रिठाला सीट पर AAP लगाएगी हैट्रिक या BJP करेगी वापसी, जानें इस सीट का सियासी समीकरण
Rithala Assembly constituency: दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक सप्ताह से भी कम समय बचा है. सभी राजनीतिक दल जोर-शोर से प्रचार कर रहे हैं. जानें रिठाला विधानसभा सीट की क्या है स्थिति?
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Delhi Election 2025: राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव के तहत मतदान के लिए अब सप्ताह भर से भी कम का समय बचा है. ऐसे में सभी राजनीतिक दल दिल्ली की सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में जोर-शोर से प्रचार-प्रसार में जुटी हुई है. दिल्ली के रिठाला विधानसभा सीट पर 2020 के चुनाव में कांग्रेस महज 1.59 फीसदी मत पाने में कामयाब हुई थी.
परिसीमन के बाद अस्तित्व में आये नॉर्थ-वेस्ट लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली रिठाला विधानसभा सीट पर वर्ष 2008 में हुए पहले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी और कुलवंत राणा ने कांग्रेस के शंभु दयाल शर्मा को 26346 मतों से हराया था. कुलवंत राणा ने अपनी और पार्टी की जीत का सिलसिला 2013 में भी जारी रखा और उस चुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी हरीश अवस्थी को 25 हजार से भी अधिक मतों से मात दी थी. जबकि कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही थी.
2015 में बीजेपी पिछड़ी, बैक टू बैक दो बार जीती आप
लेकिन उसके बाद 2015 में हुए चुनाव में बीजेपी यहां से पिछड़ी और आप के मोहिंदर गोयल (93470) ने यहां से 29 हजार से अधिक मतों के भारी अंतर से शानदार जीत दर्ज कर बीजेपी के राणा (64219) को पटखनी दी. अगले चुनाव यानी 2020 में बीजेपी ने मनीष चौधरी (74067) पर दांव लगाया, लेकिन यहां वापसी करने में सफल नहीं हो सकी. आप के मोहिंदर गोयल (87940) ने लगातार यहां पर झाड़ू का जादू बरकरार रखा. हालांकि, इस बार जीत का अंतर 2015 के चुनाव के मतों की तुलना में आधे से भी कम रहा.
आप की हैट्रिक लगाने की तैयारी
इस चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने मोहिंदर गोयल पर भरोसा बनाये रखते हुए यहां पर जीत की हैट्रिक लगाने की जिम्मेदारी सौंपी है. वहीं बीजेपी ने यहां से अपने पूर्व विधायक कुलवंत राणा को फिर से मौका दिया है, जबकि कांग्रेस ने सुशांत मिश्रा पर अपना दांव लगाया है. वर्ष 2008 से लेकर अब तक के हुए चार चुनावों में से बीजेपी और आप ने दो-दो चुनावों में बाजी मारी है, जबकि पिछले दो चुनावों में इन दोनों के बीच ही सीधा मुकाबला रहा है.
आप की जीत की राह नहीं होगी आसान
इस बार भी कमोबेश हालात वही रहने वाले हैं, लेकिन बीजेपी इस बार आप को कड़ी टक्कर दे सकती है, जबकि कांग्रेस यहां पर अब तक के सबसे खराब प्रदर्शन को बेहतर करने की ही कोशिश करती नजर आ सकती है. क्योंकि वर्ष 1977 से लेकर अब तक के हुए चुनावों में कांग्रेस महज एक बार वर्ष 1983 में जीत दर्ज करने में कामयाब हुई थी. उसके बाद चुनाव दर चुनाव कांग्रेस का प्रदर्शन यहां गिरता चला गया जो दर्शाता है कि यहां कांग्रेस पार्टी का जनाधार बिल्कुल खत्म हो चुका है.
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