Delhi Free Electricity subsidy Crisis: देश की राजधानी दिल्ली में सिर्फ मौसम का तापमान ही नहीं बल्कि सियासी पारा भी नए सिरे से तेज होने के करीब है. आप कहेंगे कि गर्मी के मौसम में तापमान बढ़ोतरी का दिल्ली की राजनीति का क्या लेना देना, तो मेरा जवाब होगा कि लेना-देना तो है. आप पूछेंगे कैसे? इसका जवाब यह है कि गर्मी में बढ़ोतरी के साथ ही दिल्ली में बिजली की मांग में भी बढ़ोतरी होती है. मांग में बढ़ोतरी का मतलब है सरकार के खजाने पर खर्च का भार बढ़ना. ऐसा इसलिए कि दिल्ली में सरकार बिजली पर लोगों को सब्सिडी देती है.


इसी फ्री बिजली सब्सिडी पर  प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दिल्ली के एलजी विनय सक्सेना ने नौकरशाही के जरिए दिल्ली सरकार की दुखती रग पर हाथ रख दी है. हाल  ही में दिल्ली के वरिष्ठतम नौकरशाह ने एक रिपोर्ट के जरिए बताया है कि डीईआरसी के निर्देशों का पालन न होने से सरकार को 300 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. सरकार इस मसले पर ध्यान दे तो नुकसान से बचा जा सकता है. इस रिपोर्ट को लेर दिल्ली के उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार को जल्द स्पष्टीकरण देने को कहा है.


दिल्ली सरकार ने एलजी वीके सक्सेना के इस पहल को सरकार और राजनिवास के बीच पहले से जारी तनातनी को और बढ़ाने वाला माना है. यही वजह है कि केजरीवाल सरकार ने एलजी के ताजा रुख पर पलटवार किया है. पहले दिल्ली के बिजली मंत्री आतिशी ने विधानसभा में इस मसले को उठाया और शनिवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीटकर साफ कर दिया कि अगर ये बिजली सब्सिडी को खत्म करने की साजिश है तो हम ऐसा नहीं होने देंगे. बस, क्या था, दिल्ली सरकार के दो प्रमुख नेताओं के बयान के बाद बीजेपी ने भी केजरीवाल सरकार पर हमला बोल दिया है. साथ ही राजनिवास ने भी बयान जारी कर इस मसले पर तल्खी को बढ़ा दी है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर किसने क्या कहा और बिजली सब्सिडी का मुद्दा क्या है?


केजरीवाल चट्टान की तरह खड़ा मिलेगा


25 मार्च को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि, - फिर कहते हैं केजरीवाल लड़ता बहुत है.दिल्ली की फ्री बिजली को बंद करने के लिए साजिश रची जा रही है, लेकिन हम इनकी साजिश को कभी सफल नहीं होने देंगे.दिल्ली की जनता के हक के लिए केजरीवाल चट्टान की तरह खड़ा मिलेगा.एलजी साहब, बाद में कृपया ये मत कहिएगा कि मर्यादाएं टूट रही हैं.इससे पहले सीएम केजरीवाल ने कहा था कि हम काम करना चाहते हैं लेकिन अड़ंगा न डाला जाए. 


LG फाइल चुनी हुई सरकार के पास क्यों नहीं रखते?


वहीं, दिल्ली सरकार में बिजली मंत्री आतिशी ने 24 मार्च यानी शुक्रवार को विधानसभा में बिजली सब्सिडी से जुड़ा मुद्दा उठाते हुए आरोप लगाया था कि एलजी विनय सक्सेना के इशारे पर मुख्य सचिव और बिजली सचिव फ्री बिजली पर रोक लगाना चाहते हैं. उन्होंने मुख्य सचिव व बिजली विभाग के उच्चाधिकारी बिजली कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए साठगांठ करने का भी दावा किया.आतिशी ने कहा कि बिजली सब्सिडी की अहम फाइल 15 दिन के भीतर कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत करनी की थी, लेकिन 14 दिन बीतने के बाद भी फाइल कैबिनेट तक नहीं पहुंची. जबकि 14 दिन पहले उपराज्यपाल के कार्यालय से निकली फाइल मुख्यमंत्री व बिजली मंत्री तक पहुंचने की जगह मुख्य सचिव और बिजली सचिव के कार्यालय में घूम रही है.अगर कोई षड्यंत्र नहीं है तो इतना डर क्यों? फाइल चुनी हुई सरकार के सामने रखिए?


