Delhi Budget 2023: बजट पर केंद्र और दिल्ली सरकार आमने-सामने, जानें विधानसभा में बजट पेश करने की प्रक्रिया क्या है?
Delhi Budget News: दिल्ली विधानसभा में बजट पेश होने से पहले उस पर एलजी से अप्रूवल लेना होता है. इस बार ऐसा नहीं होने का नतीजा यह निकला कि आज सदन में बजट पेश नहीं हो पाएगा.
Delhi Budget 2023 Update: दिल्ली सरकार में वित्त मंत्री कैलाश गहलोत मंगलवार यानी 21 मार्च को दिल्ली विधानसभा में साल 2023-24 का बजट पेश करने वाले थे, लेकिन अब वो अपना बजट विधानसभा में आज पेश नहीं कर पाएंगे. जबकि बजट की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं. सोमवार को कैलाश गहलोत ने आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट और आउटकम बजट भी पेश किया था. इसके बावजूद 20 मार्च की शाम को अचानक मुख्यमंत्री अरविंद ंने जानकारी दी कि केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार के बजट पेश करने पर रोक लगा दी है. इसके बाद से केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच नये सिरे से तनातनी चरम पर पहुंच गई है. दोनों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है.
इस बीच अहम सवाल यह है कि दिल्ली सरकार आज विधानसभा में बजट क्यों पेश नहीं कर सकती, आखिर दिल्ली विधानसभा में बजट पेश करने की प्रक्रिया क्या है?
दरअसल, दिल्ली सरकार बजट तैयार करने के बाद पहले एलजी के पास मंजूरी के लिए भेजती है. एलजी दिल्ली सरकार द्वारा तैयार बजट को केंद्रीय गृह मंत्रालय के जरिए राष्ट्रपति के पास भेजते हैं. राष्ट्रपति की सहमति मिलने के बाद बजट दिल्ली विधानसभा में पेश किया जाता है. तो क्या मंगलवार को दिल्ली विधानसभा में बजट पेश करने से पहले केजरीवाल सरकार ने एलजी से अप्रूवल नहीं ली थी. अगर ली थी तो उसपर रोक क्यों लगी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली सरकार द्वारा तैयार और एलजी को भेजे गए बजट में एलजी ने 5 आपत्तियां दर्ज कर गृह मंत्रालय को भेजी थीं.
गृह मंत्रालय ने 17 मार्च को बजट में संशोधन का दिया था सुझाव
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एलजी की ओर से बजट पर नोटिंग मिलने के बाद 17 मार्च को दिल्ली सरकार से कुछ आपत्तियों को दूर करने को कहा था, लेकिन दिल्ली सरकार ने आज तक ऐसा नहीं किया. उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि हमारी सरकार का विज्ञापन बजट 550 करोड़ है, इसलिए केंद्र सरकार इसे रोक रही है. जबकि, पिछले साल भी बजट इतना ही था.
ये है आज बजट पेश न होने की मूल वजह
1. 78,880 करोड़ रुपये के बजट में से केवल 20 प्रतिशत हिस्सा पूंजीगत व्यय के लिए निर्धारित किया गया है. जबकि विकास के सारे काम इसी मद से होते हैं. दिल्ली इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट काम इसी के आधार पर होता है.
2. बिजली, पानी और बस टिकट के लिए सब्सिडी के रूप में 4,788 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. एलजी पहले ही सवाल उठा चुके हैं कि डीईआरसी के कहने के बाद भी डीबीटी के जरिए सब्सिडी क्यों नहीं दी गई? क्या डीटीसी और जल बोर्ड को हुए नुकसान की भरपाई के लिए बजट पेश किया गया है. अगर डीटीसी और जलबोर्ड पहले से घाटे में है लोगों मुफ्त में पानी और डीटीसी में महिलाओं को फ्री सफर की सुविधा मुफ्त कैसे दी जा सकती है?
3. बजट कहता है कि संसाधन की कमी के मामले में एनएसएसएफ जमा के खिलाफ 10000 करोड़ का ऋण लिया जा सकता है. इसका भुगतान बाद में सरकार को करना होता है. एलजी का कहना है कि इस कर्ज का बोझ दिल्ली की जनता पर भी पड़ेगा. इसका उपयोग विकास कार्यों के लिए किया जाना चाहिए, भले ही इसके लिए कर्ज लेना पड़े. सब्सिडी न देना पड़े.
4. वर्ष 2022-23 के लिए एडी का संशोधित अनुमान 271 करोड़ है जबकि 511 करोड़ का बजट आवंटन किया गया. फिर इस साल के बजट में विज्ञापन का बजट 557 करोड़ क्यों रखा गया?
5. फिर, दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है और केंद्र सरकार की सभी योजनाएं यहां लागू होती हैं, लेकिन यहां के लोग आयुष्मान योजना का लाभ क्यों नहीं ले पा रहे हैं?
बता दें कि विधानसभा में बजट पेश करने से पहले दिल्ली सरकार को एलजी की इन 5 आपत्तियों का जवाब देना था, लेकिन केजरीवाल सरकार ने ऐसा करना शायद जरूरी न समझा हो. नतीजा यह निकला कि दिल्ली सरकार का बजट गृह मंत्रालय से मंजूर नहीं हुआ और अब सदन में पेश नहीं किया जाएगा.
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