Donkey Route: क्या है डंकी रूट, जिसके आरोप में दिल्ली पुलिस ने नौ लोगों को किया गिरफ्तार ?
Donkey Route News: दिल्ली पुलिस एक अधिकारी ने कहा कि सभी आरोपी फर्जी परमिट हासिल कर कुख्यात डंकी रूट का इस्तेमाल कर रहे थे. इसके एवज में प्रत्येक यात्री से 15 लाख रुपये तक वसूल रहे थे.
Delhi News: हाल ही में अभिनेता शाहरुख खान की फिल्म डंकी रिलीज हुई थी. युवाओं में इस फिल्म की चर्चा अमूमन आज भी होती रहती है. इस फिल्म में अवैध तरीके से विदेश जाने के तरीके को दिखाया गया है. इस फिल्म की तर्ज पर ही कुछ लोग यूरोपीय देशों में गैर कानूनी तरीके से एंट्री करना चाहते थे, लेकिन उनके ऐसा करने से पहले दिल्ली पुलिस ने अवैध दस्तावेजों के आधार पर लोगों को यूरोपीय देशों में भेजने के आरोप में चार बांग्लादेशी नागरिकों समेत नौ लोगों की गिरफ्तार कर अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश किया.
दिल्ली पुलिस एक अधिकारी ने कहा कि सभी आरोपी काम के फर्जी परमिट हासिल कर कुख्यात डंकी रूट का इस्तेमाल कर रहे थे. इसके एवज में प्रत्येक यात्री से 15 लाख रुपये तक वसूल रहे थे. ‘डंकी रूट’ एक अवैध आप्रवासन तकनीक है जिसका उपयोग देशों में अनधिकृत प्रवेश के लिए किया जाता है.
गैर कानूनी तरीके से दिल्ली में रहते थे आरोपी
अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (पूर्व) अचिन गर्ग के अनुसार गिरोह का पर्दाफाश होने की शुरुआत चार जनवरी को बांग्लादेशी नागरिकों मोहम्मद अनवर काजी (22) और मोहम्मद खलीलुर रहमान (22) की गिरफ्तारी के साथ शुरू हुई. काजी और रहमान की गिरफ्तारी के बाद अली अकबर, मोहम्मद इब्राहिम, मोहम्मद मुदस्सिर खान, नरेंद्र आर्य, धीरज बिश्नोई, गौरव गुलाटी और मोहम्मद यूनुस को भी गिरफ्तार किया गया. इनमें अली अकबर और यूनुस खान भी बांग्लादेशी नागरिक हैं और वे दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे थे.
दिल्ली पुलिस के मुताबिक काजी और रहमान ने जांचकर्ताओं को बताया है कि उन्होंने ग्रीक वर्क परमिट हासिल करने के लिए यूनुस खान, इब्राहिम और अकबर को जाली दस्तावेज उपलब्ध कराए थे. यूनुस खान, इब्राहिम और अकबर को दक्षिणपूर्वी दिल्ली के सरिता विहार से गिरफ्तार किया गया. उनके पास से 12 पासपोर्ट, 10 मोबाइल फोन, तीन लैपटॉप, तीन पेन ड्राइव, एक इंकजेट प्रिंटर, 150 व्यक्तियों के बांग्लादेश के 150 नोटरी दस्तावेज, 50 बांग्लादेश पुलिस क्लीयरेंस प्रमाणपत्र और डायरी तथा पीड़ितों की सूची जैसे कई अन्य आपत्तिजनक सामान बरामद किए गए.
ढाका निवासी गिरोह का सरगना इंडिया में करता है ये काम
तीनों ने पुलिस को बताया कि वे ढाका में अपने आकाओं के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी रैकेट चला रहे हैं. ढाका स्थित गिरोह के संचालक बांग्लादेश और भारत में मानवशक्ति परामर्श संस्था चलाते हैं. वो भारत के माध्यम से ‘डंकी रूट’ का उपयोग करके बांग्लादेश से लोगों को यूरोपीय देशों में भेजने में मदद करते हैं. उनके संचालक बांग्लादेश के पीड़ितों को यूरोपीय देशों में नौकरी दिलाने का वादा कर उन्हें झांसे में लेते हैं.
क्या है डंकी रूट?
डंकी रूट विदेश जाने का बैक डोर व गैर कानूनी तरीका है. ऐसे लोग जिन्हें वैध तरीके से किसी देश में जाने की इजाजत नहीं मिलती है, वो डंकी रूट के जरिए अपनी मंजिल तक पहुंचने का प्रयास करते हैं. ऐसे में अगर किसी किसी शख्स को अमेरिका जाना है और उसे डायरेक्ट वहां जाने का वीजा नहीं मिलता है तो वह किसी ऐसे देश का वीजा हासिल कर सकता है, जहां से अमेरिका जाना आसान है. वहां पहुंचने के बाद वो अवैध तरीके से अमेरिका में एंट्री कर लेता है. अमेरिका-कनाडा में डंकी रूट के जरिए एंट्री करने में लैटिन अमेरिकन कंट्रीज बहुत मददगार हैं. कमोवेश यही हालत यूरोप का भी है. भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और दक्षिण एशिया के तमाम देशों के लोग ब्रिटेन, फ्रांस, इटली जैसे देश जाना चाहते हैं. वैध तरीके से एंट्री नहीं मिलती तो ‘डंकी रूट’ ले लेते हैं. यूरोप में गैर कानूनी तरीके से प्रवेश के लिए सर्बिया सबसे लोकप्रिय डंकी रूट है.