वीरेंद्र सचदेवा ने सब्सिडी मांग की शर्त पर उठाए सवाल


इसके बाद बीजेपी ने भी मौका गंवाए बगैर मसले को लपक लिया. दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, - मुफ्त बिजली योजना सरकार की वोट बैंक योजना से ज्यादा कुछ नहीं है. सोशल मीडिया पर उठाया जा रहा विवाद कुछ नहीं है.बीते वर्ष तक सरकार बिलिंग के आधार पर सभी उपभोक्ताओं को मुफ्त या सब्सिडी वाली बिजली दे रही थी? लेकिन बीते वर्ष सरकार ने डिस्कॉम में आवेदन करके बिजली सब्सिडी की मांग करने की शर्त रखी.इससे बिजली सब्सिडी से लाभान्वित होने वाले 25 फीसदी उपभोक्ताओं को नुकसान हुआ.वो आवेदन नहीं कर पाए.


LG ने क्या कहा 


सीएम अरविंद केजरीवाल की इस मसले पर ट्वीट के बाद राजनिवास ने भी अपना पक्ष रखा है. राजनिवास की ओर से शनिवार को बताया गया है कि गरीबों के नाम पर बिजली कंपनियों को लाभ पहुंचाने और अनुचित वित्तीय सहायता प्रदान करने में रंगे हाथ पकड़ें जाने के बाद आप सरकार और उसके पदाधिकारी निराधार, झूठे और भ्रामक बयान देने की काशिश कर रहे हैं. अब जब बिजली कंपनियों को लाभ दिलाने में मदद करने का उनका घोटाला सबके सामने आ गया है तो वे लोगों की नजरों में पाक साफ बनने की कोशिश कर रहे हैं. बिजली सब्सिडी वापस लेने के लिए एलजी ने अपने किसी पत्र में दिल्ली सरकार को यह सुझाव नहीं दिया. एलजी की ओर से यह सुझाव दिया गया है कि सब्सिडी निजी बिजली कंपनियों को देने के बजाय उन गरीबों को दी जाए, जो इसके योग्य पात्र हैं. 


क्या है पूरा मामला?


दरअसल, दिल्ली के मुख्य सचिव ने सीएम अरविंद केजरीवाल और एलजी विनय सक्सेना   हाल ही में एक रिपोर्ट सौंपी थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि ऊर्जा विभाग निजी बिजली कंपनियों को दी जाने वाली सब्सिडी पर डीईआरसी की सलाह का पालन नहीं कर रहा है. अगर डीईआरसी के निर्देश का पालन किया जाता तो दिल्ली सरकार के 300 करोड़ रुपए बचेंगे.  तत्कालीन उर्जा मंत्री मनीष सिसोदिया ने डीईआरसी के निर्देशों का पालन नहीं करने का फैसला किया और निजी कंपनियों को अतिरिक्त 300 करोड़ रुपए का भुगतान करना जारी रखा. मुख्य सचिव की इस रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए एलजी वीके सक्सेना ने अपने नोट में उनसे कहा कि डीईआरसी के गाइडलाइन के सुझावों का जिक्र करते हुए कहा कि इस गंभीर मसले को वो सीएम अरविंद केजरीवाल के संज्ञान में लाएं. साथ ही दिल्ली कैबिनेट इस मसले में प्रभावी फैसला है. बस, एलजी की ये नोटिंग दिल्ली सरकार को अच्छी नहीं लगी. यही वजह है कि बिजली सब्सिडी समाप्त होने को लेकर चर्चा चरम पर है. एक दिन पहले सीएम अरविंद केजरीवाल ने अपना स्टैंड साफ करते हुए कहा कि अगर बिजली सब्सिडी समाप्त करने की यह साजिश है तो हमारी सरकार इसे स्वीकार नहीं करेगी. 


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