दिल्ली की अदालत ने IAS के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के 32 साल पुराने मामले को किया बंद, कही ये बात
Delhi News: जस्टिस अनिल अंतिल ने कहा कि सीबीआई ने 327 गवाहों का हवाला दिया. 48 को होटल और गेस्ट हाउसों में रहते हुए दिखाया. 200 गवाहों की या तो मृत्यु हो चुकी थी या वे अपना पता छोड़ चुके थे.
Delhi Court Latest News: दिल्ली की एक अदालत ने 32 साल की सुनवाई के बाद एक पूर्व आईएएस अधिकारी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति (डीए) का मामला बंद कर दिया है. अदालत ने कहा कि आरोपी की उम्र लगभग 90 वर्ष है और उनकी मानसिक स्थिति अस्थिर है. विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) अनिल अंतिल ने नगालैंड सरकार के मुख्य सचिव रह चुके सुरेन्द्र सिंह अहलूवालिया के खिलाफ मामला बंद कर दिया और उन्हें “मुकदमे का सामना करने के लिए अस्वस्थ” घोषित कर दिया.
अदालत ने अपने फैसले में कहा, “जब व्यवस्था विफल हो जाती है” तो सत्य अन्याय की छाया में छिप जाता है. उन्होंने 12 जुलाई को पारित आदेश में कहा, “यह इस मामले की पूरी कहानी और नियति है.”
मुकदमा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
जस्टिस अनिल अंतिल ने कहा कि इस समय तक मुख्य आरोपी अहलूवालिया जो अब लगभग 90 वर्ष के हो चुके हैं, “मानसिक रूप से अस्थिर और अस्वस्थ हो गए हैं और उन्हें मुकदमे का सामना करने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया है (उनके खिलाफ मुकदमा पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो चुका है).”
गवाहों को पेश नहीं कर पाई CBI
उन्होंने कहा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 327 गवाहों का हवाला दिया था. न्यायाधीश ने कहा कि इनमें से 48 को होटल और अतिथि गृह जैसे अस्थायी पतों पर रहते हुए दिखाया गया था. एजेंसी को अच्छी तरह पता था कि वे कभी गवाही के लिए उपलब्ध नहीं होंगे. अदालत ने कहा, “शेष 200 गवाहों की या तो मृत्यु हो चुकी थी या वे अपना पता छोड़ चुके थे या अपनी बीमारियों के कारण अदालत में उपस्थित होने और गवाही देने में असमर्थ थे.
ये है पूरा मामला
उन्होंने पिछले 32 वर्षों के दौरान केवल 87 गवाहों की ही जांच की गई. सीबीआई के अनुसार नगालैंड और नई दिल्ली में विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए अहलूवालिया ने अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित की. सीबीआई ने आरोप लगाया था कि उन्होंने 28 मार्च, 1987 तक अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक लगभग 68 लाख रुपये की संपत्ति अर्जित की थी.
जस्टिस अनिल अंतिल के मुताबिक अहलूवालिया के छोटे भाई इंद्रजीत सिंह को भी बरी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ मामला साबित करने में बुरी तरह विफल रहा. दिल्ली की अदालत ने पूर्व आईएएस अफसर के खिलाफ 32 साल पुराने मामले को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया.
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