Delhi MCD Mayor Election: स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन को लेकर AAP-BJP में घमासान क्यों, 5 प्वाइंट में समझें इसकी अहमियत
Delhi Mayor Election: दिल्ली में AAP और बीजेपी के बीच जारी सियासी जंग मेयर, डिप्टी मेयर को लेकर नहीं, बल्कि स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों को लेकर है. अहम सवाल यह है कि ईसी दोनों के लिए खास क्यों है?
MCD Mayor Election : दिल्ली के मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी (Standing Committee) के 6 सदस्यों का चुनाव 6 जनवरी को AAP और बीजेपी (BJP) के बीच सियासी खींचतान की वजह से नहीं हो पाया. अधिकांश लोग यही जानते हैं कि दोनों के बीच सियासी जंग मेयर और डिप्टी मेयर को लेकर है, लेकिन ऐसा है नहीं. ऐसा इसलिए कि दिल्ली नगर निगम का प्रमुख भले ही मेयर होते हैं, लेकिन अहम फैसले और विकास योजनाओं की प्लानिंग के सूत्रधार स्टैंडिंग कमेटी होती है. यही वजह है कि दोनों ही पार्टियां चाहती हैं कि उनके ज्यादा से ज्यादा सदस्य स्टैंडिंग कमेटी में जीतकर आए. ताकि स्टैंडिंग कमेटी का चेयरमैन उनका बने और वो अपने हिसाब से MCD को चला सकें.
दरअसल, दिल्ली MCD की स्टैंडिंग कमेटी की हैसियत ठीक वही है जो केंद्र और राज्यों की सरकारों में वित्त मंत्रालय की होती है. यानि जिसके ज्यादा मेंबर स्टैंडिंग कमेटी में होंगे, उसका MCD ही नहीं, दिल्ली की मिनी सरकार पर राज होगा. यही वजह है कि स्टैंडिंग कमेटी MCD में महत्वपूर्ण भूमिका है.
इसलिए चुनावी अखाड़ा बना स्टैंडिंग कमेटी
1. दिल्ली MCD की स्टैंडिंग कमेटी की हैसियत ठीक वही है जो केंद्र और राज्यों की सरकारों में वित्त मंत्रालय की होती है. यानि जिसके मेंबर स्टैंडिंग कमेटी (EC) में ज्यादा होंगे, उसका MCD ही नहीं, दिल्ली की मिनी सरकार पर भी राज होगा.
2. AAP के ज्यादा सदस्य स्टैंडिंग कमेटी में हों और मेयर भी AAP का ही हो तो MCD का काम सामान्य तरीके से चलेगा. जो भी प्रस्ताव स्टैंडिंग कमटी में आएंगे वो पास होकर सदन में जाएंगे. ऐसी स्थिति में AAP अपने एजेंडे को MCD में लागू करा पाएगी.
3. बीजेपी के ज्यादा सदस्य स्टैंडिंग कमेटी में हों और मेयर भी बीजेपी का हो तो बीजेपी अपने एजेंडे को आसानी से लागू कराने में सक्षम होगी.
4. बीजेपी के ज्यादा सदस्य स्टैंडिंग कमेटी में हों और मेयर भी AAP का हो तो स्टैंडिंग कमेटी में AAP के प्रस्ताव पास नहीं हो पाएंगे. मेयर होने के बावजूद AAP के हाथ बंधे होंगे.
5. बीजेपी के और AAP के सदस्य स्टैंडिंग कमेटी में बराबर हों और मेयर भी बीजेपी या AAP का हो तो जिस भी पार्टी का चेयरमैन उन सदस्यों में से बनेगा वो कमेटी में अल्पमत में होगा और चेयरमैन बनवाने के बावजूद प्रस्ताव पास करवाने में मुश्किल होगी.
