (Delhi Election Commission) ये काम अब तक नहीं कर पाया है. इसे पीछे का पेंच ये है कि केंद्र सरकार अब राजधानी दिल्ली के तीनों एमसीडी को एकीकृत करने जा रही है. इस वजह से चुनाव में देरी हो रही है. हालांकि, चुनाव कब होंगे और इसमें कितनी देरी हो सकती है, इसको लेकर अभी तस्वीर साफ नहीं है और मुमकिन है ये मामला कानूनी लड़ाई में भी फंस सकता है. 


हम यहां आपको ये समझाने की कोशिश करेंगे कि आखिर तीनों एमसीडी को एक साथ लाने के क्या राजनीतिक नफा नुकसान हैं. आपको बता दें कि मौजूदा वक्त में तीनों एमसीडी में बीजेपी का कब्जा है और एमसीडी पर बीते 15 साल से बीजेपी की हुकूमत चल रही है.


अब दिक्कत क्या है?
बीते चंद सालों में आम आदमी पार्टी न सिर्फ दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई है, बल्कि एमसीडी के चुनाव में भी उसकी स्थिति मजबूत मानी जा रही है. बीते सात साल से सत्ता में रहने के बाद उसके काफी ज्यादा कैडर तैयार हो गए हैं. पार्टी ने जमीन पर अपनी जगह मजबूत कर ली है और ये अनुमान लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी को अब आम आदमी पार्टी से कड़ी टक्कर मिलने वाली है. दरअसल, बीते सालों में दिल्ली में जहां कांग्रेस की ताकत कम हुई है, वहीं आम आदमी पार्टी की स्थिति मजबूत हुई है. 


तीन नगर निगम में दिक्कत क्या है?
तीन नगर निगम का मतलब, हर नगर निगम में अलग-अलग बहुमत का होना. आपको बता दें कि दिल्ली में तीनों नगर निगम में कुल 272 सीटें हैं. अगर नगर निगम होगा तो बीजेपी 137 सीटें लाकर एमसीडी पर काजिब हो सकती है. लेकिन तीनों के अलग-अलग होने पर ऐसा नहीं हो सकता है.


क्या बनते हैं समीकरण
दिल्ली के दो नगर निगम में 104-104 सीटें हैं. एक नगर निगम में 64 सीटें हैं. यानि बहुमत के लिए उसे दो नगर निगम में 53-53 सीटें चाहिए, जबकि एक जगह 33 सीटें चाहिए. यानि सीटों की संख्या बढ़कर 139 सीटें हो जाती हैं. लेकिन बड़ी दिक्कत ये है कि हर नगर निगम में अलग-अलग बहुमत लाना होगा. 


मान लीजिए, किसी नगर निगम में बीजेपी 104 में 70 सीट लाती है और दूसरे नगर निगम में 104 में 40 और तीसरे नगर निगम में 64 में 30... तो ऐसी स्थिति में वो सिर्फ एक नगर निगम में बहुमत ला पाएगी... लेकिन अगर तीनों नगर साथ होते तो बीजेपी 70+40+30= 140 सीटों के आधार पर बहुमत हासिल कर लेती. जानकारों का मानना है कि अगर तीनों एमसीडी अलग-अलग रहे तो बीजेपी का खेल खराब हो सकता है. क्योंकि यहां खोने के लिए बीजेपी के पास सत्ता है, जबकि बाकी दोनों दलों आप और कांग्रेस के पास कुछ भी नहीं है. बल्कि पिछले चुनाव में सत्ता की रेस से काफी दूर रही थी.


2017 एमसीडी चुनाव के नतीजे
2017 के एमसीडी चुनाव की बात करें तो तब कुल 270 चुनाव हुआ था, बाद में दो सीटों पर वोटिंग हुई थी. इन 270 सीटों में बीजेपी को 181, आप को 48, कांग्रेस को 30 और अन्य को 11 सीटों पर जीत मिली थी. तब दक्षिणी दिल्ली के 104 सीटों में से बीजेपी को 70 सीटों पर जीत मिली थी. जबकि आप को 16, कांग्रेस को 12 और अन्य को छह सीट पर जीत मिली. वहीं उत्तरी दिल्ली में 103 सीटों पर चुनाव हुआ जिसमें बीजेपी को 64, आप को 21, कांग्रेस को 15 और अन्य की तीन सीटों पर हार हुई थी. उस समय पूर्वी दिल्ली नगर निगम की 63 सीटों में से बीजेपी को 47, आप को 11, कांग्रेस को तीन और अन्य को दो सीट पर जीत मिली. उस समय पूर्वी दिल्ली नगर निगम और उत्तरी दिल्ली नगर निगम के एक-एक सीट पर वोटिंग नहीं हुई थी.


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