50 दिन, 5 बैठक और मारपीट... चुनाव के बाद दिल्ली एमसीडी क्यों बना है कुश्ती का अखाड़ा?
50 दिन में दिल्ली नगर निगम की 5 बैठक मारपीट की वजह से रद्द हो गई है. मारपीट की वजह से शुक्रवार को एक पार्षद अचेत हो गए, जिसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया.
दिल्ली नगर निगम चुनाव के रिजल्ट आए 80 दिन बीत गए, लेकिन अब तक निगम कामकाज शुरू नहीं हो सका है. नगर निगम में नीति निर्धारण का जिम्मा 6 सदस्यीय स्टैंडिंग कमेटी का होता है, जिसका चुनाव 27 फरवरी तक के लिए टल गया है. रिजल्ट आने के बाद नगर निगम में मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों को चुनने के लिए 6 मीटिंग हो चुकी है.
पिछले 50 दिन में 5 मीटिंग ऐसी हुई है, जिसमें आप और बीजेपी के पार्षद एक-दूसरे से मारपीट करने लगे. शुक्रवार को मारपीट के दौरान पार्षद अशोक मनु सदन के भीतर ही गंभीर रूप से घायल हो गए, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. दिल्ली की मेयर शैली ऑबराय ने पुलिस से सुरक्षा की मांग की है.
बजट की समस्या से जूझ रही दिल्ली नगर निगम की बैठक में जिस तरह पार्षद मारपीट कर रहे हैं, उसको लेकर भी सवाल उठ रहा है. नगर निगम में एक दिन के संचालन में करोड़ो रुपए का खर्च होता है, लेकिन पिछली बैठक बेनतीजा ही रही है. इस स्टोरी में नगर निगम क्यों कुश्ती का अखाड़ा बना हुआ है, इसे जानते हैं.
पहले जानिए कब-कब बुलाई गई मीटिंग?
24 फरवरी- स्टैंडिंग कमेटी के 6 सदस्यों के चुनाव के लिए बैठक बुलाई गई थी. बीजेपी और आप ने उम्मीदवार उतारे, जिसके बाद वोटिंग हुई. बीजेपी का कहना है कि रिजल्ट में 3-3 प्रत्याशी दोनों के जीते, लेकिन मेयर ने यहीं पर खेल कर दिया.
मेयर ने बीजेपी से जीते पंकज के एक वोट को इनवैलिड कर दिया. इनवैलिड के प्रस्ताव को नगर निगम के सचिव ने मानने से इनकार कर दिया. इस बात की भनक जैसे ही बीजेपी पार्षदों को हुई. वैसे ही बवाल शुरू हो गया.
23 फरवरी- मेयर चुनाव के बाद स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों के चुनाव के लिए बैठक बुलाई गई थी. मीटिंग की शुरूआत में ही पार्षद हंगामा करने लगे, जिसकी वजह से सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई.
6 फरवरी- मेयर चुनाव के लिए मीटिंग बुलाई गई थी, लेकिन मनोनीत पार्षदों के वोट देने के अधिकार को लेकर हंगामा हो गया. आप पार्षदों ने चुनाव ही नहीं होने दिए. मामला इसके बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.
24 जनवरी- नगर निगम में मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव कराने के प्रक्रिया को लेकर हंगामा हुआ. दोनों गुट टेबल पर चढ़कर हंगामा करने लगे. आप पार्षदों ने आरोप लगाया कि बीजेपी चुनाव टाल कर प्रशासक नियुक्त करना चाहती है.
6 जनवरी- मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों के चुनाव के लिए पहली बार बैठक बुलाई गई थी. आप ने उपराज्यपाल की ओर से 10 पार्षदों के मनोनीत करने पर हंगामा कर दिया. बैठक अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दिया गया.
स्टैंडिंग कमेटी कितना पावरफुल?
दिल्ली नगर निगम की मुख्य डिसीजन-मेकिंग बॉडी स्टैंडिंग कमेटी ही है. यह कमेटी कॉर्पोरेशन का कामकाज, मैनेजमेंट, नए प्रोजेक्ट्स को वित्तीय मंजूरी देने और नीतियों को लागू करती है. कमेटी में कुल 18 मेंबर होते हैं, जिसमें से मेयर, डिप्टी मेयर और 6 सदस्यों का चुनाव सीधे हाउस की ओर से किया जाता है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली नगर निगम का कुल बजट 15 हजार 276 करोड़ रुपए के आसपास है. इनमें हेल्थ के लिए 4153 करोड़, एजुकेशन के लिए 2632.78 करोड़, सामान्य प्रशासन के लिए 3225.35 करोड़, लोक निर्माण और स्ट्रीट लाइटिंग के लिए 1732.15 करोड़ रुपए का प्रावधान है.