MCD में उसी की चलेगी जिसके पास होंगे EC के 10 सदस्य
स्टैंडिंग कमेटी में कुल 18 सदस्य होते हैं. 12 सदस्य दिल्ली के अलग-अलग 12 जोन से चुनकर आते हैं. हर जोन से एक-एक सदस्य स्टैंडिंग कमेटी में शामिल होते हैं. शेष 6 सदस्यों के चुनाव में पार्षद करते हैं. यानि स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों के चयन में एमएलएस और सांसदों वोटिंग नहीं करते हैं. जबकि जोन से सदस्यों में चुनाव में एलजी द्वारा नामित सदस्य निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. यही वजह है कि MCD में स्टैंडिंग कमेटी के 6 सदस्यों के चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी और बीजेपी दोनों के लिए MCD में सियासी अस्तित्व को बचाए रखने का मामला बन गया है.
दोनों हर हाल में स्टैंडिंग कमेटी में ज्यादा से ज्यादा मेंबर को जीताना चाहती है. जिसका मेंबर ज्यादा होगा उसी का चेयरमैन भी स्टैंडिंग कमेटी में होगा. AAP ने 4 सदस्यों को स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव में उतारा है. बीजेपी ने तीन सदस्यों को स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव में उतारा है. बीजेपी तीन सदस्यों जीता लेना चाहती है. बीजेपी ने ऐसा कर लिया तो AAP ने भले जी चुनावी जीत हासिल की हो पर निगम में असल में कब्जा बीजेपी वालों का ही होगा.
एल्डरमैन की नियुक्ति ने AAP का बिगाड़ा खेल
बता दें कि दिल्ली नगर निगम में 12 जोन हैं. इनमें संख्याबल के हिसाब से देखें तो 8 पर आम आदमी पार्टी का कब्जा होगा तो 4 पर बीजेपी का. यानी सदन में मुकाबला तीन-तीन की बराबरी पर भी छूटता है तो स्टैंडिंग कमेटी के 11 सदस्य आम आदमी पार्टी के होंगे तो 7 सदस्य बीजेपी के. लेकिन यहां भी एक पेंच है. दिल्ली के एलजी 10 एल्डरमैन काउंसलर नियुक्त् कर दिए हैं. ये एल्डरमैन तीन जोन में नियुक्त किए गए हैं. एलडरमैन को जोन चुनाव में वोटिंग का अधिकार होता है.यानि जिस जोन में एलडरमैन नियुक्त हुए हैं वहां का समीकरण बदल जाएगा.
अगर तीनों जोन में एलडरमैन बहुमत पर असर डालतें हैं तो आम आदमी पार्टी का खेल बिगड़ जाएगा. फिलहाल, MCD के 12 जोन हैं. इनमें से चार जोन में बीजेपी अपने दम पर सदस्य जिताने की स्थिति में है. नरेला, सिविल लाइन और सेंट्रल जोन में बीजेपी एलजी द्वारा मनोनीत पार्षदों के दम पर जीत हासिल करना चाहती है. बीजेपी ने MCD के केवल तीन जोन में ही 10 पार्षद मनोनीत कराकर स्थायी समिति का अध्यक्ष अपना पार्षद बनाने की जमीन तैयार की है.
इन तीनों जोन में से एक जोन में बीजेपी का बहुमत है, जबकि एक जोन में बीजेपी व आम आदमी पार्टी के पार्षदों की संख्या बराबर हो गई, वहीं तीसरे जोन में अब जीत की चाबी कांग्रेस के हाथ में आ गई है. कांग्रेस पार्षद जिसका समर्थन करेंगे उसका पार्षद वार्ड समिति का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व स्थायी समिति का सदस्य चुना जाएगा. एल्डरमैन की नियुक्ति से पहले 12 जोन में से आठ में AAP का बहुमत था, लेकिन अब उसका पांच जोन में ही बहुमत रह गया है.
AAP का रोहिणी, दक्षिण, पश्चिम, सदर पहाडग़ंज व करोल बाग जोन में बहुमत है जबकि अब बीजेपी को भी पांच जोन में बहुमत मिल गया है. चुनाव के समय उसका चार जोन में ही बहुमत था.