Delhi News: देश की राजधानी दिल्ली में केंद्र सरकार के आदेश पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार संशोधन अध्यादेश 2023 मई 19 से लागू है. इसको लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच विवाद के बीच अध्यादेश के तहत नवगठित राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण की पहली बैठक 20 जून को बुलाई है. सीएम अरविंद केजरीवाल के इस फैसले के बाद एक बार एनसीसीएसए चर्चा में है. लोग जानना चाहते हैं कि एनसीसीएसए क्या है और सीएम द्वारा मीटिंग बुलाने से क्या होगा?


NCCSA क्या है?


दरअसल, दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर आठ साल से ज्यादा समय तक अदालती लड़ाई के बाद 11 मई को सुप्रीम कोर्ट का फैसला दिल्ली सरकार के पक्ष में आया था. उसके ठीक आठ दिन बाद केंद्र सरकार में अध्यादेश लागू कर दिया. केंद्र की ओर से लागू राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार संशोधन अध्यादेश 2023 में राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (National Capital Civil Service Authority) की स्थापना की व्यवस्था भी है.एनसीसीएसए केंद्र के अध्यादेश द्वारा गठित एक निकाय है जो दिल्ली एलजी को निर्णायक अधिकार देता है. यह निकाय आगमी दिनों में यह प्राधिकरण ग्रुप-ए अधिकारियों की ट्रांसफर, पोस्टिंग, अनुशासनात्मक कार्यवाही में अहम भूमिका निभाएगा. 


क्या है इसका मकसद


एनसीसीएसए की स्थापना दिल्ली में सिविल सेवा के भीतर प्रशासनिक दक्षता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के मकसद से बनाई गई है. इस प्राधिकरण में तीन लोगों को शामिल किया गया है. इनमें दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार और दिल्ली प्रधान गृह सचिव को शामिल किया गया है. प्राधिकरण की बैठकों की अध्यक्षता दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल करेंगे. एनसीसीएसए द्वारा हर फैसला बहुमत के आधार पर लिए जाएंगे. यह अध्यादेश केंद्र को अधिकारियों के कार्यकाल, वेतन, भत्ते, शक्तियों और कर्तव्यों को तय करने का अधिकार देता है। इसके जरिए दिल्ली में प्रभावी प्रशासन को सुनिश्चित करने की योजना है. अथॉरिटी में इस बात का भी प्रावधान है कि अगर किसी प्रस्ताव पर सभी सहमत नहीं हैं तो मतदान से फैसला किया जाएगा. माना जा रहा है कि एनसीसीएसए के जरिए अफसरों के तबादले की प्रक्रिया आसान होने की उम्मीद है. इस बाबत कोई भी प्रस्ताव पहले अथॉरिटी के सामने आएगा. फिर अध्यक्ष एवं दोनों सदस्य एक साथ बैठेंगे. प्रस्ताव तबादले का हो या फिर अनुशासनात्मक कार्रवाई का, पहले उसके औचित्य पर विचार होगा. सभी के सहमत होने पर यह फाइल दिल्ली के एलजी के पास अंतिम मंजूरी के लिए भेजी जाएगी. विवाद होने की स्थिति में अंतिम फैसला लेने का अधिकार एलजी को होगा. 


बता दें कि एनसीसीएसए का गठन केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ के उस फैसले के बाद किया है, जिसमें शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार को अफसरों के तबादले आदि अधिकार देते हुए कहा था कि एलजी को चुनी हुई सरकार के सुझाव के मुताबिक ही काम करना होगा. इसके बार 19 मई को केंद्र ने अध्यादेश लागू कर अदालत के फैसले को पलट दिया. 


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