दिल्ली की अदालत का MBA पत्नी को गुजारा भत्ता देने से इनकार, पति को राहत देने की ये है वजह
Delhi Court News: दिल्ली की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 15 हजार रुपये मासिक गुजारा भत्ता पत्नी को देने का आदेश दिया था, जिसे पति ने सेशन कोर्ट में चुनौती दी थी. सेशन कोर्ट ने पहले के आदेश को रद्द किया.
Delhi News: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सत्र अदालत ने एक पति को अपनी पत्नी को 15,000 रुपये का मासिक गुजारा भत्ता देने के आदेश को रद्द कर दिया है. मजिस्ट्रेट की अदालत पति को मासिक भत्ता देने का आदेश दिया था. पति ने अदालत के आदेश को सेशन कोर्ट में चुनौती दी थी. सेशन कोर्ट ने सुनवाई के बाद मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को बदल दिया.
सेशन कोर्ट ने अपने फैसले में पति को गुजारा भत्ता देने के आदेश को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि महिला ने अपनी वास्तविक आय का खुलासा नहीं किया है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आंचल की कोर्ट में दंपत्ति की ओर से दायर दो अपीलों पर सुनवाई के बाद यह फैसला दिया.
मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को चुनौती
पीड़ित पति ने अप्रैल 2023 के निचली अदालत के आदेश का सेशल कोर्ट में विरोध किया था. साथ ही सत्र अदालत से इस पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था. दूसरी तरफ पत्नी ने गुजारा भत्ता बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये करने की मांग की थी.
पत्नी ने आय का स्रोत छुपाया
इस मामले में मजिस्ट्रेट अदालत ने घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम के तहत दायर पत्नी की याचिका पर आदेश पारित किया था. अपने समक्ष मौजूद सबूतों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने कहा कि पत्नी, जिसके पास एमबीए की डिग्री थी, ने इस तथ्य को छुपाया कि उसके पास खर्चों को पूरा करने और खुद को बनाए रखने के लिए पर्याप्त आय थी.
कोर्ट को नहीं दी सही जानकारी
अदालत ने कहा, "एक बार जब यह रिकॉर्ड में आ गया कि पत्नी अपनी आय का स्रोत छिपा रही थी, तो अदालत भी नियमानुसार फैसला बदल सकती है." अदालत ने कहा, "न तो यह निष्कर्ष निकालें कि पत्नी वर्किंग है और कमा रही है. अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ है. अदालत न ही यह निष्कर्ष निकाल सकती है कि वह अपने वैवाहिक घर में जिस स्थिति में रहती थी, उससे कम स्थिति में रह रही है."
5 अप्रैल 2024 को मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा पारित आदेश में कमियों को ध्यान में रखते हुए सत्र अदालत ने पति को गुजारा भत्ता देने के पहले के आदेश को रद्द कर दिया. सत्र अदालत ने माना है कि पत्नी की ओर से आय को लेकर सही तथ्य अदालत के सामने नहीं रखने की वजह से वह अपने पति से गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं है.
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