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खड़गे या शशि थरूर: जानिए, क्या है इस पर JNU के छात्रों और प्रोफेसर की राय

Congress News: कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में मतदान हो चुका है. मतगणना 19 अक्तूबर को होगी. नतीजे आने से पहले जानिए छात्रों की राय कि कौन साबित हो सकता है बेहतर अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे या शशि थरूर

नई दिल्ली: देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस का अध्यक्ष कौन होगा? इसके लिए सोमवार को मतदान हुआ. दो दिन के इंतजार के बाद 19 अक्टूबर को चुनाव नतीजे आएंगे. इससे साफ होगा कि कांग्रेस का नया अध्यक्ष कौन होगा, शशि थरूर या मल्लिकार्जुन खड़गे. कांग्रेस की कमान इन दोनों नेताओं में से किसके हाथ में होनी चाहिए और इनमें से कौन नेता कांग्रेस को आगे लेकर जा सकता है? इन सवालों के जवाब तलाशने के लिए एबीपी न्यूज़ ने राजनीति और अलग-अलग विषयों में पीएचडी कर रहे छात्रों और प्रोफसरों से बात की. आइए जानते हैं कि उनकी क्या राय है. 

विचारधारा की राजनीति

दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) से राजनीति विज्ञान में पीएचडी कर रहे गजेंद्र धामा से कांग्रेस पार्टी की मौजूदा स्थिति और पार्टी को मजबूत करने के लिए नए विचार और सिद्धांत को लेकर सवाल किया? इस पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अपनी विचारधारा में सर्वोपरि रख कर प्रचारित करने की जरूरत है न कि परिवार को. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को परिवारवाद को रोकने के लिए गैर परिवार के सदस्य को कमान सौंपने की जरूरत है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जिसको भी यह कमान सौंपी जाए, वह भी अच्छा व्यक्ति होना चाहिए. कांग्रेस को बेहतर विपक्ष की भूमिका, जैसा यूपीए के शासनकाल में बीजेपी निभा रही थी, कौन नेता ला पाएगा. इस सवाल पर धामा ने शशि थरूर का नाम लिया. उनको लगता है कि शशि थरूर एक अच्छे नेता साबित हो सकते हैं.

जेएनयू से पीएचडी कर रही एक अन्य छात्रा का मानना है कि जरूरत इस बात की है कि कांग्रेस नए सिद्धांत और नए विचारों को अपनाएं. वह विपक्ष में मजबूत भूमिका निभाए, क्योंकि जनता के सामने भी विपक्ष का मजबूत होना आवश्यक है. उनका मानना है कि देश में अभी लोगों को बीजेपी के अलावा कोई अन्य मजबूत राजनीतिक विकल्प नहीं दिख रहा है. जितनी मजबूती से बीजेपी चुनाव लड़ती है और लोगों के बीच अपनी जो छवि बना रही है, वह छवि कोई दूसरी पार्टी बनाने में अभी इतनी सक्षम दिखाई नहीं दे रही है.

कांग्रेस पर गांधी परिवार की छाया

इस छात्रा से जब यह पूछा कि क्या थरूर के जरिए कांग्रेस को आलाकमान कल्चर या गांधी परिवार की छाया से दूर होने की जरूरत है? इस सवाल पर उनका कहना था कि गांधी परिवार में कोई परेशानी नहीं है, बल्कि गांधी परिवार ही कांग्रेस की परेशानी है, कांग्रेस को लीड करने के लिए कभी गांधी परिवार से हटकर देखा ही नहीं गया, जबकि पार्टी के भीतर भी कई ऐसे वरिष्ठ और सक्षम नेता हैं जो पार्टी को बखूबी आगे लेकर जा सकते हैं, उसे मजबूत कर सकते हैं. उन्होंन कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष पद पर काफी लंबे समय बाद गांधी परिवार से हटकर कोई अन्य चुना जाएगा, ऐसे में यह केवल दिखावे के लिए नहीं होना चाहिए.

