Ghaziabad Latest News: गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) के खिलाफ पांच सौ वर्ग मीटर का प्लाट पर मालिकाना हक हासिल करने के लिए एक महिला 35 साल तक कानूनी जंग लड़ी. इस दौरान कई बार महिला को लगा कि जीडीए की जिद की वजह से उसके हाथ से यह प्लाट कहीं निकल न जाए, लेकिन अंत में सच की जीत हुई और साढ़े तीन दशक बाद ही सही, महिला की लॉटरी एक तरह से लग गई. 


ऐसा इसलिए कि कानूनी जंग सुप्रीम कोर्ट में भी हारने के बाद जीडीए महिला को इंदिरापुरम के न्याय खंड एक में पांच सौ वर्ग मीटर का प्लाट देने के लिए राजी हो गया है. 


जीडीए से ने यह फैसला राज्य उपभोक्ता फोरम, इलाहाबाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा हारने के बाद यह फैसला लिया है. इस फैसले से महिला ने ​जो प्लाट 1988 में 3.75 लाख रुपये खर्च किए थे उसके बदले अब उन्हें सात करोड़ रुपये की कीमत वाला पांच सौ वर्ग मीटर का प्लाट जीडीए को आवंटित करना होगा.


SC के आदेश में क्या है?


सुप्रीम कोर्ट ने जीडीए को आदेश दिया है कि वो लता जैन को इंदिरापुरम के न्याय खंड एक में 500 वर्ग मीटर का प्लाट 1988 के मार्केट रेट पर आवंटित करे. साथ ही एक लाख रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में भी अदा करे. दरअसल, ​1988 में जमीन की कीमत इंदिरापुरम में 350 रुपये वर्ग मीटर थी जो अब बढ़कर 1.3 लाख रुपये वर्ग मीटर तक पहुंच गई है. 


टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक लता जैन ने 1988 में इंदिरापुरम में जीडीए का एक प्लाट बुक कराया था. गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने उन्हें पटेल नगर में एक प्लाट आवंटित किया था, जो बाद में विवादित प्लाट निकला. जीडीए ने लता जैन को बुकिंग अमाउंट रिफंड करने का आश्वासन दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया. 


इसके बाद लता जैन ने साल 2009 में राज्य उपभोक्ता अदालत में रिट दायर कर जीडीए से प्लाट दिलाने की मांग की. उपभोक्ता अदालत ने उनके पक्ष फैसला सुनाया था. इसके खिलाफ जीडीए ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील की. हाई कोर्ट ने भी उपभोक्ता अदालत के फैसले को बरकरार रखा. 


जीडीए के खिलाफ क्यों आया फैसला?
 
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि लता जैन को 21 साल पहले प्लाट आवंटित किया था. इसके बावजूद जीडीए ने उन्हें ​नर्सिंग होम बनाने के लिए पांच सौ वर्ग मीटर के प्लाट पर मालिकाना हक नहीं दिया है.  कोर्ट ने यह पाया कि उपभोक्ता अदालत और हाई कोर्ट में सुनवाई दौरान जीडीए ने यह नहीं बता पाई कि उसने प्लाट को किसे बेचा?


जीडीए ने 1988 में अलॉट किय था प्लॉट


हाई कोर्ट से मुकदमा हारने के बाद जीडीए ने साल 2010 में फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. पांच अप्रैल 2024 को सुप्रीम के जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिर ​अरविंद कुमार ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. जीडीए ने लता जैन के पांच सौ वर्गमीटर का यह प्लाट 16 अगस्त 1988 को आवंटित किया था. तब से वह इस प्लाट को हासिल करने के लिए कानूनी जंग लड़ रही थीं. 


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