कुश्ती का अखाड़ा क्यों बना एमसीडी?
बीजेपी के लिए ताकत की लड़ाई- बीजेपी अगर स्टैंडिंग कमेटी में 3 सदस्य नहीं जीता पाती है, तो नगर निगम से उसकी ताकत पूरी तरह खत्म हो जाएगी. नगर निगम चुनाव में बीजेपी पहले ही हार चुकी है. दिल्ली में लोगों से जुड़े अधिकांश बेसिक काम नगर निगम द्वारा ही किया जाता है.
ऐसे में यहां पावरलेस होना बीजेपी के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है. यही वजह है कि बीजेपी नगर निगम के स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव में हंगामा कर रही है. बीजेपी का कहना है कि आप निष्पक्ष तरीके से चुनाव करवाने के बजाय जानबूझकर हमें हरा रही है.
आप को चाहिए पूरा पावर- दिल्ली विधानसभा के बाद आप अब एमसीडी की सत्ता में भी आ गई है. पूरी शक्ति नहीं मिलने की वजह से दिल्ली में मुख्यमंत्री रहते भी अरविंद केजरीवाल कई फैसला नहीं कर पाते हैं. पिछले दिनों कई योजनाओं को उन्हें वापस लेना पड़ा है.
ऐसे में आप नहीं चाहती है कि दिल्ली नगर निगम में भी पावर कम हो जाए, जिससे योजना को लागू करने में परेशानी हो. दिल्ली नगर निगम के चुनाव में आप ने साफ-सफाई से लेकर शिक्षा व्यवस्था ठीक करने के कई वादे किए हैं.
2024 का चुनाव पर भी नजर- दिल्ली में लोकसभा की कुल 7 सीटें हैं, जिस पर अभी बीजेपी का कब्जा है. आप का फोकस दिल्ली की सरकार और नगर निगम के बाद यहीं पर है. आप की कोशिश है कि नगर निगम में मजबूती से पकड़ बनाकर लोकसभा में इसे भुनाए.
बीजेपी भी इस लड़ाई में कमजोर नहीं दिखना चाहती है. पार्टी 2014 और 2019 में सातों सीट पर एकतरफा जीत दर्ज की थी. ऐसे में पार्टी 2024 में एक भी सीट नहीं हारना चाहेगी. यही वजह है कि नगर निगम के जरिए दोनों शक्ति प्रदर्शन कर रही है.
दिल्ली चुनाव का रिजल्ट क्या था?
7 दिसंबर को दिल्ली नगर निगम का रिजल्ट आया था. दिल्ली चुनाव आयोग के मुताबिक 250 सीटों वाले एमसीडी में आप को 134 सीटें मिली हैं, जो बहुमत से 8 ज्यादा हैं. लंबे वक्त से दिल्ली नगर निगम पर कब्जा जमाए भाजपा को 104 सीट पर ही जीत मिल सकी. कांग्रेस के 9 उम्मीदवार 3 सीटों पर निर्दलीय की जीत हुई.
दिल्ली में पहले तीन नगर निगम था, लेकिन पिछले साल ही इसके संविधान में बदलाव कर एक कर दिया गया.
हाईकोर्ट पहुंचा मामला
दिल्ली नगर निगम में लगातार हंगामे को लेकर आम आदमी पार्टी और बीजेपी आमने-सामने हैं. दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी को निरंकुश बताया है. कपूर ने कहा- आम आदमी पार्टी को निरंकुश तरीके से विधानसभा चलाने की आदत है. यही काम नगर निगम में करना चाहती है.
दिल्ली नगर निगम में जिस तरह से तांडव चल रहा है. ऐसे में हम चाहेंगे कि नगर निगम को फिर से भंग कर दिया जाए. वहीं बीजेपी पार्षद शरद कपूर ने मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों के चुनाव के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर उसे रद्द करने की मांग की है.