Delhi MCD News: दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में स्थायी समिति को लेकर आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच चल रहा विवाद अभी भी जारी है. इस कारण एमसीडी की सारी महत्वाकांक्षी परियोजनाएं अधर में लटकी पड़ी हैं. इस बात को ध्यान में रखते हुए मेयर शैली ओबरॉय ने दिल्ली सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद स्थायी समिति के गठन तक उसकी शक्तियों को सदन को देने के मुद्दे पर चर्चा के लिए सोमवार को सदन की विशेष बैठक बुलाई थी. यह बैठक हंगामे की भेंट चढ़ गई. स्थाई समिति के अब तक गठन न होने को लेकर भाजपा के पार्षदों ने निगम सदन की बैठक में जमकर हंगामा किया. इसका नतीजा यह निकला कि सदन की बैठक को स्थगित करना पड़ा.
हंगामे के दौरान भाजपा पार्षदों ने निगम सचिव और सहायक निगम सचिव को कमरे में बंद कर दिया और भाजपा के पार्षद मेयर के आसन पर चढ़ गए और बैठक शुरू नहीं होने दी. हालांकि, मेयर के आसन के पास महिला और पुरूष गार्ड की तैनाती भी की गई थी, लेकिन वह कारगर साबित नहीं हुई. सदन की बैठक के भाजपा पार्षदों के हंगामे की भेंट चढ़ जाने पर नेता सदन मुकेश गोयल ने भाजपा पार्षदों पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि भाजपा के पार्षद सदन को चलने नहीं दे रहे हैं और लोकतंत्र की हत्या कर रहे हैं.
एक्ट में बदलाव की शक्ति संसद के पास
दिल्ली सरकार के इस रणनीति पर पलटवार करते हुए निगम सचिव के दफ्तर के बाहर बैठे भाजपा पार्षद संजीव कपूर ने कहा है कि निगम के एक्ट में जो बदलाव करने की कोशिश की जा रही है वह गैरकानूनी है. संविधान इसकी इजाजत नहीं देता है. अगर किसी एक्ट में बदलाव करना होता है, तो उसे पहले संसद में भेजना होगा. ये नियमों की अनदेखी करके नया एक्ट लाना चाहते हैं, जो भाजपा किसी भी कीमत पर होने नहीं देगी. कपूर ने कहा कि हमें दिल्ली की जनता ने चुना है और दिल्ली की जनता के लिए हम काम करते हैं.
संविधान के मूल अधिकारों को तोड़ने की कोशिश
उनका कहना है कि एमसीडी के एक्ट 44 के अंतर्गत कोई भी कानून अगर बनता है तो उसके अंदर स्थायी समिति, वार्ड समिति और कमिश्नर की भागीदारी होती है, लेकिन यह लोग संविधान के मूल अधिकारों को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. एमसीडी के एक्ट 44 में साफ-साफ लिखा हुआ है, उसके बावजूद भी जो यह लोग आरोप लगा रहे हैं, वह बिल्कुल निराधार है. निगम की यह बैठक संविधान के बिल्कुल विरुद्ध है.