Delhi News: इंसान के निजी जीवन या किसी भी व्यवस्था में कुछ ऐसा होता है, जिसकी आप कल्पना तक नहीं कर सकते, लेकिन उस हादसे के बारे में सुनकर या बतौर प्रत्यक्षदर्शी उस मोमेंट देख कर दंग जरूर रह जाते हैं. कुछ पलों के लिए आपको यह समझ नहीं आता कि ये क्या हो रहा है? जी साहब, आज मैं, आपके सामने ऐसी ही एक घटना का जिक्र करने जा रहा हूं, जो जिक्र दिल्ली की एक अदालत (Delhi court) में सामने आते ही जज साहब भी भौचक्के रह गए. अब आप सोच रहे होंगे, ऐसा क्या है, तो आइए, हम आपको बताते हैं कि सबको चौंकाने वाला यह मामला क्या है? 


मीडिया रिपोर्ट की माने तो यह घटना दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट की है. दो दिन पहले यानी 31 जनवरी को अदालत एक्सीडेंट (Road Accident) से जुड़े एक मामले में सुनवाई कर रही थी. ठीक उसी समय सड़क दुर्घटना में मृत घोषित शख्स कोर्ट स्वयं अदालत के सामने यक्ष प्रश्न बनकर खड़ा हो गया. इसे देख पटियाला हाउस कोर्ट हैरान में रह गई. फिलहाल, जज ने दिल्ली पुलिस को मामले की जांच करने के निर्देश दिए हैं. आगे की सुनवाई के लिए जज साहब ने 3 मार्च की नई तिथि मुकर्रर की है.


दरअसल, दिल्ली सड़क हादसे से जुड़े एक मामले में मृत घोषित व्यक्ति को सामने खड़ा देख पटियाला हाउस कोर्ट की एक सेशन अदालत को पहले तो खुद के साथ धोखा होने की आशंका हुई, जो पुलिस और पीड़ित के अलग-अलग दावों से और गहरा गई. इस मामले में दिल्ली कैंट थाने के एक कॉन्स्टेबल ने अदालत में कहा था कि उसे पीड़ित के पिता ने उसकी मौत का प्रमाणपत्र दिया था. जबकि, पीड़ित ने दावा किया कि उसके पिता का देहांत 1998 में ही हो चुका है. पुलिस के दावे पूरी तरह से गलत हैं.


ये है पूरा मामला 


पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जज हरजोत सिंह भल्ला 31 जनवरी को दिल्ली रोड एक्सीडेंट से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रहे थे. ठीक उसी समय तथाकथित मृत घोषित नरेंद्र कुमार बिष्ट जज के सामने हाजिर हुआ. यह वही व्यक्ति था, जिसकी एक्सीडेंट में मौत का प्रमाण पत्र अदालत के सामने दिल्ली पुलिस ने पेश किया था. खास बात यह है कि डेथ सर्टिफिकेट में पिता का नाम और घर का पता भी वही था, जो पीड़ित व्यक्ति ने अदालत में बताया.अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने जब पुलिस से सच बताने को कहा ​तो जवाब में दिल्ली कैंट थाने में तैनात कॉन्स्टेबल अशोक कुमार ने अदालत से कहा कि उन्हें मृतक के पिता जसवंत सिंह ने उसके डेथ सर्टिफिकेट की फोटोकॉपी मुहैया कराई थी. 


अब 3 मार्च को होगी इस मसले पर सुनवाई


दिल्ली पुलिस के दावों के जवाब में जब पीड़ित ने दावा किया कि उसके पिता जसवंत सिंह का देहांत 1998 में ही हो चुका है. नरेंद्र ने अपनी पहचान की पुष्टि के लिए आधार कार्ड अदालत के सामने पेश किया. इसके बाद अदालत ने संबंधित डीसीपी को निर्देश दिया कि वह मामले में तत्काल छानबीन करें.यह पता लगाएं कि क्या किसी ने नरेंद्र या उनकी मां की मौत के आधार पर मुआवजे के लिए मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (एमएसीटी) में दावा तो नहीं किया है. इस केस में अब अगली सुनवाई 3 मार्च को होगी.


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