पत्नी का जान-बूझकर सेक्स से इंकार क्रूरता के समान, इसके बिना शादी एक अभिशाप: Delhi High Court
Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के खिलाफ महिला की अपील को खारिज करते हुए कहा कि बिना सेक्स के शादी किसी अभिशाप से कम नहीं.
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Delhi News: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) की एक पीठ ने फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ महिला की याचिका को खारिज कर दिया. हाईकोर्ट की पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि महिला ने अपने पति के खिलाफ जो आरोप लगाए हैं, उसे साबित करने में वह पूरी तरह से विफल रही है. इतना ही नहीं, 18 साल तक पति को सेक्स (Sex) संबंध बनाने से वंचित रखना गंभीर मसला है.
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सुरेश एला कुमार कैत और न्यायमूर्ति नीना बंसल की पीठ ने तलाक देने के फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ पत्नी की अपील को खारिज कर दिया. अदालत ने अपने फैसले में कहा है, "बिना सेक्स के शादी (Marriage) एक अभिशाप है". शादी के बाद पति पत्नी में किसी के लिए यौन संबंधों में लगातार निराशा से ज्यादा घातक और कुछ नहीं हो सकता. इस मामले में पत्नी के विरोध के कारण विवाह का मकसद ही पूरा नहीं हुआ. इस मामले में महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया गया, लेकिन उसने अपने आरोप को सही साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत अदालत को नहीं दिया.
सिर्फ 35 दिन पति-पत्नी रहे एक साथ
दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि, "वर्तमान मामले में न सिर्फ दोनों पक्षों के बीच शादी बमुश्किल 35 दिनों तक चली, बल्कि वैवाहिक अधिकारों से वंचित होने और विवाह के समापन की सहमति न होने के कारण पूरी तरह से विफल हो गई". अदालत ने शादी के बाद के 18 साल से ज्यादा समय का जिक्र करते हुए कहा कि इस अवधि के दौरान महिला ने अपने वैवाहिक घर में जिंदगी गुजारी. जबकि यह शादी हिंदू परंपरा के अनुसार हुई थी.
दहेज का आरोप साबित नहीं कर पाई पत्नी
एचसी दो सदस्यीय बेंच का कहा कि दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाने के परिणामस्वरूप एफआईआर दर्ज की गई और उसके बाद की सुनवाई को केवल क्रूरता का कार्य कहा जा सकता है. ऐसा इसलिए कि इस मामले में अपीलकर्ता दहेज की मांग की एक भी घटना को साबित करने में विफल रहा है. इस मामले में फैमिली कोर्ट का सही निष्कर्ष पूरी तरह से सही है. हालांकि, महिला द्वारा पति का परित्याग साबित नहीं हुआ है, लेकिन पति के प्रति पत्नी का आचरण क्रूरता के समान है, जो उसे तलाक की डिक्री का हकदार बनाता है.
हिंदू रीति-रिवाज से 2004 में हुई थी शादी
सुप्रीम कोर्ट की ओर ये तय मानदंडों के मुताबिक महिला का पति के खिलाफ आचरण मानसिक क्रूरता की श्रेणी में रखा जा सकता है. ऐसा ही एक उदाहरण बिना किसी शारीरिक अक्षमता या वैध कारण के काफी समय तक संभोग करने से इनकार करने का एकतरफा निर्णय पहले भी आ चुका है. बता दें कि इस मामले में दोनों की शादी 2004 में हिंदू रीति-रिवाज से हुई थी. शादी होने के बाद के बाद पत्नी जल्द ही अपने माता-पिता के घर वापस चली गई और फिर वापस नहीं लौटी. बाद में पति ने क्रूरता और परित्याग के आधार पर तलाक के लिए पारिवारिक अदालत का दरवाजा खटखटाया. फैमिली कोर्ट ने इस मामले में पति के पक्ष में तलाक का फैसला दिया था.
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