World Health Organization: देश और दुनिया में कोरोना के मामले एक बार फिर तेजी से बढ़ने लगे हैं. इस बीच डब्लूएचओ ने एक बैठक की है. इस बैठक में सभी देशों में कोरोना और ओमिक्रोन के मामलों, वैक्सीनशन और कोरोना की दवाइयों पर चर्चा की गई. इसके साथ ही बैठक में अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर भी चर्चा की गई. जिसमें डब्ल्यूएचओ ने कहा कि कोरोना वायरस के प्रभाव को रोकने के लिए अंतराष्ट्रीय यात्रा पर रोक लगाना सही नहीं है. दरअसल नवंबर 2022 में कई देशों ने ओमिक्रोन की चिंता को ले कर दक्षिण अफ्रीका से आने जाने वाली उड़ानों पर रोक लगा दी थी. हालांकि बाद में ज्यादातर देशों ने इस प्रतिबंध को हटा दिया था.


यात्रा रोकने से बढ़ता है बोझ
WHO ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर बैन नहीं लगाना चाहिए क्योंकि अंतराष्ट्रीय यात्रा बैन से देशों पर आर्थिक और सामाजिक तनाव बढ़ता है. इसका हवाला डब्ल्यूएचओ ने दक्षिण अफ्रीका में फैले ओमिक्रोन वेरिएंट के जरिये दिया. जब दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रोन के मामलों को देख कर वहां से आने जाने वाले विमानों पर रोक लगाई गई थी. लेकिन उसका फायदा नहीं हुआ. हवाई यात्रा के दौरान मास्किंग, टीकाकरण, प्रशिक्षण और जोखिम के हिसाब से होना चाहिए. इंटरनेशनल हेल्थ रेगुलेशन के अनुच्छेद 40 के अनुसार अंतराष्ट्रीय यात्रियों पर वित्तीय बोझ डालने से बचना चाहिए.


यात्रा के प्रमाण पत्र न हो जरूरी
डब्ल्यूएचओ के अनुसार अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए कोरोना के खिलाफ टीकाकरण के प्रमाण की जरूरत नहीं है. दुनिया भर के देशों में कोविड-19 के खिलाफ टीकों का असमानता से वितरण हुआ है. ऐसे में वैक्सीनेशन को लेकर हर देश में असमानता है. जिसे देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने सभी देशों से आग्रह किया है कि वह यात्रियों के प्रवेश के लिए कोरोनावायरस के खिलाफ टीकाकरण का प्रमाण पत्र ना मांगे. बल्कि जब जरूरत हो तो डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के हिसाब से यात्रियों की टेस्टिंग और क्वारंटाइन पर विचार करना चाहिए.


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