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Delhi Ordinance Row: अध्यादेश को लेकर दिल्ली की राजनीति में घमासान क्यों, जानें इसकी बड़ी बातें 

Delhi Politics: केंद्र सरकार द्वारा अध्यादेश लागू करने के बाद से दिल्ली की राजनीति में मचा बवाल थमा नहीं है. इस मसले पर आप और  बीजेपी के बीच सियासी संघर्ष और तेज होने की संभावना है.   

Delhi News: दिल्ली की नौकरशाही पर कब्जा किसका, को लेकर 11 मई को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से राजधानी में ऐसा घमासान मचा है, जो अब तक कभी देखने को नहीं मिला था. शीर्ष अदालत के फैसले पर आप सरकार खुश थी कि अब वो जनता से मिले मैंडेट के हिसाब से काम कर पाएगी. सीएम अरविंद केजरीवाल अदालत के फैसले के मुताबिक सरकार के कामकाज को नए सिरे से मूर्त रूप देने में जुटे ही थे कि केंद्र सरकार ने नया अध्यादेश जारी कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया. अध्यादेश जारी होते ही एलजी को पुराने अधिकार वापस मिल गए और वो अब पहले से ज्यादा अधिकार के साथ फैसले ले रहे हैं. 

फिलहाल, केंद्र के इस रुख के बाद से दिल्ली में बवाल मच गया. आम आदमी पार्टी ने अध्यादेश को संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ और जनतंत्र को गुलाम मचाने वाला करार दिया है. इतना ही नहीं, इस बात को लेकर पिछले सात दिनों से दिल्ली की राजनीति में मचा बवाल थमा नहीं है. फिलहाल, ये थमता भी नजर नहीं आ रहा. सीएम अरविंद केजरीवाल अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों का सहयोग हासिल करने के लिए दिल्ली से बाहर निकल गए हैं तो बीजेपी ने आप सरकार को बदले माहौल के अनुरूप फिर से घेरने की कार्रवाई शुरू कर दी है. 

ये है केंद्र के अध्यादेश की बड़ी बातें

  • दिल्ली सरकार संशोधन अध्यादेश 2023 में सरकार के हर विभाग के सचिव को कैबिनेट नोट समेत हर मेमो को तैयार करने और प्रमाणित करने के लिए उत्तरदायी बनाया गया है. अब सचिव ही मंत्रियों और सीएम के सामने आने वाले हर प्रस्ताव पर विचार और मंजूरी के लिए जिम्मेदार माने जाएंगे.
  • केंद्र के अध्यादेश में इस बात का भी जिक्र है कि अगर सचिव स्तर के अधिकारी किसी गड़बड़ी को नजरअंदाज करते हैं तो उन पर कार्रवाई क्यों न हो, का कारण बताना होगा.
  • केंद्रीय अध्यादेश के मुताबिक सचिव स्तर के हर अधिकारी के लिए अथॉरिटी की तरफ से आए हर प्रस्ताव को मंजूरी देने की व्यवस्था है.
  • दिल्ली में तैनात अधिकारियों को उन विषयों को लेकर बेहद गंभीर रहना होगा जिनकी वजह से केंद्र के साथ विवाद हो सकता है. अधिकारियों को ऐसे किसी भी मामले की जानकारी फौरन एलजी को देनी होगी.
  • ताजा अध्यादेश में मुख्य सचिव और विभागीय सचिव की जवाबदेही जिम्मेदारी तय की गई है. सचिवों को ध्यादेश के प्रावधानों का पालन तय कराना होगा. कुछ भी अलग होने पर उन्हें प्रभारी मंत्री, मुख्यमंत्री और एलजी को लिखित में बताना होगा. 

अध्यादेश के मुताबिक तीन लोगों की अथॉरिटी तैयार की जाएगी. इस अध्यादेश में सभी ग्रुप ए अधिकारियों और ​दानिक्स के अधिकारियों के तबादले और नियुक्ति की जिम्मेदारी नेशनल कैपिटल सिविल अथॉरिटी की होगी. नेशनल कैपिटल सर्विसेज ऑथोरिटी में दिल्ली के सीएम, प्रधान गृह सचिव और मुख्य सचिव भी होंगे. इसके चेयरपर्सन दिल्ली सीएम होंगे. किसी भी तरह का निर्णय लेने से पहले उसे एलजी के पास भेजा जाएगा. एलजी कोई दिक्कत होने पर फाइल को नोट लगाकर वापस भेजेंगे. उसके बाद भी इस मसले पर अंतिम निर्णय एलजी ही लेंगे. 

यह भी पढ़ें: Delhi: 'सेमीफाइनल' जीतने निकले CM केजरीवाल, बीते दो दिनों में क्या मिले राजनीतिक संकेत?

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