जेएनयू में पॉलिटिकल साइंस पढ़ाने वाले प्रोफेसर नरेंद्र कुमार कहते हैं कि कांग्रेस की मौजूदा स्थिति को देखते हुए हम यह नहीं कह सकते कि कांग्रेस पूरी चरह बिखर गई है. लेकिन कांग्रेस उतनी मजबूत भी नहीं है, जितना उसे होना चाहिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस में नए विचार या सिद्धांत की नहीं बल्कि उसे अपने पुराने विचार और सिद्धांतों को नए सिरे से लेकर आने की है.

जब उनसे यह पूछा कि क्या शशी थरूर के जरिए पार्टी को आलाकमान कल्चर या गांधी परिवार की छाया से दूर होने की जरूरत है? इस सवाल पर प्रोफेसर नरेंद्र कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि केवल कांग्रेस में ही आलाकमान कल्चर है, अन्य राजनीतिक दलों में भी ऐसा ही है. रही बात शशि थरूर की बात तो इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि शशि थरूर एक अल्टरनेटिव वॉइस को रिप्रेजेंट करते हैं. अगर वो कांग्रेस अध्यक्ष बनते हैं तो हो सकता है कि वह अलग तरीके से पार्टी को रिप्रेजेंट करें.

विपक्ष में कांग्रेस की भूमिका

मजबूत विपक्ष की भूमिका में कांग्रेस को कौन तैयार कर सकता है खड़गे या थरूर? इस सवाल पर वो कहते हैं कि मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस कल्चर वाले वरिष्ठ नेता हैं. वो गांधी परिवार और कांग्रेस की विचारधारा से प्रभावित रहे हैं. वहीं शशि थरूर की कांग्रेसी होने के साथ-साथ उनकी एक इंडिविजुअल पहचान भी है. उनके काम करने का तरीका अलग है. वह कांग्रेस की विचारधारा के साथ-साथ अपने विचारों और सिद्धांतों को साथ लेकर चलने वाले नेता हैं. युवाओं में उनकी एक मजबूत छवि है. इसीलिए मुझे लगता है कि शशि थरूर कांग्रेस के लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकते हैं.

प्रोफेसर नरेंद्र ने पूछा कि क्या कांग्रेस में वैचारिक शून्यता आ गई है और वह बीजेपी के राष्ट्रवाद को जवाब देने में कितना सक्षम है. इस सवाल पर वो कहते हैं कि वैचारिक शून्यता तो हम नहीं कहेंगे लेकिन हम यह कह सकते हैं कि कांग्रेस के विचारों को आगे लेकर जाने वाला कोई नहीं है. इसलिए कांग्रेस को जरूरत है कि वह अपने पुराने विचारों और सिद्धांतों को ही नए तरीके से आगे लेकर आए. जिस तरह बीजेपी ने अपने पुराने विचारों को नए तरीके से लोगों के सामने रखा और लोगों ने उसे अपनाया. उसी तरह से कांग्रेस को भी करने की जरूरत है.

कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव की निष्पक्षता

कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव की निष्पक्षता के सवाल पर प्रोफेसर नरेंद्र कहते हैं कि यह भी हो सकता है कि कांग्रेस ने ही शशि थरूर को कहा हो कि वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए खड़े हों, जबकि पहले से ही मल्लिकार्जुन खड़गे को ही पार्टी का अध्यक्ष बनाने की रणनीति हो. लेकिन कांग्रेस ये दिखाना चाहती हो कि पार्टी में लोकतांत्रिक व्यवस्था है इसीलिए शशि थरूर को चुनाव में खड़ा किया गया हो.

वहीं जामिया मिल्लिया इस्लामिया से जेंडर स्टडीज में पीएचडी कर रहे राहुल कपूर को लगता है कि शशि थरूर कांग्रेस के बेहतर प्रेसिडेंट साबित हो सकते हैं. वो कहते हैं कि कांग्रेस की मौजूदा स्थिति को देखते हुए उसमें बड़े बदलाव की जरूरत है न कि छोटे और अस्थायी बदलाव की. उन्होंने कहा कि मल्लिकार्जुन खड़गे का कांग्रेस का अध्यक्ष बनना अस्थायी बदलाव ही होगा. 

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